वाणिज्यिक खनन से चमकेगा कोयला क्षेत्र | श्रेया जय / नई दिल्ली June 18, 2020 | | | | |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वाणिज्यिक कोयला खनन और खुले बाजार में बिक्री के लिए देश की पहली नीलामी शुरू की। मंदी के बीच इस साल सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली यह पहली प्रमुख नीलामी है।
मोदी ने कहा कि वाणिज्यिक खनन से देश को कोयला क्षेत्र को 'दशकों के लॉकडाउन' से निकालने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, 'देश का कोयला क्षेत्र निजी और गैर-निजी के जाल में उलझा हुआ था। यह प्रतिस्पर्धा से अलग था, पारदर्शिता की बड़ी समस्या थी। शुरू में कोयला क्षेत्र में बड़े घोटाले हुए थे, लेकिन अब व्यवस्था पारदर्शी बन गई है।'
इस अवसर पर केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि इस क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोले जाने के बाद भी सरकार के स्वामित्व वाली कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का दबदबा बना रहेगा। जोशी ने कहा, 'हमने सीआईएल को वर्ष 2023-24 तक एक अरब टन का लक्ष्य दिया है, जिसके लिए उसे भूमि अधिग्रहण, खदान विकास, मशीनरी की खरीद आदि पर अगले तीन-चार साल में करीब 50,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।' कोल इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी खनन कंपनी है और भारत में कोयले की एकमात्र बड़ी आपूर्तिकर्ता है। केंद्र ने नीलामी प्रक्रिया सरल बनाने और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए इस साल के शुरू में कोयला माइंस स्पेशल प्रोवीजंस ऐक्ट, 2015 में संशोधन किया है।
कोयला मंत्रालय ने 41 कोयला ब्लॉकों के साथ नीलामी शुरू की है जिससे खदान से संबंधित राज्यों को सालाना 20,000 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल होने का अनुमान है। मोदी ने कहा कि भारत को देश में कोयले के बड़े भंडार के साथ दुनिया का सबसे बड़ा कोयला निर्यातक बनना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र में निवेश के साथ रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा, 'पूर्वी और मध्य भारत को इस सुधार से ज्यादा लाभ लिमेगा। कोयल और खनिज में संपन्न क्षेत्रों में इन सुधारों की वजह से ज्यादा सकारात्मक बदलाव आएगा। इन क्षेत्रों में कोयला ब्लॉकों की नीलामी लाखों रोजगार मुहैया कराएगी।'
वाणिज्यिक खनन के साथ साथ केंद्र वर्ष 2030 तक 10 करोड़ टन कोयले के गैसीकरण की भी योजना बना रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए चार परियोजनाओं की पहचान की गई है और कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के लिए करीब 20,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। मोदी ने कहा कि कोयला क्षेत्र में सुधार से बिजली, इस्पात, एल्युमीनियम, सीमेंट, उर्वरक आदि जैसे कई अन्य क्षेत्रों पर भी सकारात्मक प्रभाव दिखेगा।
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