देशव्यापी लॉकडाउन में ढील से दूध की खपत बढ़ी | दिलीप कुमार झा / मुंबई June 12, 2020 | | | | |
अप्रैल और मई में 25 से 30 फीसदी तक की गिरावट आने के बाद देशव्यापी लॉकडाउन में आंशिक ढील दिए जाने के कारण होटल, रेस्तरां तथा खानपान सेवाओं के धीरे-धीरे खुलने से देश की दूध खपत में जून में कुछ सुधार आया है। दूध खपत में इस सुधार से किसानों, प्रसंस्करण करने वाली कंपनियों और सरकार सहित डेरी मूल्य शृंखला के सभी हितधारकों को बड़ी राहत मिली है। आपूर्ति की अधिकता को कम करने के अलावा दूध की खपत में इस बढ़ोतरी से उन डेयरी कंपनियों के दबाव में भी कमी आएगी, जो 25 मार्च से शुरू होने वाले लगभग 10 सप्ताह के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण गंभीर आर्थिक परेशानी से जूझ रही थी।
विश्वव्यापी कोरोनावायरस (कोविड-19) महामारी का प्रसार रोकने के लिए 25 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के परिणामस्वरूप सड़क किनारे चाय बेचने वाले, होटल, रेस्तरां और खानपान सेवा सहित दूध की सभी प्रमुख खपत वाले क्षेत्र बंद हो गए थे। इसके अलावा उपभोक्ताओं ने आइसक्रीम, केक और अन्य ऐसे उत्पादों से भी दूरी बना ली थी, जिनमें दूध और इसके उत्पादों का काफी ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने कहा कि खानपान सेवाओं को सीमित संख्या में काम की अनुमति के कारण दुकानों, होटलों और रेस्तरां आदि धीरे-धीरे खुलने से दूध खपत की स्थिति में 5 से 10 फीसदी का सुधार हुआ है। हमारा मानना है कि आगे चलकर अर्थव्यवस्था खुलना का दायरा बढऩे के साथ ही दूध की खपत में और सुधार आएगा।
देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा ऐसे समय में की गई थी, जब डेयरी कंपनियां दूध की आपूर्ति कम रहने की संभावना जता रही थी क्योंकि पिछले साल देश भर में बाढ़ में बड़ी संख्या में दुधारू पशु मारे गए थे। ताजा निवेश के लिए डेयरी किसान सरकार की आर्थिक सहायता का इंतजार कर रहे थे। इसके उलट केयर रेटिंग्स का पूर्वानुमान है कि वित्त वर्ष 20 में देश का दूध उत्पादन 3.9 फीसदी तक बढ़कर 10.5 करोड़ टन हो चुका है। इसके अलावा वित्त वर्ष 19 और वित्त 23 के बीच दूध उत्पादन करीब 4.8 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़कर वित्त वर्ष 23 तक 22.6करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद है, जबकि इस दौरान प्रति व्यक्ति उपलब्धता की चक्रवृद्धि वार्षिक रफ्तार लगभग 4.6 फीसदी रहने की संभावना है जो वित्त वर्ष 23 तक 470 ग्राम प्रतिदिन का स्तर पार कर लेगी।
लॉकडाउन की घोषणा ऐसे वक्त की गई थी, जब दूध देने वाले पशुओं की उत्पादकता साल में सर्वाधिक होती है। चिलिंग यूनिट, परिवहनसुविधा और श्रमशक्ति की कमी के कारण किसानों को दूध 24 से 25 रुपये प्रति लीटर या दूध खराब होने के डर से (ताजा दूध आमतौर पर अधिकतम तीन घंटे तक ही सही रहता है) कुछ स्थानों में 19 से 20 रुपये प्रति लीटर के भाव पर भी बेचना पड़ा था। लॉकडाउनसे पहले डेयरी कंपनियां देश भर में दूध खरीद के लिए प्रति लीटर 30 से 31 रुपये का भुगतान कर रही थीं।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज लिमिटेड के विश्लेषक अनिरुद्ध जोशी ने कहा कि हमारा अनुमान है कि होटल, रेस्तरां और खानपान सेवाओंके साथ-साथ मूल्य संवद्र्धन के लिए डेयरी कंपनियों की मांग में भी गिरावट आने की वजह से जून तिमाही में दूध खरीद के दामों में 20 फीसदी तक की कमी आई है। शादी-विवाह और चैत्र नवरात्रि, अक्षय तृतीया तथा ईद जैसे अन्य वार्षिक त्योहारों के कार्यक्रम टलने की वजह से मांग में कमी के बावजूद इस अवधि के दौरान डेयरी कंपनियों ने स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी), पनीर और मक्खन उत्पादन बढ़ाया है। सोढ़ी ने कहा, हमें उम्मीद है कि आने वाले महीनों में पनीर और मक्खन की मांग धीरे-धीरे बढ़ेगी। हालांकि इस बीच कुछ प्रतिबंधों के साथ रेस्तरां को होम-डिलिवरी की अनुमति दी जा चुकी है और 8 जून से गैर-एसी रेस्तरां में कुल क्षमता के 50 फीसदी स्तर के साथ वहीं बैठकर खाने-पीने की अनुमति मिल चुकी है। हालांकि रेस्तरां खोलने का फैसला राज्यों के हाथ में है। इस तरह पूंजीगत व्यय में निवेश और विस्तार योजना पर जल्द कोई फैसला नहीं लिए जाने के आसार हैं।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि वर्तमान में लॉकडाउन की स्थिति के कारण जनू 2020 में परियोजनाओं में निवेश गिरकर शून्य होने की आशंका हैं। इस स्थिति में आगे और इजाफा होने की संभावना है। इस बीच संगठित डेरी भागीदारों द्वारा कम कीमतों पर एसएमपी/दूध की खरीद की जा रही है। वे पहले ही खुदरा दूध की कीमतों में बढ़ोतरी कर चुके हैं। इससे आने वाले महीनों में मार्जिन वृद्धि में सहायता मिलेगी।
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