वाणिज्यिक खनन और बिक्री प्रक्रिया के लिए कोयला खदानों की पहली नीलामी में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कोयला मंत्रालय ने योग्यता शर्तों में ढील दी है। हालांकि, सफल बोलीदाताओं पर अंतिम निर्णय के लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी। वाणिज्यिक कोयला नीलामी के लिए कोयला मंत्रालय की ओर से अपलोड किए गए निविदा दस्तावेजों के मुताबिक नीलामी में सबसे ऊंची बोली देने वाला तरजीही बोलीदाता योग्यता के मानदंडों को पूरा नहीं कर पाने पर इस प्रतिस्पर्धा से बाहर हो सकता है। नीलामी में भागीदारी करने के लिए प्रभावी रूप से कोई कठोर योग्यता मानदंड नहीं निर्धारित किया गया है। कंपनियों/संयुक्त उद्यमों को भारत में पंजीकृत होना चाहिए। पिछले समय में कोयला मंत्रालय ने निजी इस्तेमाल के लिए कोयला खदानों का आवंटन किया था और उसने निजी कंपनियों की बोलियों को इस आधार पर रद्द कर दिया था कि इन बोलियों का आकार कम है और इससे कानूनी टकराव को बढ़ावा मिल सकता है। नीलामी दो भाग वाली प्रक्रिया है- तकनीकी चरण और वित्तीय चरण। कोयला नीलामी के लिए निर्धारित प्राधिकरण तकनीकी बोलियों का आकलन करेगा। बोलीदाताओं द्वारा अपनी शर्तें नामित प्राधिकरण को 'इनीशियल ऑफर' के साथ सौंपे जाने की संभावना है। वित्तीय बोली चरण में दो दौर शामिल होंगे, जिनमें तकनीकी तौर पर पात्र बोलीदाताओं की पेशकश खोली जाएगी और योग्य बोलीदाताओं के निर्धारण के लिए अवरोही क्रम के आधार पर रैंकिंग तय होगी। ये पात्र बोलीदाता इलेक्ट्रॉनिक नीलामी में हिस्सा लेने के योग्य होंगे और अपना फाइनल ऑफर सौंपेंगे। खदान के लिए सबसे बड़े बोलीदाता का चयन सरकार द्वारा मूल्यांकन के जरिये किया जाएगा और उसके बाद उसे सफल बोलीदाता घोषित किया जाएगा। हालांकि निविदा दस्तावेज में यह जिक्र किया गया है कि नामित प्राधिकरण को कोई कारण बताए बगैर सभी या कुछ बोलियों को ठुकराने का अधिकार है। एक कंपनी सिर्फ एक खदान के लिए ही बोली लगा सकेगी। कोयले की बिक्री और खपत पर कोई सीमा नहीं है। निविदा दस्तावेज में कहा गया है, 'कोयला खदान द्वारा उत्पादित कोयले को सफल बोलीदाता द्वारा बेचा जाएगा। वह इसे संबद्घ पक्षों को बेचने का निर्णय ले सकेगा।'
