विदेश से मोटी रकम जुटाएगा एसबीआई | अभिजित लेले / मुंबई June 04, 2020 | | | | |
देश का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक मौजूदा वित्त वर्ष में अंतरराष्ट्रीय बाजारों से बॉन्ड के जरिए लंबी अवधि के लिए 1.5 अरब डॉलर तक जुटाने की योजना बना रहा है। केंद्रीय बोर्ड की कार्यकारी समिति की बैठक 11 जून को होगी और इस बैठक में लंबी अवधि के लिए रकम जुटाने की योजना की स्थिति की जांच होगी और उस पर फैसला लिया जाएगा।
एसबीआई सार्वजनिक पेशकश या अमेरिकी डॉलर में वरिष्ठ असुरक्षित नोट्स या अन्य परिवर्तनीय मुद्रा के जरिये वित्त वर्ष 2020-21 में रकम जुटा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रकम जुटाने से जुड़े बैंकरों ने कहा कि एसबीआई समेत अन्य लेनदार अपनी उधारी के परिचालन और वित्तीय प्रतिभूतियों के पुनर्भुगतान के लिए वैश्विक बाजारों से तय अंतराल पर रकम जुटाते रहे हैं। बाजार की उधारी के अलावा वह द्विपक्षीय व्यवस्था का भी इस्तेमाल करता है और रकम जुटाने के लिए कई एजेंंसियों की सहायता लेता है।
पिछले महीने सरकारी स्वामित्व वाली आरईसी लिमिटेड ने विदेशी बॉन्ड जारी कर 50 करोड़ डॉलर जुटाए थे। कोविड-19 के संकट के बाद किसी भारतीय कंपनी की तरफ से विदेशी बॉन्ड से रकम जुटाने का यह पहला मामला था। ये नोट्स 19 मई, 2023 में परिपक्व होंगे और मूलधन व ब्याज का भुगतान अमेरिकी डॉलर में किया जाएगा।
मार्च 2020 में एसबीआई ने फ्लोटिंग दर वाले नोट्स (ग्रीन बॉन्ड) के जरिए 10 करोड़ जुटाए थे और इसकी ब्याज दर तीन महीने का लंदन इंटर बैंक ऑफर्ड रेट (लाइबोर) और 80 आधार अंक थी। ये बॉन्ड एसबीआई की लंदन शाखा के जरिए जारी हुए, जिसे सिंगापुर एसजीएक्स पर सूचीबद्ध कराया जाएगा। एसबीआई के पास पहले से ही दो क्लाइमेट बॉन्ड इनिशिएटिव सर्टिफाइड ग्रीन बॉन्ड करीब 70 करोड़ डॉलर का है।
एसबीआई के विदेशी कार्यालय की लोनबुक दिसंबर 2019 के आखिर में 40 अरब डॉलर की थी, वहीं जमाएं 15 अरब डॉलर से ज्यादा थी। यह जानकारी वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही के नतीजे के दौरान दी गई थी।
एसबीआई की वित्त वर्ष 2019 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, उसने भारतीय कंपनियों को 12.91 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज आवंटित किया है जबकि विदशी इकाइयों को 10.36 अरब डॉलर।
ऊर्जा के क्षेत्र में एसबीआई हालिया विशेष वितरण के बाद तेल विपणन कंपनियों को उनकी कार्यशील पूंजी की जरूरतों की फंडिंग में सक्रिय है, जो भारत के लिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण हैं - अस्थिर कच्चे तेल और विदेशी मुद्रा कीमतों के बीच भारत की ऊर्जा सुरक्षा में मजबूती के लिए। बिजली के क्षेत्र में एसबीआई बिजली व वित्तीय कंपनियों को बाह्य वाणिज्यिक उधारी देता है।
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