एमएफआई का कारोबार बढ़ा | नम्रता आचार्य / कोलकाता June 19, 2020 | | | | |
पिछले वित्त वर्ष में माइक्रोफाइनैंस क्षेत्र के सकल ऋण पोर्टफोलियो में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 29.26 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, वहीं पोर्टफोलियो का जोखिम भी उच्च स्तर पर बना हुआ है।
माइक्रोफाइनैंस का प्रतिनिधित्व करने वाले निकाय माइक्रोफाइनैंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (एमएफआईएन) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक एमएफआई सेक्टर का सकल ऋण पोर्टफोलियो (जीएलपी) 31 मार्च 2020 को 2,31,788 करोड़ रुपये था, जो 31 मार्च 2019 को 1,79,314 करोड़ रुपये था।
वहीं 30 दिन से ज्यादा अवधि का पोर्टफोलियो का जोखिम (पीएआर) वित्त वर्ष 19 की चौथी तिमाही के अंत की तुलना में करीब 1 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 20 की चौथी तिमाही के अंत तक 1.79 प्रतिशत हो ग.ा।
एमएफआईएन के प्रकाशन के मुताबिक, 'पीएआर के आंकड़ों में बढ़ोतरी की धारणा जारी है, लेकिन पोर्टफोलियो की स्थिति अभी भी स्वीकार्य सीमा के भीतर है।' वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान एनबीएफसी एमएफआई को बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थानों से 42,150 करोड़ रुपये का कर्ज वित्तपोषण मिला। इसमें वित्त वर्ष 18-19 के 31,688 करोड़ रुपये की तुलना में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
माइक्रो-क्रेडिट में बैंकों की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है, जिनका कुल बकाया 92,281 करोड़ रुपये है। यह कुल माइक्रो-क्रेडिट का 39.8 प्रतिशत है। एनबीएफसी एमएफआई माइक्रो-क्रेडिट मुहैया कराने के दूसरे बड़े स्रोत हैं, जिनका कुल बकाया 72,792 करोड़ रुपये है, जो इस उद्योग के कुल पोर्टफोलियो का करीब 31.8 प्रतिशत है। वहीं लघु वित्त बैंक का कुल कर्ज बकाया 40,556 करोड़ रुपये और उनकी हिस्सेदारी 17.5 प्रतिशत है। एनबीएफसी की हिस्सेदारी 9.8 प्रतिशत और अन्य एमएफआई की हिस्सेदारी कुल पोर्टफोलियो में 1.1 प्रतिशत है।
इस तरह के कर्ज के मामले में 5 प्रमुख राज्यों में बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और ओडिशा शामिल हैं। जीएलपी में इनकी कुल हिस्सेदारी 49 प्रतिशत है, वहीं प्रमुख 10 राज्यों की कुल कर्ज बकाये में हिस्सेदारी 79 प्रतिशत है।
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