क्या तीसरी बार भी भाग्यशाली होगा निफ्टी-50 इंडेक्स? | सुंदर सेतुरामन / June 21, 2020 | | | | |
निफ्टी के पिछला बंद स्तर 10,244 को (100 दिन के मूविंग एवरेज से ऊपर) अहम तकनीकी संकेतक माना जा रहा है। ज्यादातर ट्रेडर की निगाहें 10,350 पर जमी हुई है, एक ऐसा स्तर जहां से 50 शेयरों वाला इंडेक्स पिछले सप्ताह दो बार पीछे लौटा। तकनीकी विश्लेषकों ने कहा, अगर निफ्टी इस स्तर के पार जाने में कामयाब रहता है तो अगला स्तर 10,550 हो सकता है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बैंकिंग शेयरों और दिग्गजों मसलन रिलायंस इंडस्ट्रीज की मजबूत रफ्तार निफ्टी को 10,350 के पिछले अवरोध को पार करने में मदद कर सकती है। एक विश्लेषक ने कहा, अगर एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक व आरआईएल की तेजी बनी रहती है तो बाजार तकनीकी अवरोध को पीछे छोड़ सकता है और अन्य शेयरों को आगे बढऩे के लिए सहारा दे सकता है। उच्च उतारचढ़ाव के बावजूद बेंचमार्क निफ्टी पिछले हफ्ते 2.7 फीसदी चढ़ा और इस तरह से मिडकैप सूचकांकों से उसका प्रदर्शन बेहतर रहा।
बॉन्डों की बिक्री के मामले में मिडकैप फर्मों की रफ्तार होगी धीमी
रेटिंग एजेंंसियों को लग रहा है कि मध्यम आकार वाली कंपनियों की तरफ से नए बॉन्ड की रफ्तार घट सकती है और ये कंपनियां महामारी व आर्थिक अनिश्चितता की पृष्ठभूमि में अपने पूंजीगत खर्च में देर कर सकती हैं। एक रेटिंग एजेंसी के वरिष्ठ विश्लेषक ने कहा, उस सीमा तक हम रेटिंग से संबंधित राजस्व के स्रोत पर कुछ असर देख सकते हैं। हालांकि बड़े आकार की फर्मों का रेटिंग एजेंसियों के साथ मोटे तौर पर गठजोड़ होता है। अप्रैल में वैसी ऋण प्रतिभूतियों की वैल्यू 5.14 लाख करोड़ रुपये रही, जहां रेटिंग या तो वापस ले लिया गया था या फिर उसे निलंबित किया गया था, जो मार्च के 2.12 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले दोगुने से ज्यादा है। विशेषज्ञों ने कहा कि इसकी आंशिक वजह यह हो सकती है कि छोटे आकार की फर्में बॉन्ड जारी करने के अपने कार्यक्रम पर विराम लगा रही हैं और रेटिंग की वापसी का अनुरोध कर रही हैं। जश कृपलानी
ओएफएस की खुदरा मांग में रही सुस्ती
एचडीएफसी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी और एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस का ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) खुदरा श्रेणी में पूरा आवेदन पाने में नाकाम रहा जबकि संस्थागत निवेशकों की मांग मजबूत बनी रही। 2 लाख रुपये तक निवेश करने वाले खुदरा निवेश माने जाते हैं और ऐसे निवेशकों ने पूरे शेयरोंं के लिए बोली नहीं लगाई जबकि आर्बिट्रेज का फायदा सामने था। एचडीएफसी एएमसी और एसबीआई लाइफ की द्वितीयक बाजार में कीमत, ओएफएस के लिए तय आधार कीमत से ज्यादा थी। एक खुदरा ब्रोकरेज के अधिकारी ने कहा, खुदरा निवेशकों के बीच इस जानकारी का अभाव है कि ओएफएस में कैसे आवेदन किया जाता है और हमें किस कीमत पर बोली लगानी चाहिए। नियामक को प्रक्रिया आसान बनानी चाहिए। समी मोडक
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