तेल शोधन क्षमता दोगुनी करेगा भारत | शाइन जैकब / नई दिल्ली June 16, 2020 | | | | |
भारत अपनी तेल शोधन क्षमता को अगले 10 वर्षों में दोगुना कर करीब 45 से 50 करोड़ टन करने का लक्ष्य बना रहा है। केंद्रीय पेट्रोलियम और इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
देश पहले ही भारत के पश्चिमी तट में दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी पर काम कर रहा था और मंत्री ने कहा कि रिफाइनरी पर काम शीघ्र शुरू होगा।
44 अरब डॉलर की छह करोड़ टन क्षमता वाली पश्चिमी तट रिफाइनरी परियोजना जून 2018 में घोषित की गई थी। इसमें सऊदी अरामको और अबूधाबी नैशनल ऑयल कंपनी (एडनॉक) की 50 फीसदी हिस्सेदारी है और तेल विपणन कंपनियों- इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (एचपीसीएल) के पास बाकी बची हिस्सेदारी है। महाराष्ट्र में जमीन अधिग्रहण पर फंसे पेच को देखते हुए रिफाइनरी परियोजना के भविष्य को लेकर चिंताएं थी।
अतिरिक्त क्षमता राजस्थान के बाड़मेर में लगाई जा रही 90 लाख टन क्षमता की रिफाइनरी और गुजरात के कोयली, हरियाणा के पानीपत, ओडिशा के पारादीप, आंध्र प्रदेश के विजाग, मुंबई, मध्य प्रदेश के बीना, असम के नूमालीगढ़ और चेन्नई में रिफाइनरी परियोजनाओं के विस्?तार से आएगी।
प्रधान ने इस्पात क्षेत्र पर एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा, 'अगले 10 वर्ष में हमारी शोधन क्षमता बढ़कर 45 से 50 करोड़ टन हो जाएगी। इसमें पुरानी और नई दोनों परियोजनाएं शामिल होंगी।' शोधन क्षमता में इजाफा होने से इस्पात क्षेत्र के लिए अतिरिक्त मांग तैयार होगी। पेट्रोलियम प्लानिंग ऐंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के मुताबिक फिलहाल भारत के पास कुल शोधन क्षमता 24.99 करोड़ टन की है। भारत में 2019-20 के लिए पेट्रोलियम उत्पादों की खपत 21.37 करोड़ टन रही थी।
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