वायदा में छोटे निवेशकों की रुचि | जश कृपलानी / मुंबई June 16, 2020 | | | | |
छोटे निवेशक वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) सेगमेंट में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं। अप्रैल में ऐसी गतिविधि का योगदान बढ़कर 41 प्रतिशत हो गया, जो पिछले 12 महीने के 38 प्रतिशत के औसत से ज्यादा है।
बाजारा कारोबारियों का कहना है कि बाजार में उतार-चढ़ाव की वजह से निवेशक इसका लाभ उठाने पर ध्यान दे रहे हैं।
सैमको सिक्योरिटीज के मुख्य कार्याधिकारी जिमीत मोदी ने कहा, 'उतार-चढ़ाव बढऩे से कारोबारियों को सपाट बाजार के मुकाबले ज्यादा अवसर मिलते हैं। बाजार में खुदरा ग्राहकों की दिलचस्पी सालाना आधार पर दोगुनी से ज्यादा बढ़ी है।'
बाजारों के उतार-चढ़ाव का मापक इंडिया वीआईएक्स इस साल अब तक मार्च में आठ गुना बढ़कर 83.61 की ऊंचाई को छू चुका है।
हालांकि बाजार कारोबारियों का कहना है कि एफऐंडओ के लिए ज्यादा निवेश छोटे कारोबारियों के लिए जोखिम वाला हो सकता है, क्योंकि प्रतिकूल हालात में आने वाले बड़े उतार-चढ़ाव से उनकी पूंजी को नुकसान पहुंच सकता है।
मंगलवार को निफ्टी (जिसका एफऐंडओ मेें बड़ा कारोबार होता है) भारत-चीन सीमा पर झड़प की खबरों से पहले दो प्रतिशत से ज्यादा की तेजी के साथ खुला और इसके बाद यह सूचकांक गिरावट की चपेट में आ गया था। हालांकि बाद में सुधरकर 1 प्रतिशत की तेजी के साथ बंद हुआ।
एक ब्रोकिंग फर्म के डीलर ने कहा, 'पुट ऑप्शन के साथ पोजीशन बनाने वाले निवेशकों को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा।'
उदाहरण के लिए, निफ्टी के 9,900 के स्ट्राइक प्राइस वाले पुट ऑप्शन ने 246 का दिन का ऊंचा स्तर छुआ जिसके बाद उसमें इन स्तरों से 54 प्रतिशत की गिरावट आई। उन्होंने कहा, 'इस तरह की कारोबारी रणनीतियों से पुट के लिए बड़े पोजीशन लेने वाले निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।'
ब्रोकरों का कहना है कि रिटेल निवेशकों को तभी एफऐंडओ सेगमेंट में पैसा लगाना चाहिए जब वे नुकसान को सहन कर सकते हों। एक ब्रोकरेज फर्म के प्रमुख ने कहा, 'निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो का 5-10 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा एफऐंडओ में नहीं लगाना चाहिए।'
विश्लेषकों का कहना है कि बाजार नियामक सेबी द्वारा मार्च के अंत में एफऐंडओ सेगमेंट में संस्थागत निवेशकों के लिए तय की गई सीमा का भी एफऐंडओ बिक्री में छोटे निवेशकों के ऊंचे अनुपात में योगदान हो सकता है।
शॉर्ट-सेलिंग को नियंत्रित करने, कुछ खास शर्तों के तहत एफऐंडओ सेगमेंट में लॉन्ग पोजीशन की अनुमति के लिए सेबी ने 23 मार्च से संस्थागत निवेशकों पर कुछ खास सीमाएं थोप दी थीं।
हालांकि कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह अस्थायी तेजी हो सकती है और बाद में छोटे निवेशकों की दिलचस्पी घट सकती है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में रिटेल रिसर्च के प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, 'लॉकडाउन के दौरान, हमने बाजार में कारोबारियों की दिलचस्पी में इजाफा देखा है। जो कर्मचारी अपने घरों में रहना पसंद कर रहे हैं उन्होंने बाजार में दैनिक उतार-चढ़ाव का लाभ उठाने के लिए अल्पावधि पर दांव लगाए हैं।' उन्होंने कहा, 'ज्यादा जोखिम लेने वाले कारोबारी एफऐंडओ में कारोबार कर रहे हैं। हालांकि इस अस्थायी परिवेश में कुछ ही कारोबारी पैसा कमाने में सफल रहेंगे, क्योंकि अनुशासन और पूंजी प्रबंधन सिद्घांतों को सही तरह से समझने में समय लगता है।'
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