स्वास्थ्य बीमाधारकों को नियामक ने दी बड़ी राहत | मुंबई | | सुब्रत पांडा / June 16, 2020 | | | | |
बीमा नियामक ने कहा है कि स्वास्थ्य बीमाकर्ता उन पॉलिसीधारकों के दावों को खारिज नहीं करक सकते, जिनकी लगातार 8 साल से पॉलिसी चल रही है। ऐसे ममलों में बीमाकर्ता बीमित व्यक्ति के दावों को इस आधार पर खारिज नहीं कर सकते हैं कि व्यक्ति ने बीमा कराते समय दी जाने वाली जानकारियों में कुछ छोड़ दिया था।
यह प्रावधान उन 17 प्रावधानों में से है, जिसके बारे में बीमा नियामक ने बीमकर्ताओं से कहा है कि 1 अक्टूबर और उसके बाद से नई बीमा पॉलिसियों और 1 अप्रैल 2021 से मौजूदा पॉलिसियों का मानकीकरण करें।
मॉरेटोरियम 8 साल की अवधि होती है, जिस दौरान बीमित व्यक्ति ने लगातार अपनी पॉलिसी का नवीकरण कराया है और प्रीमियम का भुगतान किया है। बीमा नियामक ने कहा, 'मॉरेटोरियम अवधि खत्म होने के बाद धोखाधड़ी साबित होने और पॉलिसी कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद स्थायी रूप से बाहर किए जाने के अलावा किसी भी स्थिति में कोई भी स्वास्थ्य बीमा दावा खारित नहीं किया जा सकता। बहरहाल पॉलिसी पर सभी सीमाएं, उप सीमाएं, सह भुगतान और पॉलिसी के समझौतों के मुताबिक काटी जाने वाली राशि के नियम लागू होंगे।'
इसमें आगे कहा गया है, 'पॉलिसी के लगातार 8 साल पूरे होने के बाद पहले का मामला देखने का नियम लागू नहीं होगा।'
आईसीआईसीआी लोंबार्ड में हेल्थ ऐंड क्लेम के चीफ अंडरराइटिंग संजय दत्ता ने कहा, 'यहां मसला यह है कि 8 साल के बाद अगर पाया जाता है कि बीमाकर्ता ने कोई सूचना नहीं दी है, या प्रस्तुति में कोई गड़बड़ी हुई है, तब भी उस दावे का भुगतान करना होगा। इसकी प्रक्रिया पिछले साल से चल रही थी। 8 साल से ज्यादा वाले मामलों में बीमाकर्ता पिछला इतिहास नहीं देखेंगे कि बीमाकर्ता ने क्या क्या खुलासा किया है।'
पॉलिसी शुरू होने के समय के लंबे समय बाद स्वास्थ्य बीमा दावे किए जाते हैं। और कभी कभी बीमाकर्ता इस आधार पर दावों को खारिज कर देते हैं कि कुछ खुलासे नहीं किए गए थे, जिसकी वजह से दावे को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। ऐसा देखा गया है कि पॉलिसी लेते समय बहुत से लोग पूर्व शर्तों के बारे में वाकिफ नहीं होते हैं। इन आधारों पर बीमाकर्ता दावों को खारिज कर सकते हैं कि पॉलिसीधारक ने कम प्रीमियम भुगतान करने के लिए जानबूझकर खुलासा नहीं किया था। पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के बिजनेस हेड (स्वास्थ्य) अमित छाबड़ा ने कहा, 'दरअसल नियामक ने बीमा कंपनियों को 8 साल का वक्त दिया है कि वे सुनिश्चित कर लें कि पॉलिसीधारक ने क्या घोषणा की है और उसके बाद कंपनियां इस आधार पर दावे को खारिज नहीं कर सकती हैं कि बीमाधारक ने हर चीज का खुलासा नहीं किया था।' बजाज अलियांज जनरल इंश्योरेंस में रिटेल हेल्थ की प्रमुख डॉ नंदारगी ने कहा, 'पॉलिसीधारकों की ओर से दी गई जानकारी के आधार पर पॉलिसी तैयार की जाती है। अगर वे अपने स्वास्थ्य की स्थिति या मेडिकल हिस्ट्री से जुड़ी सही सूचना नहीं देते हैं तो दावों के सेटलमेंट के समय खुलासा न करने वाले प्रावधान लागू हो सकते हैं, जिससे पॉलिसी रद्द हो सकती है या उसमें छोड़ दी गई बातें जोड़ी जाती हैं।' उन्होंने कहा कि अब नियामक ने कहा है पॉलिसी 8 साल पूरी कर लेती है तो नॉन डिस्क्लोजर के प्रावधान लागू नहीं होंगे।
|