बीएस बातचीतस्टेनलेस स्टील बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी जिंदल स्टेनलेस स्टील लिमिटेड (जेएसएल) कोरिया और दक्षिण अमेरिका में नए निर्यात बाजारों तक पहुंच रही है क्योंकि तीसरी तिमाही से पहले घरेलू मांग में सुधार होने की कोई संभावना नहीं दिख रही है। जेएसएल के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने जयजित दास से खास बातचीत में कहा कि कंपनी ग्राहकों की मांग के साथ तालमेल बिठाते हुए उत्पादन में लचीला रुख अपना रही है। उन्होंने कहा कि कंपनी सितंबर 2020 तक पूर्ण क्षमता उपयोगिता स्तर तक पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि जेएसएल का ताजा पूंजीगत खर्च बाजार परिदृश्य और एबिटा वृद्धि पर उसके प्रभाव पर निर्भर करेगा। पेश हैं मुख्य अंश: वित्त वर्ष 2021 में इस्पात की मांग में उल्लेखनीय कमी आने के आसार हैं। ऐसे में क्या स्टेनलेस स्टील की मांग भी प्रभावित होगी? अन्य तमाम उद्योगों और वास्तव में भारतीय अर्थव्यवस्था की तरह स्टेनलेस स्टील उद्योग की समग्र वृद्धि वित्त वर्ष 2021 में प्रभावित होने की आशंका है। स्टेनलेस स्टील क्षेत्र का देश की जीडीपी वृद्धि से सीधा संबंध है। अप्रैल 2020 में आर्थिक गतिविधियां कई दशकों के निचले स्तर तक लुढ़क जाने से हमारे उद्योग के साथ-साथ कई अन्य उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इसका आपूर्ति शृंखला और उत्पाद योजना पर दूरगामी प्रभाव पड़ा है। अप्रैल पूरी तरह से चौपट रहा। मई से सुधार के संकेत दिखने शुरू हो गए। जून में हम मई के मुकाबले दोगुना मात्रात्मक बिक्री की उम्मीद करते हैं। हमारा मानना है कि स्टेनलेस स्टील की मांग चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही से ठीक हो जाएगी और हम सितंबर 2020 तक पूरी क्षमता उपयोगिता के स्तर को छू लेंगे।हाल में आपके निर्यात में तेजी देखी गई है। क्या मौजूदा विदेशी बाजारों से मांग में तेजी आ रही है अथवा आप नए बाजारों तक पहुंच रहे हैं? पिछले काफी समय से निर्यात हमारी बिक्री रणनीति का एक प्रमुख हिस्सा रहा है। यह हमें अपने बाजारों में विविधता लाने, उत्पाद मानकों के साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बने रहने और गुणवत्ता एवं लागत मापदंडों के साथ वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पधी बनने में मदद करता है। हम यूरोपीय संघ, पश्चिम एशिया, एशिया और रूस के बाजारों में निर्यात कर रहे हैं। आमतौर पर हमारी कुल बिक्री में निर्यात की हिस्सेदारी 18 से 20 फीसदी होती है। हालांकि कोविड-19 के प्रभाव से निपटने की अपनी रणनीति के तहत अप्रैल 2020 से हमने निर्यात के मोर्चे पर आक्रामक रुख अपनाया है। इसके तहत हमने पारंपरिक निर्यात बाजारों के अलावा कोरिया, दक्षिण अमेरिका के बाजारों में भी अपनी पहुंच बनाई है। यही कारण है कि मई में जेएसएल के कुल लदान में निर्यात की हिस्सेदारी 40 फीसदी से अधिक थी। जून में निर्यात की मात्रा कोविड पूर्व के स्तर पर वापस आने की उम्मीद है।इस वैश्विक महामारी के बीच लागत घटाने और परिचालन को युक्तिसंगत बनाने के लिए आपने क्या उपाय किए? परिचालन मार्जिन को बनाए रखने के लिए लागत को युक्तिसंगत बनाना काफी महत्त्वपूर्ण है। नए बाजार परिदृश्य को स्वीकार करते हुए हमने अपनी उत्पादन योजना में काफी रणनीतिक बदलाव किया है। हमने ग्राहक की जरूरतों और बाजार की मांग के अनुरूप अपने उत्पादन के लिए लचीला रुख अपनाया है। इससे हमारे कास्टिंग शेड््यूल को बिना किसी बाधा के चलाने में समर्थ बनाता है। साथ ही हमने आपूर्ति शृंखला के पूरे ढांचे को युक्तिसंगत बनाया है और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे उत्पाद ग्राहकों की आवश्यकता के अनुसार आसानी से आगे बढ़ रहे हैं। इससे काफी हद तक लागत को नियंत्रित करने में भी मदद मिली है। हम मांग के अनुसार यार्ड में सामग्री का भंडारण कर रहे हैं ताकि ओवरस्टॉकिंग से बचा जा सके। इसके अलावा हम कार्यशील पूंजी प्रबंधन पर जोर दे रहे हैं ताकि वित्तीय व्यवस्था को सुचारु रखा जा सके। मौजूदा संकट के दौरान अपने ग्राहकों विशेष तौर पर सबसे अधिक प्रभावित एमएसएमई के सहायता के लिए आपने क्या उपाय किए हैं? भारत में स्टेनलेस स्टील के कुल डाउनस्ट्रीम विनिर्माण में एमएसएमई का योगदान करीब 60 फीसदी है। जिंदल स्टेनलेस स्टील के लिए इनक्यूबेटिंग, हैंडहोल्डिंग और उभरते एमएसएमई शुरू से ही एक व्यापार दर्शन रहा है। उनके मदद के लिए और हमारे अन्य सभी ग्राहकों के लिए हमने बाजार में उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए अपने एमओयू की शर्तों को आसान बनाया है। हालांकि उन्हें बिक्री बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हमने प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन स्तर को बढ़ाया है। इसके अलावा हमने 3 से 6 महीने की योजना के तहत अपने चैनल पार्टनर के लिए उधारी की सीमा में भी विस्तार दिया है।वित्त वर्ष 2021 के लिए आपका पूंजीगत खर्च अनुमान क्या है? क्या आप इसमें कटौती करने की योजना बना रहे हैं? फिलहाल हमने पूंजीगत खर्च के लिए कोई बड़ी प्रतिबद्धता जाहिर नहीं की है और अच्छी बात यह है कि हमने अपनी क्षमता को सालाना 11 लाख टन तक बढ़ाया है जो पिछले साल सालाना 8 लाख टन थी। इस प्रकार इसमें करीब 35 फीसदी की वृद्धि हुई है। इस साल के लिए हमारी ऐसी ही योजनाएं हैं। जहां तक नए पूंजीगत खर्च का सवाल है तो हम मौजूदा परिदृश्य में सावधानी बरतेंगे और बाजार की गतिशीलता, व्यापार की प्रगति एवं एबिटा वृद्धि पर प्रभाव के आधार पर निर्णय लेंगे।
