चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ झड़प में 20 भारतीय सैनिकों मारे जाने और चीन द्वारा लद्दाख की गालवान घाटी में कब्जा किए गए इलाके को खाली न करने के खतरे के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवानों की शहादत पर शोक प्रकट करते हुए आज कहा कि भारत शांति चाहता है लेकिन उकसाने पर वह 'मुंह तोड़ जवाब' देगा। राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि हालात चाहे जैसे भी हों, भारत अपनी एक-एक इंच जमीन और अपने आत्म सम्मान की रक्षा करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह देश को आश्वस्त करना चाहते हैं कि इन जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। उन्होंने कहा, 'हमारे लिए देश की अखंडता और संप्रभुता सर्वोच्च है और उसकी रक्षा करने से हमें कोई नहीं रोक सकता। इस बारे में किसी को कोई संशय नहीं होना चाहिए।' गालवान घाटी में सोमवार को 19 जवानों और एक कमांडिंग ऑफिसर की शहादत के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री से देश को विश्वास में लेने की मांग की थी। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार शाम पांच बजे एक 'सर्वदलीय बैठक' बुलाई है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से गालवान घाटी के घटनाक्रम पर कड़ा प्रतिरोध दर्ज कराते हुए कहा है कि यह घटना 'दोनों देशों के आपसी रिश्ते पर गंभीर असर डालेगी।' विदेश मंत्रालय के अधिकारी और सैन्य नेतृत्व पूरा दिन चीनी समकक्षों तथा अन्य देशों से बातचीत करके ताजा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने का प्रयास करते रहे। हालांकि सार्वजनिक रूप से दोनों देशों ने एक दूसरे पर सीमा उल्लंघन का आरोप लगाया और गंभीर चेतावनी जारी कीं। जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने आपसी बातचीत में एक दूसरे के सैनिकों पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने कमांडरों के बीच 6 जून को बनी सहमति का उल्लंघन किया। दोनों ने एक दूसरे पर वास्तविक नियंत्रण रेखा के उल्लंघन का आरोप लगाया। इस बीच रूस के विदेश मंत्री सेर्गेइ लावरोव ने भारत-चीन के सैन्य नेतृत्त्व की तनाव कम करने की कोशिशों का स्वागत किया है। भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के मध्य रूस-भारत और चीन की 22 जून को होने वाली त्रिपक्षीय बैठक अनिश्चित काल के लिए टाल दी गई है। रूसी समाचार एजेंसी आरआईए ने भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी। चीन ने अब तक अपने सैनिकों की मौत के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है लेकिन चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने इसकी स्वीकारोक्ति दी है। चीन के विदेश मंत्री के साथ चर्चा में जयशंकर ने कहा कि चीन गालवान में भारतीय हिस्से में ढांचा खड़ा करने का प्रयास कर रहा था और ऐसा करके उसने 6 जून के समझौते का उल्लंघन किया। उन्होंने कहा कि इस विषय पर विवाद बढ़ा और चीन की सेना ने सुनियोजित तरीके से हमला किया और इस हिंसा और सैनिकों की शहादत के लिए वह प्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी है। जयशंकर ने कहा कि यथास्थिति बनाए रखने के तमाम समझौतों को धता बताते हुए चीन ने जमीनी हालात बदलने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि चीन को अपने कदमों के बारे में दोबारा सोचना चाहिए और जरूरी कदम उठाने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पक्षों के सैनिकों को एलएसी का पूरा मान रखते हुए एकपक्षीय कदम नहीं उठाना चाहिए। विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई कि दोनों ही पक्ष हालात बिगाडऩे वाला कोई कदम नहीं उठाएंगे। चीन सरकार की तरफ से जारी बयान में उसके विदेश मंत्री ने कहा है कि भारतीय सेना ने 15 जून को एलएसी को पार किया जिसकी वजह से भीषण संघर्ष हुआ और कई जवान हताहत हुए। चीनी विदेश मंत्री ने अपने देश की तरफ से विरोध दर्ज कराते हुए भारत से इस झड़प की विस्तृत जांच करने और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को कठोर दंड देने, अपनी अग्रिम टुकड़ी को काबू में रखने और उकसाने वाले सभी कदम फौरन रोकने की मांग की।
