ग्रामीण अर्थव्यवस्था से मिल रहे मांग बढऩे के संकेत | नम्रता आचार्य, अभिषेक रक्षित और ईशिता आयान दत्त / कोलकाता June 13, 2020 | | | | |
कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए बड़े शहरी खपत केंद्रों के बड़े हिस्सों में प्रतिबंधों के बीच ग्रामीण भारत आरंभिक आर्थिक गतिविधि के लिए रास्ता तैयार कर रहा है, जो अप्रैल में लगभग बंद हो गया था।
मई और जून में मांग में सुधार मोटे तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों से आई है। इसके कई कारण हैं जैसे कि ग्रामीण इलाकों में आर्थिक गतिविधि जारी रही है, उपज अच्छी हुई है, मनरेगा के तहत अधिक आवंटन किया गया है और सामान्य मॉनसून रहने की उम्मीद जताई गई है।
किसानों की मनोदशा का एक बड़ा संकेत मई में हुई ट्रैक्टरों की बिक्री से मिलता है। उद्योग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक घरेलू ट्रैक्टरों की बिक्री में करीब 5 फीसदी की उछाल नजर आई। पिछले वर्ष मई में घरेलू ट्रैक्टरों की बिक्री करीब 58,000 रही थी जो कि पिछले महीने 61,000 रही। इसकी प्रमुख वजह इस साल फसलों की अच्छी उपज का होना है। एक बड़ी ट्रैक्टर विनिर्माता इकाई के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'किसानों के पास केंद्र और राज्य सरकार से प्राप्त हुए खर्च करने योग्य पैसा है।'
भारत का खाद्यान्न उत्पादन 2019-20 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में रिकॉर्ड 29.195 करोड़ टन अनुमानित है जो 29.1 करोड़ टन के लक्ष्य से अधिक है। भरपूर उत्पादन से ग्रामीण उपकरणों की मांग में उछाल आ रही है।
उदाहरण के लिए ग्रामीण इलाकों के निर्माण कार्यों में गति आने से मई महीने में श्रेई इक्विपमेंट फाइनैंस के कारोबार में सामान्य का करीब 40 फीसदी सुधार आया। निस्संदेह अप्रैल में कंपनी का कारोबार करीब करीब शून्य पर पहुंच गया था।
श्रेई इक्विपमेंट फाइनैंस के प्रबंध निदेशक डीके व्यास ने कहा, 'जुलाई तक निर्माण गतिविधि में और तेजी आएगी और मॉनसून के उपरांत सितंबर में यह काफी अधिक होगी।' ग्रामीण इलाकों में लॉकडाउन में ढील काफी पहले ही दे दी गई थी। इससे निर्माण गतिविधि शुरू हो गई जिससे स्टील और सीमेंट की मांग ने जोर पकड़ा। उदाहरण के लिए स्टील की मांग में यदि 30 से 35 फीसदी का सुधार है तो आधी मांग ग्रामीण क्षेत्र से आई है। एएम/एनएस इंडिया (आर्सेलर मित्तल निप्पन स्टील इंडिया) के मुख्य विपणन अधिकारी रंजन धर ने कहा कि मई में ग्रामीण इलाकों में निर्माण और कृषि उपकरण क्षेत्र से स्टील की मांग में अच्छी खासी सुधार नजर आई है। उन्होंने कहा, 'छत डालना, शेड, साइलो के निर्माण जैसी मॉनसून पूर्व की गतिविधि में तेजी आई है जिससे स्टील की मांग सुधरी है। सामान्य तौर पर ये गतिविधियां मार्च के बाद से शुरू हो जाती हैं। लेकिन इस साल लॉकडाउन के कारण गतिविधियां पूरी तरह से ठप पड़ गई थी। लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद से इस तरह की गतिविधियां फिर से शुरू हो गई हैं।'
सीमेंट कंपनियों को भी इसी तरह का लाभ मिल रहा है। जेएसडब्ल्यू सीमेंट के मुख्य कार्याधिकारी नीलेश नारवेकर ने कहा कि अब तक ग्रामीण इलाकों में वृद्धि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर सरकारी खर्च और व्यक्तिगत बिल्डरों के कारण से है जो अपनी परियोजनाएं पूरी कर रहे हैं। ये परियोजनाएं लॉकडाउन में ठप पड़ चुकी थी।
अर्थव्यवस्था के और नीचे जाने का जोखिम
देश में लंबे समय से जारी लॉकडाउन के चलते चालू वित्त वर्ष में जहां भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी आने की आशंका है वहीं लॉकडाउन में ढील के बाद कोविड-19 के मरीजों की बढ़ती संख्या से देश का आर्थिक परिदृश्य और गिरावट के जोखिम को दिखा रहा है। आईएचएस मार्किट ने शुक्रवार को कहा, 'लंबे लॉकडाउन का असर देश के औद्योगिक उत्पादन व उपभोक्ता व्यय दोनों पर गहरा है।' भाषा
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