स्मॉल-कैप शेयरों में आई भारी तेजी के बाद विश्लेषक अब इन शेयरों पर सतर्क बने हुए हैं। पिछले तीन सप्ताह में कई स्मॉल-कैप शेयरों ने अपने मिड और लार्ज-कैप प्रतिस्पर्धियों को मात दी है। बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक ने पिछले तीन सप्ताह में 14.4 फीसदी तक की तेजी के साथ बाजार को मात दी है, जबकि सेंसेक्स और बीएसई मिडकैप सूचकांकों में समान अवधि में 12.5 और 13 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। स्मॉल-कैप सूचकांक से 685 शेयरों में से आधे से ज्यादा या 414 ने समान अवधि के दौरान 15 फीसदी की तेजी के साथ प्रमुख सूचकांक को मात दी। कुल 210 शेयरों में पिछले तीन सप्ताह में 25 फीसदी से ज्यादा की तेजी दर्ज की गई। इनमें से चार शेयरों - खादिम इंडिया, आईएफसीआई, सिंटेक्स इंडस्ट्रीज और श्रेई इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस में 70 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई, जबकि 29 शेयरों में 50 से 70 फीसदी के बीच तेजी दर्ज की। आईडीबीआई कैपिटल के शोध प्रमुख ए के प्रभाकर का कहना है, 'इन शेयरों की संख्या कमजोर बुनियादी आधार के बाद भी इनमें कमाई के अवसर होने की वजह से बढ़ी है। निवेशक ऐसे समय में ऊंचे प्रतिफल की तलाश कर रहे हैं जब अच्छी कमाई के अन्य विकल्पों का अभाव दिख रहा है। जहां कुछ शेयरों में और तेजी आ सकती है, लेकिन निवेशकों के लिए ऊंचे स्तरों पर निकल जाना और अच्छे बुनियादी आधार वाली कंपनियों में पैसा लगाना उचित होगा।' पूंजीगत वस्तु, ऑटो एंसिलियरी, केमिकल्स, निर्माण, रियल्टी, एंटरटेनमेंट, फाइनैंशियल, होटल एवं रेस्टोरेंट, सूचना प्रौद्योगिकी, प्लास्टिक उत्पाद, इस्पात, चीनी, टेक्सटाइल और टायर क्षेत्र तेजी में योगदान दिया है। पिछले तीन सप्ताह की तेजी के साथ बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 24 मार्च 2020 के अपने 52 सप्ताह के निचले स्तर से 37.5 फीसदी चढ़ चुका है। तुलनात्मक तौर पर बात की जाए तो पता चलता है कि सेंसेक्स और बीएसई मिडकैप सूचकांक में समान तारीख के अपने निचले स्तरों से 32.4 और 31.4 फीसदी की तेजी आ चुकी है। जियोजित फाइनैंशियल में निवेश रणनीति के प्रमुख गौरांग शाह का कहना है, 'जहां तक आय का सवाल है तो स्मॉल-कैप को अपने मिड-कैप और लार्ज-कैप प्रतिस्पर्धियों की तुलना में सुधार दर्ज करने में ज्यादा समय लगेगा। कुछ कंपनियों को अपनी उधारी पर मूल और ब्याज चुकाने में भी समस्या आ सकती है और उन पर दबाव बढ़ सकता है। निवेशकों को अब रकम अपने हाथ में रखनी चाहिए।' दो महीने के सख्त लॉकडाउन के बाद, भारत सरकार अब धीरे धीरे हालात सामान्य बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। जहां लॉकडाउन में नरमी से आपूर्ति को लेकर हालात में सुधार आएगा, वहीं मांग पर नजर रखने की जरूरत होगी। मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज का मानना है कि केंद्र और राज्य सरकारें लॉकडाउन के मानकों में नरमी बरकरार रखेंगी। इसके परिणामस्वरूप, यह देखने की जरूरत होगी कि स्वास्थ्य और आर्थिक संकट के बीच पारस्परिक संबंध का अल्पावधि में बाजार पर क्या असर पड़ता है। यूबीएस में शोध प्रमुख गौतम छाओछरिया ने डी साहा और तन्वी गुप्ता जैन के साथ मिलकर 3 जून को तैयार रिपोर्ट में लिखा है, '11,500/6,700 के तेजी/गिरावट के परिदृश्य के साथ मार्च 2021 के अंत तक निफ्टी के लिए हमारा लक्ष्य 9,900 है, जिससे ताजा तेजी के बाद खराब रिस्क-रिवार्ड का संकेत मिलता है। श्रमिक किल्लत और दीर्घावधि सुधारों पर अमल मुख्य कारक बने हुए हैं।'
