कोविड ने बिगाड़ी लखनऊ की चिकनकारी | सिद्धार्थ कलहंस / लखनऊ June 16, 2020 | | | | |
कोरोनावायरस क्या आया, ईद, गर्मी और सहालग में बढिय़ा धंधे की आस लगाए बैठे लखनऊ के चिकन कारोबारियों ने इस साल अच्छे दिन आने की उम्मीद ही छोड़ दी है। दो महीने से ज्यादा के लॉकडाउन के बाद शहर तो खुला मगर देश-विदेश मे मशहूर यहां के चिकन कारोबार में चौतरफा उदासी ही छाई है। बड़े कारोबारियों के पास चिकनकारी के तैयार माल का ढेर लगा है, जिसे खपाने का कोई रास्ता ही नजर नहीं आ रहा है। देश के भीतर और बाहर के बाजारों से ऑर्डर नहीं के बराबर आए हैं और चिकन के कपड़ों की फुटकर बिक्री करने वाली दुकानों पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है।
लखनऊ और आसपास के जिलों में तैयार होने वाले चिकन के कपड़ों की मांग खाड़ी देशों में काफी ज्यादा रहती है। गर्मी के मौसम में हर साल 150 से 200 करोड़ रुपये के ऑर्डर खाड़ी देशों से ही मिल जाते हैं। लखनऊ के मशहूर चिकन कारोबारी और खन्ना चिकन के प्रोप्राइटर अजय खन्ना ने बताया कि धंधे का सीजन होली से शुरू होता है और अगस्त के महीने तक चलता रहता है। इस बार होली के फौरन बाद लॉकडाउन हो गया। इसलिए होली का धंधा भी नहीं चला और ईद को भी कोरोनावायरस निगल गया। खन्ना ने कहा कि गर्मी बढऩे के साथ ही चिकन के कपड़ों की मांग भी बढ़ती है मगर इस बार लॉकडाउन ने सब कुछ खत्म कर दिया।
एकाएक आए कोरोनावायरस और लॉकडाउन ने इस कारेाबार को ऊपर से नीचे तक झटके दिए हैं। कारोबारी परेशान हैं तो चिकनकारी करने वाले कारीगर भी बेहाल हैं। लॉकडाउन शुरू होने के कुछ दिनों के भीतर ही इन कारीगरों की रोजी-रोटी छिन गई थी और इनमें से ज्यादातर सब्जी बेचने का काम कर रहे हैं। हाथ और नजर की बारीकी का हुनर दिखाने वाले कारीगर अब उसी तरह ठेले धकेलने को मजबूर हैं, जैसे नोटबंदी के बाद उन्हें फरमा और कढ़ाई की सुई छोड़कर ई-रिक्शे चलाने पड़े थे।
लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, बहराइच और बाराबंकी में कभी 10 लाख से ज्यादा कारीगर चिकनकारी में जुटे थे मगर अब उनकी तादाद बमुश्किल 4 लाख रह गई है। कारोबारियों को उनके लौटने की उम्मीद कम ही है। लखनऊ के ठाकुरगंज में चिकन का कारखाना चलाने वाले कायम रजा ने बताया कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद तीन चौथाई लोग भी पुराने धंधे में नहीं लौटे। जब धंधा ही नहीं है तो कारखाने किसके लिए खोले जाएंगे।
चिकन कारोबारी प्रणीत खुराना ने कहा कि नोटबंदी के बाद से बैठा चिकन का बाजार कब खड़ा होगा किसी को नहीं पता। पुराना माल इतना पड़ा है कि चिकन कारीगरों के पास लंबे समय तक काम नहीं रहेगा। इसलिए अगले साल मार्च में नया सीजन शुरू होने से पहले हालात सुधरने की गुंजाइश नहीं दिख रही। व्यापारी भी कह रहे हैं कि पुराना माल खरीदने के लिए ही कोई नहीं आ रहा है तो कर्मचारियों को बुलाकर क्या करेंगे और उनका वेतन कहां से निकालेंगे? अजय खन्ना ने बताया कि बाजार में बहुत से फुटकर चिकन विक्रेता दूसरे धंधे शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं क्योंकि अनलॉक शुरू होने पर बाजार तो खुले हैं मगर ग्राहक नहीं आ रहे हैं।
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