बिजली उत्पादन को भी कोरोना का झटका, खपत घटी | |
बीएस संवाददाता / लखनऊ 06 15, 2020 | | | | |
कोरोना संकट की वजह से उत्तर प्रदेश में न केवल बजली की खपत घटी है, बल्कि बिजली घरों की उत्पादन क्षमता पर भी असर पड़ा है। अप्रैल महीने में बिजली की औद्योगिक खपत शून्य के करीब पहुंच जाने से भी उत्पादन को नीचे लाना पड़ा था।
कोविड-19 के कारण अप्रैल-मई में लॉकडाउन का उत्पादन निगम के बिजली घरों पर खासा बुरा असर पड़ा है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम के मुताबिक 5,469 मेगावाट क्षमता के अनपरा ओबरा पारीछा और हरदुआगंज बिजलीघरों ने लॉकडाउन के इन दो महीनों के दौरान बीते साल से 1,538 मेगावाट कम बिजली का उत्पादन किया है। बिजली खपत न होने से कई बिजली घर बंद करा दिए जाने और कई बिजली घरों से लगातार थर्मल बैंकिंग (उत्पादन कम कराना) कराए जाने को इसकी वजह बताई जा रही है। उत्पादन घटाने के कारण बिजली घरों के प्लांट लोड फैक्टर (पीएलएफ) पर भी असर पड़ा है।
उत्पादन निगम के चारों बिजली घरों ने लॉकडाउन के अप्रैल मई माह के दौरान महज 47.55 फीसदी पीएलएफ़ पर बिजली पैदा की, जो बीते एक दशक का सर्वाधिक खराब प्रदर्शन रहा। बीते साल इन बिजली घरों ने 70.33 फीसदी पीएलएफ पर 5,344 मिलियन यूनिट बिजली पैदा की थी। अनपरा ने इन दो महीनों में 62.90 फीसदी पीएलएफ पर 2422 मिलियन यूनिट बिजली का ही उत्पादन किया, जबकि बीते साल इन दो महीनों में 90.32 फीसदी पीएलएफ पर 3478 मिलियन यूनिट उत्पादन किया गया था।
इसी तरह ओबरा बिजलीघर ने 41.48 फीसदी पीएलएफ पर 664 मिलियन यूनिट, पारीछा ने महज 28.29 फीसदी पीएलएफ पर 472 मिलियन यूनिट और हरदुआगंज ने 26.80 फीसदी पीएलएफ पर कुल 238 मिलियन बिजली का ही उत्पादन किया है जो इन बिजली घरों का अप्रैल और मई महीनों का न्यूनतम बिजली उत्पादन रहा है।
हालांकि इस बीच रिहंद और ओबरा जल विद्युत गृहों के उत्पादन में अप्रैल और मई के दौरान खासा इजाफा दर्ज किया गया। शीर्ष मांग के समय आसानी से इन बिजलीघरों की इकाइयां चालू करवाए जाने के कारण इन दोनों बिजली घरों से 115.64 मिलियन यूनिट बिजली ली गई, जबकि बीते साल इन महीनों में महज 35 मिलियन यूनिट ही बिजली उत्पादन कर सके थे। उद्योगों के कम जल दोहन के कारण ही इस साल रिहंद जलाशय में अब भी लगभग 10 फुट से अधिक पानी भरा है। जिसका बारिश से पूर्व इस्तेमाल बिजली में करना जरूरी है। इस साल 14 जून को जलाशय का जलस्तर 840.6 फुट था जो बीते साल के जल स्तर 838.2 से 2.4 फुट अधिक है।
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों का तापमान में इजाफे के बाद भी मई महीने में प्रदेश में रोजाना बिजली खपत महज 329 मिलियन यूनिट ही रही। बिजली की रोजाना औसत खपत बीते साल मई महीने में 408 मिलियन यूनिट से अधिक थी। कोरोना संकट के दौरान लगभग 179 मिलियन औसत रोजाना बिजली खपत में आई कमी के कारण ही तमाम बिजलीघरों से उत्पादन कम करवाया गया है।
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