पावरग्रिड और एनटीपीसी जैसी विद्युत इकाइयों के शेयर अपने मार्च के निचले स्तरों से 18-28 प्रतिशत के बीच चढ़े हैं। विद्युत क्षेत्र के परिदृश्य में आए सुधार से संकेत मिलता है कि इन शेयरों में और अधिक तेजी की गुंजाइश बरकरार है। जहां देशव्यापी लॉकडाउन में नरमी विद्युत मांग के लिए शुभ संकेत है, वहीं सरकार के राहत पैकेज और प्रस्तावित विद्युत सुधार विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) से बकाया बिलों की वसूली के लिहाज से अच्छा है। दो कंपनियों का विनियमित व्यवसायों (राजस्व में 90 प्रतिशत से ज्यादा) के लिए बड़ा निवेश है। एनटीपीसी और पारवरग्रिड, दोनों की इन व्यवसायों में नियोजित पूंजी पर 15.5 प्रतिशत का निर्धारित प्रतिफल हासिल करती हैं, चाहे मांग और विद्युत प्रवाह की स्थिति कैसी भी हो। प्रतिफल केंद्रीय विद्युत नियामक द्वारा निर्धारित है। कुछ परिचालन मानक भी इनकी आय को प्रभावित करते हैं। एचएसबीसी के विश्लेषक मौजूदा हालात में और कुछ संग्रह संबंधित अस्थायी समस्याओं को छोड़कर, इनकी आय पर कम जोखिम देख रहे हैं। अन्य विश्लेषकों का कहना है कि इन कंपनियों की आय निजी विद्युत क्षेत्र की प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले अलग है। लॉकडाउन की अवधि में आई कमी के बाद अब विद्युत मांग में सुधार आ रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु के जरिये औद्योगिक मांग में सुधार को बढ़ावा मिला है। विश्लेषकों का कहना है कि सीमेंट, धातु और कुछ अन्य क्षेत्रों से औद्योगिक ग्राहक फिर से व्यवसाय में आ रहे हैं और व्यवसाय कोविड-19 पूर्व के स्तरों के 67 प्रतिशत पर पहुंच गया है। यह सब डिस्कॉम की सेहत के लिए अच्छा है, दो सरकारी कंपनियों की निर्धारित रिकवरी पर चिंताएं घटी हैं। अक्सर जब मांग प्रभावित हुई, तो डिस्कॉम ने परियोजनाओं को चालू करने में विलंब शुरू कर दिया। मांग से जुड़ी चिंता दूर होना आय वृद्घि और प्रतिफल अनुपात के लिए सकारात्मक है। सीएलएसए के विश्लेषकों को वित्त वर्ष 2020-23 के दौरान एनटीपीसी के आरओई (पूंजी पर प्रतिफल) में 237 आधार अंक का इजाफा हो सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि वहीं पीक मांग यानी कि बिजली खपत का सर्वाधिक आंकड़ा भी कोविड-19 पूर्व के 164 जीडब्ल्यू के स्तर पर पहुंच गया है जिससे ताप विद्युत खपत को मदद मिल सकती है और प्लांट लोड फैक्टर (पीएलएफ) बढ़ सकता है। पावरग्रिड के क्षमता इस्तेमाल में सुधार के साथ विद्युत पारेषण भी सामान्य स्तर पर लौटेगा। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषकों का कहना है कि देश में कोयला उपलब्धता में सुधार आने से एनटीपीसी के प्रमुख संयंत्रों (जैसे सीपत, कोरबा और तलचर, जो पूर्ववर्ती वर्ष में कोयला आपूर्ति की समस्या की वजह से प्रभावित हुए थे) पर प्लांट अवेलेबिलिटी फैक्टर (पीएएफ) सुधरा है। विश्लेषकों का कहना है कि इन प्रमुख संयंत्रों पर पीएएफ जून के लिए 90 प्रतिशत से ज्यादा है, और 85 प्रतिशत के मानक से ऊपर है। यह एनटीपीसी के लिए अच्छा संकेत होगा जिसे पीएएफ और अपने संयंत्रों पर वसूली को लेकर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बिजली वितरण कंपनियों को ऋणों के तौर पर सरकार के राहत प्रयासों से बिजली इकाइयों द्वारा बकाया प्राप्तियों में कमी आ सकती है, उन पर कार्यशील पूंजी का दबाव घट सकता है। इलारा कैपिटल के रूपेश सांखे का मानना है कि मांग में सुधार के साथ निर्धारित लागत की वसूली की चिंताएं भी घटी हैं।
