ब्रांड एक्सप्रेशन पर नेस्ले, आईटीसी का विवाद खत्म | गिरीश बाबू / चेन्नई June 20, 2020 | | | | |
एफएमसीजी क्षेत्र की दो प्रमुख कंपनियों के बीच ब्रांड एक्सप्रेशन को लेकर पिछले सात साल से जारी विवाद अब खत्म हो गया है। नेस्ले और आईटीसी के बीच नूडल्स ब्रांड के विपणन के लिए 'मैजिक मसाला' और 'मैजिकल मसाला' ब्रांड एक्सप्रेशन के इस्तेमाल को लेकर विवाद चल रहा था। मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले में अपने फैसले में कहा है कि ये अंग्रेजी और हिंदी के सामान्य शब्द हैं। दोनों कंपनियां इसके इस्तेमाल के लिए एकाधिकार का दावा नहीं कर सकतीं क्योंकि व्यापार में इन शब्दों का सामान्य तौर पर इस्तेमाल होता रहा है।
आईटीसी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किया गया है। आईटीसी ने अपनी याचिका में नेस्ले इंडिया पर आरोप लगाया था कि वह 2013 में अपने इंस्टैंट नूडल्स ब्रांड मैगी के लिए 'मैजिकल मसाला' ब्रांड एक्सप्रेशन का इस्तेमाल किया था। जबकि आईटीसी 2010 में ही अपने नूडल्स ब्रांड सनफीस्ट यिप्पी के लिए 'मैजिक मसाला' ब्रांड एक्सप्रेशन का इस्तेमाल किया था।
न्यायमूर्ति सी सरवनन ने अपने आदेश में कहा कि इंस्टैंट नूडल्स श्रेणी में आईटीसी द्वारा मैजिक मसाला ब्रांड एक्सप्रेशन के साथ किया गया प्रचार-प्रसार संभवत: नेस्ले के इंस्टैंट नूडल्स की तुलना में आकर्षक मूल्य के मद्देनजर किया गया था। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भी ऐसा किया गया कि आईटीसी की बाजार में दमदार मौजूदगी है और उसकी ब्रांड उपस्थिति भी काफी मजबूत है।
अदालत ने कहा कि दोनों कंपनियां 'मैजिक' और 'मैजिकल' के साथ सामान्य शब्द 'मसाला' के इस्तेमाल पर एक-दूसरे के बहिष्कार अथवा एकाधिकार का दावा नहीं कर सकती हैं। न्यायाधीश ने कहा, 'इसलिए न तो वादी (आईटीसी) और न ही प्रतिवादी (नेस्ले) इस लेबल के एक हिस्से को छोडऩे अथवा उस पर एकाधिकार का दावा कर सकता है। इस प्रकार वादी 'मैजिक मसाला' पर एकाधिकार का दावा नहीं कर सकता है।'
न्यायाधीश ने कहा, 'वास्तव में यदि वादी ने शब्द चिह्न के तौर पर 'मैजिक मसाला' एक्सप्रेशन को ट्रेड मार्क के तौर पर पंजीकरण के लिए आवेदन किया होता तो ट्रेड माक्र्स ऐक्ट 1999 की धारा 9 के तहत ट्रेड मार्क पंजियक द्वारा उसे अस्वीकार कर दिया गया होता।'
आईटीसी ने 2013 में दायर अपनी याचिका में दावा किया था कि मैजिक मसाला एक्सप्रेशन के साथ नूडल्स को काफी सफलता मिली थी और तीन साल के भीतर इंस्टैंट नूडल्स श्रेणी में इसने करीब 12.5 फीसदी बाजार हिस्सेदारी हासिल कर ली थी। उसने दो वेरिएंट्स- यिप्पी मैजिक मसाला और क्लासिक मसाला- के साथ नूडल्स बाजार में प्रवेश किया था।
हालांकि नेस्ले का ब्रांड इस श्रेणी में 75 से 80 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ अग्रणी रहा है लेकिन कथित तौर पर प्रतिस्पर्धी ब्रांड आईटीसी से उसे काफी झटका लगा। इसलिए नेस्ले ने ग्राहकों के बीच भ्रम पैदा करने के लिए समान एक्सप्रेशन का इस्तेमाल किया और यिप्पी ब्रांड के बजाय अपने ब्रांड को आगे बढ़ाने की कोशिश की।
आईटीसी ने अदालत से आग्रह किया कि मैजिकल मसाला ब्रांड एक्सप्रेशन के इस्तेमाल के लिए नेस्ले के खिलाफ स्थायी तौर पर एक स्थगनादेश जारी किया जाए।
उच्च न्यायालय ने यह भी देखा कि नेस्ले ने पहले भी मैजिक एक्सप्रेशन का इस्तेमाल किया था। नेस्ले द्वारा जमा कराई गई जानकारी के अनुसार उसने अपने आलू चिप्स ब्रांड लेज के लिए भी मैजिक मसाला एक्सप्रेशन का इस्तेमाल किया था। नेस्ले ने दलील दी कि दोनों एक्सप्रेशन का इस्तेमाल स्वाद के वर्णन के लिए किया गया और इसलिए उसे संरक्षित नहीं किया जा सकता है। इस लिहाज से इस मामले को खारिज किया जाना चाहिए।
सात साल से अधिक लंबी इस कानूनी लड़ाई में 2015 में उच्च न्यायालय द्वारा एक अंतरिम आदेश पारित किया गया था। खबरों के अनुसार, अंतरिम आदेश के तहत नेस्ले को मैजिकल मसाला अथवा आईटीसी के मैजिक मसाला एक्सप्रेशन की तरह किसी अन्य ब्रांड एक्सप्रेशन का इस्तेमाल करने से इस मामले के निपटने तक रोक दिया गया था।
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