कोविड प्रभावित राज्यों ने मांगा बकाया | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली June 16, 2020 | | | | |
देशबंदी के कारण राज्यों का राजस्व बुरी तरह प्रभावित हुआ है और उन्होंने केंद्र सरकार से कहा है कि 2017-18 के बाद से एकीकृत वस्तु एवं सेवाकर (आईजीएसटी) के 20,000 करोड़ रुपये शेष बकाये का तेजी से भुगतान करे, जिसका समाधान अभी तक नहीं हुआ है। इस मसले पर शुक्रवार को हुई जीएसटी परिषद की 40वीं बैठक में चर्चा हुई थी और मामले को बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाले समूह को सौंप दिया गया था।
राज्यों का तर्क है कि जहां केंद्र सरकार ने हाल ही में दिसंबर, जनवरी और फरवरी का 36,400 करोड़ रुपये लंबित बकाया आईजीएसटी जारी किया है, वहीं उन्हें अभी और ज्यादा दिया जाना शेष है। सामान्यतया मुआवजे का भुगतान मुआवजा उपकर से किया जाता है, लेकिन उपकर संग्रह आर्थिक मंदी की वजह से गिरा है।
यह मसला 2017-18 में जीएसटी लागू किए जाने के वर्ष से जुड़ा हुआ है, जब 1.76 लाख करोड़ रुपये की बगैर समाधान की गई आईजीएसटी राशि को केंद्र सरकार ने राज्यों को देने के बजाय भारत की संचित निधि में डाल दिया था।
राज्यों को कर विभाजन के रूप में सिर्फ 42 प्रतिशत राशि मिली, जो 14वें वित्त आयोग के फॉर्मूले के मुताबिक दिया गया था और उन्हें 50 प्रतिशत हिस्सेदारी नहीं दी गई। इसके अलावा राज्यों ने यह मसला भी उठाया था कि इसमें से राज्यों को 42 प्रतिशत मिलना चाहिए, जिससे बगैर समाधान वाली राशि बढ़कर 55,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई।
इसमें से 36,400 करोड़ रुपये का भुगतान इस महीने की शुरुआत में राज्यों को मुआवजा राशि के रूप में की गई और 20,000 करोड़ रुपये का समाधान अभी तक नहीं हो सका है।
केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजक ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, '2017-18 में राज्यों को अस्थायी आधार पर आईजीएसटी के बंटवारे के बजाय इस राशि को भारत की संचित निधि में डाल दिया गया। ऐसे में राज्यों को सिर्फ कर विभाजन की राशि के रूप में सिर्फ 42 प्रतिशत मिला, जबकि आईजीएसटी का 50 प्रतिशत हमें मिलना चाहिए था और केंद्र के आधे हिस्से में से 42 प्रतिशत कर विभाजन के तहत मिलना चाहिए था। अब उन्होंने करीब 36,400 करोड़ रुपये जारी किए हैं।'
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एमएस मणि ने कहा, 'मौजूदा स्थिति में जहां केंद्र व राज्य दोनों का ही कर संग्रह दबाव में है और स्वास्थ्य खर्च बढऩे की वजह से व्यय का पहाड़ है, ऐसे में राज्यों के बकाये के मासिक समाधान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।' मुआवजा व्यवस्था को लेकर जुलाई में प्रस्तावित जीएसटी परिषद की बैठक में अलग से की जाएगी।
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