कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुए व्यवधान से भारतीय इस्पात कंपनियों के लिए चीन को निर्यात का अवसर पैदा हुआ है। चीन मिश्र धातु का उत्पादन करने वाला विश्व का सबसे बड़ा देश है। घरेलू इस्पात कंपनियां चीन में पैदा हुए मांग की खाई को पाटने की दौड़ में शामिल हो गई हैं। यही कारण है कि अप्रैल और मई के दौरान घरेलू इस्पात उत्पादकों ने अधिकांश कच्चे इस्पात का निर्यात चीन को किया। अप्रैल में कच्चे इस्पात के निर्यात में सालाना आधार पर 66 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि चीन को होने वाले कच्चे इस्पात के निर्यात का सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है लेकिन इस्पात उत्पादकों का कहना है कि अधिकांश उत्पाद चीन को निर्यात किया गया। कुल इस्पात के निर्यात में कच्चे इस्पात की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2019 मेंं 26 फीसदी और वित्त वर्ष 2020 में 25 फीसदी थी। लेकिन अप्रैल में यह हिस्सेदारी बढ़कर 41 फीसदी हो गई। सरकारी इस्पात कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) ने इस साल अप्रैल और मई के दौरान चीन को 1,30,000 टन कच्चे इस्पात का निर्यात किया। जबकि इस अवधि में कंपनी का कुल निर्यात 2,00,000 टन रहा। इस प्रकार अप्रैल और मई के दौरान कंपनी के कुल निर्यात में चीन को हुए निर्यात की हिस्सेदारी करीब 65 फीसदी रही। राष्ट्रीय इस्पात निगम (आरआईएनएल) ने कहा कि उसने मई में चीन को करीब 90,000 टन इस्पात का निर्यात किया। आरआईएनएल ने कहा, 'यह सबको पता है कि चीन में फिलहाल इस्पात पिघलाने वाले संयंत्रों का इस्तेमाल नहीं हो रहा है लेकिन वह अपने निर्माण क्षेत्र और बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केवल मिलों का परिचालन कर रहा है।' इस्पात उत्पादन करने वाली निजी क्षेत्र की सभी प्रमुख कंपनियां भी चीन को निर्यात कर रही हैं। जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (वाणिज्यिक एवं विपणन) जयंत आचार्य ने कहा, 'चीन कच्चे इस्पात और हॉट-रोल्ड कॉइल खरीद रहा है ताकि वह उसे डाउनस्ट्रीम उत्पादों में आसानी से बदल सके।' जिंदल स्टील ऐंड पावर के प्रबंध निदेशक वीआर शर्मा ने भी कहा कि चीन कच्चे इस्पात के लिए एक अच्छे बाजार के तौर पर उभरा है। समझा जाता है कि टाटा स्टील भी चीन को निर्यात कर रही है। उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि भारत पिछले कई वर्षों से चीन को इस्पात का निर्यात करता रहा है लेकिन फिलहाल वह भारतीय इस्पात विशेष तौर पर कच्चे इस्पात के एक नए बाजार के तौर पर उभरा है। भारत ज्यादातर चीन से आयात करता है। वित्त वर्ष 2020 में चीन से इस्पात का कुल आयात 12.1 लाख टन रहा जबकि निर्यात शून्य रहा था। हालांकि उसमें कच्चे इस्पात को शामिल नहीं किया गया है। चीन की मांग में खाई इसलिए दिख रही है क्योंकि वहां अब कामकाज सामान्य होने लगा है। वल्र्ड स्टील एसोसिएशन (डब्ल्यूएसए) के अनुसार, इस साल वैश्विक इस्पात मांग में कमी की काफी हद तक भरपाई चीन में विश्व के अन्य हिस्सों के मुकाबले तेजी से हो रहे सुधार से हो जाएगी। एसोसिएशन ने उम्मीद जताई है कि वर्ष 2020 में चीन से इस्पात की मांग में 1 फीसदी की वृद्धि होगी। जबकि विकसित देशों से इस्पात की मांग में करीब 17 फीसदी की गिरावट आएगी। आचार्य ने उम्मीद जताई कि चीन से निर्यात मांग में तेजी अभी बरकरार रहेगी क्योंकि वह अपना घरेलू पूंजीगत व्यय बढ़ा रहा है जिससे मांग को रफ्तार मिलेगी। आरआईएनएल ने भी कहा कि अगले कुछ महीनों के दौरान कच्चे इस्पात के निर्यात में चीन की उल्लेखनीय हिस्सेदारी रहेगी। इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जयंत रॉय ने कच्चे इस्पात के निर्यात को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा, 'आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में भारत ने करीब 3 लाख टन कच्चे इस्पात का निर्यात किया जो उस महीने के लिए देश के कुल इस्पात निर्यात के मुकाबले 40 फीसदी अधिक है। घरेलू मांग के अभाव में निर्यात से इस्पात उत्पादकों को फिलहाल थोड़ी राहत जरूर मिली है लेकिन कम मूल्यवर्धित इस्पात का निर्यात मध्यम से लंबी अवधि में देश के इस्पात क्षेत्र के लिए सही नहीं है।'
