उद्योग चालू होने की आहट से लौटने लगे मजदूर | सुशील मिश्र / मुंबई June 18, 2020 | | | | |
महाराष्ट्र में जैसे-जैसे उद्योग धंधे शुरू हो रहे हैं, वैसे-वैसे पलायन कर गए प्रवासी मजदूरों की वापसी का सिलसिला भी शुरू हो गया है। 'मेक इन महाराष्ट्र' के तहत राज्य सरकार अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने की कवायद में जुट गई है। ऐसे में मजदूरों की वापसी उद्योग जगत के लिए बेहतर संकेत मानी जा रही है।
राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने बताया कि नागपुर, गोंदिया, नंदुरबार, कोल्हापुर और पुणे जैसे शहरों में कुल मिलाकर रोजाना औसतन 4,000 से 5,000 प्रवासी मजदूर वापस आ रहे हैं, जबकि मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई जैसे शहरों में वापस लौट रहे प्रवासी मजदूरों की संख्या रोजाना 11,000 से 11,500 तक पहुंच गई है।
देशमुख ने बताया कि फिलहाल वापस आ रहे प्रवासी मजदूरों की सूची पहले संबंधित राज्यों से महाराष्ट्र सरकार को भेजी जाती है, इसके बाद उनका पंजीकरण किया जाता है और वापसी की इजाजत दी जाती है। वापस आने के बाद प्रवासी मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है और उनके हाथ पर होम क्वारंटीन का निशान लगा दिया जाता है। श्रमिकों को काम पर लौटने से पहले कुछ दिन घरों में रहने की हिदायत दी जाती है। प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक भेजने के लिए स्टेशनों पर बेस्ट की बसों का भी इंतजाम किया जाता है। देशमुख के मुताबिक जैसे-जैसे उद्योग धंधे और खुलेंगे, वैसे-वैसे प्रवासी मजदूरों की संख्या भी बढ़ेगी, लेकिन राज्य सरकार इसके लिए सभी जरूरी उपाय सुनिश्चित करेगी।
लॉकडाउन में कामकाज ठप होने के बाद 21 राज्यों के 13 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर महाराष्ट्र से अपने घरों को लौट गए हैं। अप्रैल और मई के दौरान 844 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 12 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर अपने गांव गए। इनमें से 6.40 लाख प्रवासी उत्तर प्रदेश और 2.80 लाख मजदूर बिहार के थे। शेष झारखंड, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के प्रवासी मजदूर थे।
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