घरेलू उड़ानों की क्षमता बढ़ाने पर हो रहा विचार | अरिंदम मजूमदार / नई दिल्ली June 14, 2020 | | | | |
सरकार अर्थव्यवस्था को आगे और खोलने के संकेेत दिए हैं, ऐसे मे नागर विमानन मंत्रालय चाहता है कि घरेलू उड़ानों का संचालन बढ़ाकर कुल क्षमता का 50 फीसदी किया जाए।
घरेलू उड़ानों को 25 मई से बहाल किया गया था लेकिन विमानन कंपनियों को कुल क्षमता के एक-तिहाई (33 फीसदी) विमानों का ही परिचालन करने की अनुमति दी गई थी। मंत्रालय ने विमानन कंपनियों से परिचालन बढ़ाने की व्यवहार्यता के बारे में सुझाव मांगा है। हालांकि उद्योग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इंडिगो और एयर इंडिया को छोड़कर अन्य विमानन कंपनियां कमजोर मांग को परिचालन बढ़ाने में चुनौती बता रह हैं।
उन्होंने संकेत दिए कि यात्री विभिन्न राज्यों की पाबंदियों को लेकर अनिश्चितता से चिंतित हैं, ऐसे में हवाई उड़ानों की मांग कम है और परिचालन बढ़ाना कठिन होगा।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि विमानन कंपनियों और राज्य सरकारों को इस बारे में सुझाव देने को कहा गया है। उन्होंने कहा, '20 दिनों के परिचालन के बाद हमें लगता है कि चीजों को सगुमता से किया जा रहा है और सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है, जो बताता है कि हवाई उड़ानें सुरक्षित हैं और इसका विस्तार किया जाना चाहिए।'
उन्होंने बताया कि अब तक आंकड़ों से स्पष्ट है कि हवाई यात्रा काफी सुरक्षित है और प्रस्थान और आगमन पर यात्रियों की पूरी तरह से जांच की जाती है। 25 मई के बाद से एक फीसदी से भी कम यात्री ऐसे पाए गए जिनमें संक्रमण था। इसके साथ ही घरेलू उड़ानों का संचालन बढऩेे के बाद मिलने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर अंतरराष्ट्रीय उड़ान शुरू करने पर विचार किया जा सकता है।
इंडिगो ने सरकार के इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि वह 50 फीसदी उड़ानें संचालित करने के लिए तैयार है। विमानन कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, 'इंडिगो ने सरकार को सूचित किया है कि अगर अनुमति मिलती है तो वह 50 फीसदी क्षमता के साथ परिचालन कर सकती है।'
लेकिन स्पाइसजेट, गोएयर, एयर एशिया और विस्तारा का कहना है कि सभी मार्गों पर 50 फीसदी क्षमता के परिचालन करना व्यवहार्य नहीं होगा क्योंकि मांग काफी कम है।
इसके अलावा ज्यादातर यात्री एक तरफ कका ही टिकट ले रहे हैं। ऐसे में विमानन कंपनियों को दिक्कत आ रही है। कारोबार के सिलसिले में होने वाली यात्रा की भी अभी कम मांग है।
इंडिगो परिचालन बढ़ाने की इच्छुक इसलिए है क्योंकि प्रतिस्पद्र्घी कंपनियों की तुलना में उसके पास अच्छी खासी नकदी है। इससे कंपनी कम यात्रियों के साथ भी परिचालन कर सकती है, जिसकी भरपाई ज्यादा मांग वाले मार्गों से कर सकती है। एक विमानन कंपनी के अधिकारी ने कहा, 'भारतीय विमानन कंपनियां प्रति उड़ान कम से कम 80 फीसदी सीटें भरने पर ही ब्रेक इवन में आ सकती है। लेकिन मौजूदा समय में कई मार्गों पर इतनी सीटें नहीं भर पा रही हैं।'
स्पाइसजेेट और गोएयर जैसी कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि जब तक मांग में सुधार नहीं होता है, परिचालन का विस्तार करना कठिन होगा। स्पाइसजेट अभी रोजाना 75 उड़ानें और गोएयर 35 उड़ानें संचालित कर रही हैं।
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