कोविड-19 के उपचार के लिए बीमा पॉलिसी 15 जून से | सुब्रत पांडा और नम्रता आचार्य / मुंबई/कोलकाता June 03, 2020 | | | | |
बीमा कंपनियां कोविड-19 के लिए मानकीकृत बीमा उत्पाद पर काम कर रही हैं, जिसके लिए 1 से 5 लाख रुपये तक बीमा होगा। गैर जीवनबीमा कर्ताओं के शीर्ष निकाय जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआई काउंसिल) की ओर से प्रेरित किए जाने और दिशानिर्देश जारी होने के बाद यह कदम उठाया जा रहा है।
मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा कि इस उत्पाद को 15 जून से पेश किया जाना अनिवार्य किया गया है और बीमाकर्ताओं को 4 जून तक का वक्त दिया गया है कि वे अपनी सिफारिशों के साथ सामने आएं।
दावों में अंतर को ध्यान में रखते हुए भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने हाल ही में जीआई काउंसिल से कहा था कि स्टैंडर्ड कवर की योजना के साथ आगे आए।
काउंसिल को अभी अपनी रिपोर्ट पेश करनी है, वहीं उद्योग जगत के सूत्रों ने कहा कि बीमाकर्ता 18 से 65 साल की उम्र तक के लोगों के लिए कवर का प्रस्ताव कर रहे हैं। अन्य स्वास्थ्य बीमाओं के विपरीत, जिनमें अस्पताल में भर्ती होने का खर्च शामिल होता है, विशेषीकृत कवर में क्वारंटीन के दौरान इलाज पर आने वाली लागत को भी शामिल किया जा सकता है और तात्कालिक खर्चों के लिए नकद भुगतान किया जा सकता है।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने मसौदा दिशानिर्देशों को देखा है, जिसके मुताबिक, 'कोविड-19 के स्टैंडर्ड कवर में 2 एड-ऑन कवर हो सकता है, क्वारंटीन कवर और हॉस्पिटल डेली कैश। अगर बीमित व्यक्ति को कोविड-19 की जांच या संभावित संक्रमण पाया जाता है तो कंपनी बीमित राशि का 1 प्रतिशत प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करेगी, जो एक दिन के लिए अधिकतम 3,000 रुपये तक होगा।' इसी तरह से कंपनी अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में हर 24 घंटे पूरे होने पर बीमित राशि का 0.5 प्रतिशत भुगतान करेगी, अगर व्यक्ति बीमारी की जांच में पॉजिटिव पाया गया है।
सामान्यतया अगर कोई मरीज होटल में आइसोलेशन में रहता है तो सामान्य स्वास्थ्य बीमाओं में उसका कवर शामिल नहीं होता है। सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि बहरहाल कोविड के मामले में इस तरह के कदमों की जरूरत महसूस की जा रही है, जिसे देखते हुए आईआरडीएआई ने ऐसे प्रावधान मानक कोविड उत्पाद में शामिल करने को कहा है।
मसौदे के मुताबिक रूम, बोर्डिंग और नर्सिंग का खर्च 5,000 रुपये प्रतिदिन तक व इंटेंसिव केयर यूनिट का प्रतिदिन का अधिकतम खर्च 10,000 रुपये तक सीमित किया जा सकता है। जबकि अस्पताल लाने के लिए एंबुलेंस शुल्क 2,000 रुपये तय किया जा सकता है।
जीआई काउंसिल के एक अधिकारी ने कहा, 'नियामक चाहते हैं कि पॉलिसी धारकोंं को स्थिति ज्यादा साफ की जाए। ऐसे में मानक उत्पाद से यह साफ हो सकेगा कि कवर में क्या शामिल है और उसके लिए क्या क्या शर्तें हैं।'
यह उत्पाद एक या दो साल तक के लिए आ सकता है और इसमें कुछ ऐसी चीजें शामिल की जाएंगी, जिससे यह अन्य समग्र हेल्थ पॉलिसी से सस्ती हो क्योंकि इसमें सिर्फ कोविड-19 शामिल होगा। मानक उत्पाद होने के बावजूद बीमाकर्ता अपने अपने मानकों के मुताबिक मूल्य तय करने को स्वतंत्र होंगे।
जीआई काउंसिल के एक अधिकारी ने कहा, 'अगर हम इस पॉलिसी को लोकप्रिय कर दें तो प्रीमियम बहुत कम होगा। यह विकल्प उन लोगों को दिया जा सकता है, जिन्होंने स्वास्थ्य बीमा नहीं कराया है और अब उनके कोविड के चपेट में आने की संभावना ज्यादा है। अन्य हेल्थ पॉलिसी की तुलना में स्टैंडर्ड हेल्थ पॉलिकी का प्रीमियम कम होगा।'
बीमाकर्ताओं को लगता है कि कोविड के उपचार की औसत लागत में धीरे धीरे कमी आएगी। शुरुआत में जब दावे आने शुरू हुए थे, दावे का आकार 2 से 3 लाख का था। बहरहाल अब यह घटकर 1.5 लाख रह गया है।
उपचार की लागत में कमी के बावजूद तमाम निजी अस्पताल बहुत ज्यादा पैसे ले रहे हैं क्योंकि इसके उपचार का कोई मानकीकरण नहीं किया गया है। बीमाकर्ता कोविड के उपचार की दरों का मानकीकरण करने की मांग कर रहे हैं। बहरहाल कोई स्वास्थ्य नियामक न होने के कारण गेंद सरकार के पाले में है।
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