चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने के दौरान आर्थिक गतिविधियों में आई गिरावट से अप्रैल और मई महीने में रेलवे की माल ढुलाई पिछले साल के समान महीनों की तुलना में 28 प्रतिशत यानी 5.8 करोड़ टन घटकर 14.8 करोड़ टन रह गई है। पिछले वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में रेलवे ने 20.6 करोड़ टन माल ढुलाई की थी। जिंसों में कोयला सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है और इसकी ढुलाई 60 प्रतिशत घटी है। पिछले साल की तुलना में कोयले की ढुलाई में 3.5 करोड़ टन की कमी आई है। अप्रैल मई 2020-21 में कोयले की 7.1 करोड़ टन ढुलाई हुई है, जबकि 2019-20 के पहले 2 महीने के दौरान 10.6 करोड़ टन ढुलाई हुई थी। इसी के अनुपात में माल ढुलाई से आमदनी में भी कमी आई है और यह 2002-21 के अप्रैल मई महीने में 8,284 करोड़ रुपये घटकर 13,412 करोड़ रुपये रह गया है, जो 2019-20 के अप्रैल मई महीने में 21,696 करोड़ रुपये था। कोयला क्षेत्र से कमाई में भी पिछले साल की तुलना में 5,313 करोड़ रुपये की कमी आई है। इसके पहले के वित्त वर्ष के शुरुआती दो महीनों में कोयले से कमाई 11,033 करोड़ रुपये थी, जो इस वित्त वर्ष में घटकर 5,720 करोड़ रुपये रह गई है। कोयले की ढुलाई में कमी की मुख्य वजह बिजली की मांग में कमी है। सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की बिक्री में मई महीने में 23 प्रतिशत और अप्रैल में 26 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है। इसकी प्रमुख वजह बिजली उत्पादन कंपनियों से बिजली की मांग में कमी और उनके पास ज्यादा कोयला जमा होना है। 2020-21 में 36 साल में पहली बार बिजली की मांग में कमी आने की उम्मीद है। सीआईएल में अतिरिक्त कोयला उत्पादन ऐसे समय में हुआ है, जब कंपनियों जैसे बड़े ग्राहकों की ओर से मांग कम होने के कारण बिजली उत्पादन में रिकॉर्ड कमी आई है। कंपनी ने कहा है कि ताप बिजली इकाइयों के पास 28 दिन तक संयंत्र चलाने के लिए पर्याप्त कोयला है। इसने कहा है, 'तमाम ताप संयंत्रों ने सीआईएल से कोयले की आपूर्ति का नियमन करने को कहा है।' सीआईएल ने अब खनन सुस्त करने का फैसला किया है। अन्य जिंसों में लोहे की ढुलाई में 70 लाख टन की कमी आई है और इससे समीक्षाधीन अवधि में 763 करोड़ रुपये कमाई घटी है। वहीं सीमेंट की ढुलाई में 60 लाख टन, क्लिंकर मेंं 30 लाख टन और पिग आयरन और तैयार स्टील की ढुलाई में 30 लाख टन की कमी आई है। इस दौरान सिर्फ खाद्यान्न की ढुलाई बढ़ी है।
