बदलते कारोबारी माहौल में के पी सिंह ने सौंपी बेटे को कमान | अर्णव दत्ता / नई दिल्ली June 06, 2020 | | | | |
कोरोना महामारी के बाद की दुनिया में कारोबारी माहौल में कई बदलाव की उम्मीद की जा रही थी और इससे पैदा व्यवधानों की प्रमुख भूमिका के चलते रियल एस्टेट क्षेत्र के प्रमुख कारोबारी कुशल पाल सिंह ने अपनी कमान बेटे के हाथ में सौंप दी। रियल्टी प्रमुख डीएलएफ लिमिटेड के अध्यक्ष पद से हटने वाले सिंह ने हाल ही में वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्हें लगता है कि डीएलएफ के नए अध्यक्ष राजीव सिंह अब कंपनी को परेशानियों से बाहर निकालने के लिए अच्छी तरह सुसज्जित हैं।
उनके अनुसार, नए और अत्यधिक प्रतिस्पर्धी कारोबारी माहौल का उभरना नई वास्तविकता है। के पी सिंह ने पद छोडऩे के लिए अपनी उम्र के अलावा दूसरे कारण बताते हुए कहा, भारत एक नए युग में प्रवेश कर रहा है जिसमें बाजार न केवल अधिक प्रतिस्पर्धी होगा, बल्कि संगठनों के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर भी रोमांचक संभावनाओं से भरा होगा। कोविड-19 प्रकरण से उबरने के बाद होने वाली आर्थिक उथल-पुथल इस स्तर पर अकल्पनीय है। नई सामान्य अवस्था, अभी तक अनुभव की गई स्थितियों से बिल्कुल अलग होगी।
हालांकि, व्यवसायों का भाग्य अब हालिया कोरोना संकट से उबरने पर निर्भर है और कारोबार तथा व्यक्तियों, दोनों को इस समय वायरस के साथ रहना सीखना होगा। उन्होंने कहा, इसके लिए हमारे जीवन जीने के तरीके और व्यवसाय करने के तरीके में बड़े बदलाव की आवश्यकता है। नया सामान्य, अभी तक के अनुभव से बिल्कुल अलग होगा। इस अप्रत्याशित स्थिति के कारण, भविष्य में केवल वे ही कंपनियां बची रहेंगी और पनपेगी, जिनमें युवा ऊर्जा, नवोन्मेषी विचारों और गुणवत्ता तथा उत्कृष्टता के लिए उच्च स्तर का जुनून है। इसके लिए, नैतिकता, पेशेवर गुण, सबसे बेहतर होने की ललक के साथ अति उत्साही साथियों की आवश्यकता होगी। निसंदेह, कोरोनावायरस खतरे की समाप्ति के बाद कार्य संस्कृति में अहम बदलाव आएगा।
रियल एस्टेट कारोबार में अपने पांच दशक लंबे करियर में कई संकटों से बाहर निकलने वाले सिंह ने इस तथ्य पर जोर दिया कि तेजी से उभर रहे नए वातावरण में सफलता के लिए अतीत की तुलना में काम करने के अलग तरीकों की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा, लगातार परिवर्तन ही खेल का प्रमुख नियम होगा और डीएलएफ के नए अध्यक्ष राजीव सिंह ने पहले ही डीएलएफ को इस लड़ाई के लिए तैयार कर लिया है। कोरोनावायरस से उबरने के बाद आर्थिक स्तर पर एक शानदार भविष्य प्रतीक्षा कर रहा है।
1970 के दशक में इस व्यवसाय में प्रवेश करने के बाद से इस क्षेत्र में आए अहम बदलावों को दर्शाते हुए उन्होंने कहा कि अब तक भारत में शहरी भूमि विकास संबंधी कानून निजी क्षेत्र के खिलाफ खड़े थे तथा बैंकिंग संस्थानों को शहरी भूमि डेवलपर्स को उधार देने की अनुमति नहीं थी। । इन सभी बाधाओं के बावजूद, डीएलएफ देश में सबसे अधिक भरोसेमंद कंपनी के रूप में उभरी।
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