औद्योगिक उत्पादन में तेज गिरावट | |
शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली 06 12, 2020 | | | | |
लॉकडाउन की वजह से औद्योगिक उत्पादन में अप्रैल माह में अब तक की सबसे बड़ी 55.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। मार्च में भी औद्योगिक उत्पादन 18.3 फीसदी घटा था।
पूरे अप्रैल में लॉकडाउन की सख्ती का हवाला देते हुए सरकार ने कहा कि केवल औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आंकड़े और वृद्धि के आंकड़े ही जारी किए गए हैं। सरकार ने स्पष्ट किया कि अधिकांश कारखानों ने उत्पादन पूरी तरह से ठप होने की बात कही है, ऐसे में इन आंकड़ों की पिछले महीनों से तुलना नहीं की जा सकती है।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने कहा, 'अप्रैल के आईआईपी के आंकड़ों की तुलना पिछले महीनों से नहीं की जा सकती।'
इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, 'लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था के विभिन्न हिस्सों पर किस तरह का असर पड़ा है, उसे इन आंकड़ों से समझा जा सकता है। इसलिए हमने अप्रैल के आंकड़ों में विभिन्न क्षेत्रों में सालाना आधार पर आई गिरावट का विश्लेषण किया है। इससे आने वाले महीनों में औद्योगिक गतिविधियों में सुधार का आकलन करने में मदद मिलेगी।'
विशेषज्ञों का कहना है कि बुरा दौर अब खत्म हो गया है और मई से औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आएगी। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 78 फीसदी भारांश वाले विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन अप्रैल में 64.2 फीसदी घटा है। विश्लेषकों ने कहा कि मार्च में केवल सात दिन लॉकडाउन था लेकिन विनिर्माण में 22.4 फीसदी की गिरावट आई थी। विनिर्माण क्षेत्र के सभी 23 उप-क्षेत्रों में सालाना आधार पर गिरावट दर्ज की गई। केयर रेटिंग्स के विश्लेषकों ने कहा कि वाहप, चमड़ा, फर्नीचर, इलेक्ट्रिकल उपकरणों आदि में करीब 90 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। 23 उद्योगों में से 19 के उत्पादन में 50 फीसदी या उससे अधिक की गिरावट आई।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि औद्योगिक उत्पादन में आगे भी नरमी बनी रह सकती है। पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में 90 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई। पिछले 15 महीनों से इस क्षेत्र के उत्पादन में गिरावट का रुख बना हुआ है। नीतिनिर्माताओं ने आशंका जताई कि सरकार की ओर से हरसंभव प्रयास किए हैं लेकिन पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में सुधार होने में थोड़ा वक्त लग सकता है।
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स क्षेत्र के उत्पादन में भी अप्रैल के दौरान करीब 33 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। कोविड-19 संकट से पहले भी इस क्षेत्र के उत्पादन में गिरावट देखी जा रहा है। गैर-आवश्यक मांग टलने की वजह से इस खंड का उत्पादन करीब 95 फीसदी घटा है।
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