विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक नौ कारोबारी सत्र के बाद बुधवार को पहली बार शुद्ध बिकवाल बन गए। स्टॉक एक्सचेंजों के अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी फंड 919 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे। हालिया बिकवाली ने नौ कारोबारी सत्रोंं की खरीदारी पर विराम लगा दिया, जो सात महीने में सबसे लंबी अवधि तक चला। पिछले नौ कारोबारी सत्रों में एफआईआई ने 24,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश किया, जिसके कारण बेंचमार्क सूचकांकों में 12 फीसदी की उछाल आई। पूरी रकम द्वितीयक बाजार में शेयर खरीदारी में नहीं गया। इसका अहम हिस्सा कई ब्लूचिप कंपनियों की तरफ से हुई शेयर बिक्री में गया। नवंबर 2019 में अमेरिका-चीन व्यापार सौदे पर सुधार की उम्मीद के बीच एफपीआई 11 कारोबारी सत्र में शुद्ध खरीदार थे। तब उन्होंने 11 सत्रों में करीब 24,000 करोड़ रुपये का निवेश किया था और बेंचमार्क सूचकांकों को रिकॉर्ड ऊंचाई पर ले जाने में मदद की थी। लंबी अवधि के बड़े निवेशक शेयर बिक्री में अहम भागीदार रहे, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि द्वितीयक बाजारों में निवेश एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों के चलते हो सकता है, जो उभरते बाजारों पर केंद्रित है। एवेंडस कैपिटल ऑल्टरनेट स्ट्रैटिजीज के सीईओ एंड्र्यू हॉलैंड ने कहा, वैश्श्विक स्तर पर कारोबार उभरते बाजारों की ओर चला गया है, जिसकी वजह पैसिव फंड है। वैश्विक नकदी और जोखिम वाले कारोबार इस समय मजबूत हैं। एफपीआई ने इस दौरान हर दिन औसतन 2,700 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश किया। यह देश दुनिया भर के कई देशों में लॉकडाउन में ढील के दौरान हुआ।
