वैश्विक बाजारों के साथ भारतीय बाजार कोविड-19 के दूसरे दौर की चिंता को लेकर टूट गए। साथ ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर लंबे समय तक इसके असर के फेडरल रिजर्व के आकलन का भी असर पड़ा। निफ्टी 2.1 फीसदी यानी 214 अंक टूटकर 9,902 अंक पर बंद हुआ जबकि सेंसेक्स 2.07 फीसदी यानी 709 अंक फिसला और अंत में 33,538 अंक पर बंद हुआ। 18 मई के बाद दोनों सूचकांकों की सबसे बड़ी एक दिवसीय गिरावट है।
ज्यादातर वैश्विक इक्विटी करीब 2 फीसदी टूट गए क्योंकि अमेरिकी फ्यूचर ने वॉल स्ट्रीट पर नुकसान के एक और दिन का संकेत दिया। यूएस फेड चेयरमैन जे पॉवेल ने कहा कि इस महामारी का अर्थव्यवस्था पर असर लंबे समय तक रह सकता है। उन्होंने कहा कि वह दरें बढ़ाने के बारे में भी नहीं सोच रहे और नौकरी के बाजार को लेकर चिंता है कि उसे रिकवरी में संघर्ष करना पड़ सकता है, लॉकडाउन की पाबंदी में ढील के बाद भी।
एवेंडस कैपिटल ऑल्टरनेटिव स्ट्रैटिजीज के सीईओ एंड्र्यू हॉलैंड ने कहा, फेड का बयान बताता है कि आर्थिक रिकवरी लोगों की उम्मीद से धीमी रहेगी। साथ ही बाजार इसलिए टूटा क्योंकि वी आकार की रिकवरी शायद नहीं होगी। ऐसे में वैश्विक स्तर पर बिकवाली देखने को मिली। अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था को सुधरने में लंबा समय लगेगा तो किसी को फायदा नहीं होने जा रहा।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, एफओएमसी की प्रतीक्षित घोषणा ने अपने परिदृश्य के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय बाजार में नकारात्मकता फैलाई, जैसा कि फेड ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में तत्काल सुधार की उम्मीद धूमिल कर दी। निवेशक इसे लेकर भी चिंतित हैं कि अमेरिका समेत अन्य देशों को संक्रमण के दूसरे दौर का सामना करना पड़ेगा। पश्चिम व दक्षिण अमेरिका में नए मामलों मेंं इजाफा होगा, जहां हफ्तों पहले लॉकडाउन में ढील दी गई है। भारत में भी लॉकडाउन में ढील दी गई है, लेकिन यहां भी मामले बढ़ रहे हैं। नायर ने कहा, चूंकि संक्रमण बढ़ रहा है, लिहाजा बाजार को इस बात की चिंता है कि अतिरिक्त लॉकडाउन हो सकता है। इसका मतलब पिछले दो हफ्तों के आशावाद पर असर पड़ेगा, जहां निवेशकों को लग रहा था कि अर्थव्यवस्था पूरी तरह से दोबारा शुरू हो रही है।