अग्रिम कर संग्रह 76 फीसदी घटा | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली June 16, 2020 | | | | |
कोरोनावायरस महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियों में अड़चन आने की वजह से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अग्रिम कर संग्रह में 76 फीसदी की तीव्र गिरावट आई है। अग्रिम कर संग्रह के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि इस साल कारोबारी जगत के आय का परिदृश्य ऋणात्मक रह सकता है। 15 जून तक प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 32 फीसदी कम रहा, जो केंद्र की राजकोषीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
चालू वित्त वर्ष में 15 जून तक (पहली किस्त की देय तिथि) अग्रिम कर संग्रह 12,000 करोड़ रुपये रहा। निगमित अग्रिम कर संग्रह 79 फीसदी घटकर 8,572 करोड़ रुपये रहा जो पिछले साल समान अवधि में 40,488 करोड़ रुपये था।
शुद्घ प्रत्यक्ष कर संग्रह 92,681 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 1.37 लाख करोड़ रुपये रहा था। इस दौरान केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा 45,143 करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 28 फीसदी कम है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'कर संग्रह के आंकड़े काफी निराशाजनक रहे हैं, जो फरवरी में आए बजट के अनुमान से काफी कम हैं। वित्त मंत्रालय को शीघ्रता से इन लक्ष्यों को संशोधित करने पर विचार करना चाहिए और उन्हेें वास्तविकता के करीब लाना चाहिए। अग्रिम कर के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि कंपनियां और व्यक्तिगत करदाता इस वित्त वर्ष में ऋणात्मक आय परिदृश्य का आकलन कर रहे हैं।' अग्रिम कर संग्रह के लिहाज से मुंबई को अहम जोन माना जाता है लेकिन यहां भी कर संग्रह में 87 फीसदी की गिरावट आई है, वहीं दिल्ली में 76 फीसदी, चेन्नई में 81 फीसदी और कोलकाता में 84 फीसदी की गिरावट आई है।
अग्रिम कर का मतलब यह होता है कि आगे के आय के अनुमान के आधार पर कर का भुगतान करना। इसके तहत पहली किस्त का भुगतान 15 जून तक (15 फीसदी), दूसरी किस्त 15 सितंबर (45 फीसदी) और तीसरी किस्त 15 दिसंबर (75 फीसदी) और 15 मार्च तक पूरा कर चुकाया जाता है।
कोविड संक्रमण के साथ ही उसके प्रसार को रोकनेे के लिए लॉकडाउन लगाने से अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों पर असर पड़ा है। वित्त वर्ष 2020 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्घि दर घटकर 11 साल के निचले स्तर 4.2 फीसदी रही, वहीं चालू वित्त वर्ष में मंदी का अनुमान लगाया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने बीते शुक्रवार को कहा था कि कोरोना संकट के कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होने से 2020-21 में देश की जीडीपी वृद्घि दर ऋणात्मक रह सकती है।
बजट में 13.19 लाख करोड़ रुपये कर संग्रह का लक्ष्य रखा गया है और इसे हासिल करने के लिए संग्रह में करीब 33 फीसदी वृद्घि की जरूरत होगी। 2019-20 में प्रत्यक्ष कर
संग्रह का संशोधित लक्ष्य भी हासिल नहीं हो पाया था और वह लक्ष्य से करीब 1.17 लाख करोड़ रुपये कम रहा था।
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