एफटीए के लिए फिर कोशिश | अरूप रायचौधरी और शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली June 19, 2020 | | | | |
भारत लद्दाख में तनातनी की वजह से चीन से दूर हो रहा है, इसलिए केंद्र सरकार भारत-अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर फिर से बातचीत की कोशिश करना चाहती है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी मिली है। अधिकारियों का मानना है कि इससे चीन की अगुआई वाले क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसेप) के खिलाफ एक मजबूत कारोबारी धड़ा बन सकता है।
हालांकि वित्त एवं वाणिज्य मंत्रालय के इन अधिकारियों का कहना है कि सरकार यथार्थवादी नजरिया अपनाते हुए यह मानकर चल रही है कि कोविड-19 महामारी और नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव होने के कारण ठोस बातचीत अगले साल ही हो पाएगी, मगर इस दिशा में काम अभी शुरू होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'मौजूदा हालात यह हैं कि किसी गठजोड़ से दूर रहना संभव नहीं है और हमारे लिए आरसेप से जुडऩे का सवाल पैदा नहीं होता है। अब व्यापार का विकल्प साफ हो गया है और चीन से मुकाबले के लिए अमेरिका के साथ जाना है।'
उन्होंने कहा कि इस मामले पर अमेरिका के साथ बातचीत शुरू हो गई है। एक दूसरे अधिकारी ने कहा, 'हम पहले भी यहीं थे और हमें जरूरतमंद के रूप में नहीं देखा जाएगा। हम पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ फिर बातचीत की मेज पर बैठेंगे।' गुरुवार को अमेरिका ने संकेत दिया था कि वह भारत के लिए जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंसेज (जीएसपी) के तहत कारोबारी लाभ बहाल करने को तैयार है, बशर्ते कि भारत उसके लिए राहत के किसी प्रस्ताव की पेशकश करे। जीएसपी लाभों को बहाल करना भारत की एक अहम मांग रही है। लेकिन फरवरी में अमेरिका ने भारत को विकसित अर्थव्यवस्था के रूप में वर्गीकृत किया था, इसलिए भारत के लिए विकासशील देशों को दिए जाने वाले लाभ खत्म कर दिए गए थे।
अब अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि और कारोबारी मामलों पर ट्रंप के खास रोबर्ट लिघथिजर ने अमेरिकी सीनेट की वित्तीय समिति को बताया था कि भारत के साथ व्यापार बातचीत चल रही है।
अधिकारियों के मुताबिक अमेरिका के साथ व्यापार बातचीत में भारत के अगला प्रस्ताव में ऊंची कीमत के अमेरिकी कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क में चरणबद्ध कमी, चिकित्सा उपकरणों के लिए व्यापार मार्जिन नीति और अमेरिकी तकनीकी उत्पादों पर कीमत प्रतिबंधो को कम करने को लेकर बातचीत जारी रखने का वादा शामिल है। भारत के प्रस्ताव में यह शर्त भी शामिल होगी कि भारत द्वारा डिजिटल सेवाओं पर लगाए गए करों पर अमेरिका अपने कड़े रुख से पीछे हटेगा।
|