चीन और थाईलैंड से एयर कंडीशनिंग उत्पादों और कलपुर्जों का आयात कम करने के लिए केंद्र सरकार एसी के लिए चरणबद्घ विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) तैयार कर रही है। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल की उस घोषणा के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने एसी और और कलपुर्जों के स्थानीय उत्पादन पर जोर दिया था। सूत्रों ने बताया कि उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवद्र्घन विभाग के तहत आने वाला लाइट इंजीनियरिंग इंडस्ट्रीज प्रकोष्ठ अभी इस योजना का खाका तैयार कर रहा है। यह दूसरा पीएमपी होगा। करीब पांच साल पहले मोबाइल फोन के कलपुर्जों के लिए इसी तरह की योजना शुरू की गई थी। पिछली योजना की तरह ही नए पीएमपी के तहत एसी और इसके कजपुर्जों का विनिर्माण स्थानीय स्तर पर करने को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए स्थानीय विनिर्माण में निवेश करने वालों को प्रोत्साहन दिया जाएगा। साथ ही आयात कम करने के लिए एसी के प्रमुख कलपुर्जों पर आयात शुल्क पांच साल (2025 तक) के दौरान चरणबद्घ तरीके से बढ़ाया जाएगा। योजना के मसौदे के अनुसार पूरी तरह से तैयार इंडोर और आउटडोर एसी यूनिट पर अभी 20 फीसदी शुल्क लगता है, जिसमें हर साल 2.5 फीसदी का इजाफा किया जाएगा और पांचवें साल में इस पर शुल्क 30 फीसदी हो जाएगा। एसी के कंप्रेसरों की कुल मांग का करीब 75 फीसदी हिस्सा चीन और अन्य देशों से आयात किया जाता है। एसी की लागत में 60 फीसदी से ज्यादा हिस्सा कंप्रेसर का ही होता है। इस पर अभी 12.5 फीसदी आयात शुल्क है जिसे चौथे साल से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि पीसीबी कंट्रोलर, मोटर, क्रॉस फ्लो पंखों, धातु एवं प्लास्टिक के पुर्जों पर अभी 10 फीसदी आयात शुल्क है, जो पांचवें साल तक बढ़कर 20 फीसदी हो जाएगा। इस कदम का उद्देश्य एसी कलपुर्जों के आयात पर होने वाले खर्च में हर साल 15,000 करोड़ रुपये की कमी लाना है। उद्योग संगठनों के अनुसार 22,000 करोड़ रुपये के भारतीय एसी बाजार में केवल 30 फीसदी का ही स्थानीय स्तर पर मूल्यवद्र्घन होता है। गोदेरज ऐंड बॉयस के कार्यकारी उपाध्यक्ष और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण विनिर्माताओं के संगठन सीईएएमए के अध्यक्ष कमल नंदी ने कहा, 'सरकार ने उद्योग के सभी हितधारकों के साथ स्थानीय मूल्यवद्र्घन बढ़ाने की योजना पर चर्चा की है।' डायकिन इंडिया के प्रबंध निदेशक कंवलजीत जावा ने कहा कि वे इस योजना का लाभ उठाने के लिए निवेश करने का विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'भारत में हमारा पहले से ही शोध एवं विकास केंद्र हैं और हम स्थानीय क्षमता बढ़ाने के लिए तीसरा संयंत्र लगाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। इस तरह की पहल का इससे अच्छा समय नहीं हो सकता क्योंकि कई जापानी विनिर्माता चीन से अपना संयंत्र बाहर ले जाने की संभावना तलाश रहे हैं।' सूत्रों ने कहा कि जापान की दिग्गज एसी कंपनी की स्थानीय इकाई ने पहली ही सरकार को दक्षिण भारत में करीब 1,000 करोड़ रुपये की लागत से संयंत्र लगाने का प्रस्ताव दे चुकी है। वोल्टास (17 फीसदी बाजार हिस्सेदारी) और ब्लू स्टार (8 फीसदी बाजार हिस्सेदारी) ने भी इस योजना का लाभ उठाने में दिलचस्पी दिखाई है। अनुमान के अनुसार पीएमपी और कलपुर्जा विनिर्माण इकाई के लिए प्रत्येक चरण में पीएमपी का लाभ उठाने के लिए 800 से 1,200 करोड़ रुपये निवेश की जरूरत होगी। ब्लू स्टार के प्रबंध निदेशक बी त्यागराजन ने कहा, 'हम पिछले काफी समय से स्थानीय स्तर पर उत्पादन को बढ़ावा देने की मांग कर रहे थे। उत्पादन के बारे में हमें तकनीकी जानकारी है लेकिन चुनौती बाजार के छोटे आकार को लेकर है। ऐसे में प्रोत्साहन योजना की जरूरत थी।'
