टाटा मोटर्स को 9,864 करोड़ रुपये का घाटा | एजेंसियां / नई दिल्ली June 15, 2020 | | | | |
देश की प्रमुख वाहन विनिर्माता कंपनी टाटा मोटर्स को मार्च में खत्म हुई चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 9,863.70 करोड़ रुपये का संचयी शुद्घ घाटा हुआ है। कोरोनावायरस महामारी के कारण घरेलू बाजार में कंपनी की बिक्री घटने के साथ ही ब्रिटेन की इकाई जगुआर लैंडरोवर (जेएलआर) की बिक्री भी प्रभावित हुई है। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में कंपनी को 1,108.66 करोड़ रुपये का शुद्घ मुनाफा हुआ था।
मार्च 2020 तिमाही में टाटा मोटर्स की संचयी आय 62,492.96 करोड़ रुपये रही। पिछले साल की समान तिमाही में कंपनी की आय 86,422.33 करोड़ रुपये रही थी। एकल आधार पर टाटा मोटर्स का परिचालन घाटा जनवरी-मार्च 2020 तिमाही में 4,871.05 करोड़ रुपये रहा। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में कंपनी को 106.19 करोड़ रुपये का एकल शुद्घ मुनाफा हुआ था।
समीक्षाधीन तिमाही में जगुआर लैंडरोवर को 50.1 करोड़ पाउंड का घाटा हुआ, वहीं इस इकाई का राजस्व 5.4 अरब पाउंड रहा।
पूरे वित्त वर्ष 2019-20 में टाटा मोटर्स का संचयी शुद्घ घाटा 11,975.23 करोड़ रुपये का रहा। 2018-19 में कंपनी को 28,7244 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। पूरे वित्त वर्ष के दौरान कंपनी की आय 2,61,724 करोड़ रुपये रही जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में कंपनी की आय 3,01,938 करोड़ रुपये रही थी। 2019-20 में जेएलआर का शुद्घ घाटा 4.22 करोड़ पाउंड का रहा जबकि आय 23 अरब पाउंड रही।
भारत में पिछले कुछ समय से आर्थिक गतिविधियां सुस्त पडऩे, नकदी की कमी और बीएस-4 से बीएस-6 प्रणाली की तरफ बढऩे से मांग पर पहले ही प्रतिकूल असर हो चुका था, लेकिन लॉकडाउन ने रही सही कसर भी पूरी कर दी। टाटा मोटर्स ने बयान में कहा कि बिक्री के आंकड़े कमजोर रहने, खासकर मझोले और भारी वाणिज्यिक वाहनों की मांग घटने से कंपनी के मुनाफे और इसकी नकदी की स्थिति दोनों पर असर हुआ।
ब्रिटेन में अपनी सहायक इकाई जेएलआर के बारे में टाटा मोटर्स ने कहा कि दूसरी एवं तीसरी तिमाहियों में इसके मुनाफे में लौटने के बाद काफी उम्मीदें बंधी थीं, लेकिन चौथी तिमाही में यह कोविड-19 संक्रमण से पैदा हुए हालात का शिकार हो गई। टाटा मोटर्स के मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक गुंटेर बट्सचेक ने कहा कि वाहन उद्योग को वित्त वर्ष 2019-20 में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। इस दौरान नकदी संकट, ईंधन की ऊंची कीमतें, भार वहन करने संबंधी नियमों में बदलाव और बीएस-6 प्रणाली के आने से वाहन उद्योग के लिए रफ्तार बनाए रखना मुश्किल हो गया। इससे बाजार में वाहनों की मांग पर खासा असर हुआ और लगभग सभी वाहन श्रेणियों में मांग प्रभावित हुई।
बट्सचेक ने कहा कि खुदरा स्तर पर जोर देने, बीएस-4 संस्करण की सभी वाहन बेचने पर जोर देने और लागत में कमी के प्रयासों के बावजूद कंपनी वित्तीय आंकड़ों पर चोट कम नहीं कर पाई।
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