अप्रैल में महज 990 करोड़ मुआवजा उपकर | दिलाशा सेठ और इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली June 06, 2020 | | | | |
राज्यों के जीएसटी मुआवजे की चिंता बढ़ती ही जा रही है। अप्रैल 2020 में केंद्र सरकार को मुआवजा उपकर के मद में महज 990 करोड़ रुपये मिले हैं, जो एक साल पहले एकत्र किए गए 8,874 करोड़ रुपये की तुलना में नवां हिस्सा ही है। लेखा महानियंत्रक की ओर से जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिलती है।
उपकर की कम वसूली से राज्यों की समस्या और बढ़ेगी, जब तक कि अगले सप्ताह में जीएसटी परिषद की बैठक में बाजार से उधारी का फैसला नहीं ले लिया जाता है।
केंद्र सरकार ने 2020-21 के बजट में मुआवजा उपकर बढ़ाकर 1,10,500 करोड़ रुपये कर दिया था। इस हिसाब से मासिक औसत 9,208.3 करोड़ रुपये होता है। अब यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है कि कोरोनावायरस के हमले के बाद बजट के आंकड़ों के कोई मायने नहीं हैं।
वहीं दूसरी ओर वित्त वर्ष 2020-21 में मासिक जीएसटी मुआवजे की जरूरत अनुमानित रूप से 20,250 करोड़ रुपये है, जो पिछले साल 13,750 करोड़ रुपये थी।
केंद्र सरकार ने अब तक पूरे वित्त वर्ष 2020 का भी मुआवजा राज्यों को नहीं दिया है। गुरुवार को केंद्र ने राज्यों को फरवरी 2019-20 तक तीन महीने का मुआवजा 36,400 करोड़ रुपये जारी किया था। अप्रैल से नवंबर 2019 तक का 1,15,096 करोड़ रुपये जीएसटी मुआवजा इसके पहले जारी किया गया था।
इस मद के लिे 2019-20 में मुआवजा कोष में उपकर से 95,551 करोड़ रुपये आए थे। केंद्र सरकार ने राज्यों को मुआवजा देने के लिए 2017-18 और 2018-19 के बचे हुए 47,271 करोड़ रुपये उपकर का इस्तेमाल किया था। इस तरह से केंद्र के उपकर कोष में 1,42,822 करोड़ रुपये था, लेकिन केंद्र ने 1,51,496 करोड़ रुपये राज्यों को दिया। इसका मतलब यह हुआ कि उसने 8,674 करोड़ रुपये अतिरिक्त राशि राज्यों को दी है। मार्च के बकाये का भुगतान किया जाना अभी बाकी है।
विश्लेषकों का कहना है कि मुआवजा उपकर संग्रह में अप्रैल महीने में गिरावट की वजह मार्च, अप्रैल और मई महीने में जीएसटी भुगतान को टालना है। सरकार ने पहले घोषणा की थी कि पंजीकृत जीएसटी करदाता, जिनका सालाना कारोबार 5 करोड़ रुपये से कम है, वे कर का भुगतान और मार्च अप्रैल और मई 2020 का जीएसटीआर 3बी (समरी इनपुट आउटपुट रिटर्न) जून 2020 के अंतिम सप्ताह तक दाखिल कर सकते हैं। इस तरह के करदाताओंं से कोई ब्याज या विलंब शुल्क या जुर्माना नहीं लिया जाएगा।
ईवाई में टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा, 'मुआवजा उपकर से एकत्र धन राज्यों को होने वाले राजस्व हानि के मुआवजे के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार अन्य तरीकों पर विचार कर रही है।'
असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने कहा कि जीएसटी परिषद की पिछली बैठक मेंं बाजार से उधारी का विचार पेश किया गया था, लेकिन संभवत: यह व्यावहारिक नहीं होगा। उन्होंने कहा, 'जीएसटी परिषद न तो संप्रभु निकाय है और न ही उप संप्रभु निकाय। ऐसे में अगर आप कर्ज लेते हैं तो किसी को गारंटी देनी होगी। अगर केंद्र सरकार कर्ज के लिए गारंटी देती है तो केंद्र सरकार खुद उधार दे सकती है।' असम ने औसत मासिक जीएसटी का महज 20 प्रतिशत एकत्र किया है, जबकि मई में करीब 40 प्रतिशत आया है।
पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा का कहना है कि केंद्र सरकार राज्यों को मुआवजा देने के लिए उधारी ले सकती है, जिसके लिए वह सॉवरिन गारंटी देगी।
उन्होंने कहा, 'केंद्र को वैकल्पिक रूप से भारत के संचित निधि से भुगतान पर विचार करना चाहिए। राज्य बहुत बुरी स्थिति में हैं। पश्चिम बंगाल को पिछले साल अप्रैल की तुलना में इस साल अप्रैल में जीएसटी से सिर्फ 13 प्रतिशत राजस्व आया है।'
केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजक का कहना है कि जीएसटी परिषद को राज्यों को भुगतान करने के लिए बाजार से उधारी लेने की अनुमति देनी चाहिए और उधारी के भुगतान के लिए एक साल और मुआवजा उपकर बढ़ाया जाना चाहिए।
बिहार में अप्रैल महीने में जीएसटी संग्रह 86 प्रतिशत गिरा है।
कानून के तहत अगर राज्यों का जीएसटी राजस्व 2014-15 आधार वर्ष की तुलना में 14 प्रतिशत नहीं बढ़ता है तो केंद्र सरकार उस अंतर का भुगतान हर दो महीने पर जीएसटी लागू होने के पहले 5 साल तक करेगी।
|