आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को 90,000 करोड़ रुपये कर्ज देने के लिए केंद्र सरकार घरेलू बॉन्ड बाजार में संभावनाएं तलाश रही है। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) और कुछ सरकारी बैंकों को इन बॉन्डों को सबस्क्राइब करने को कहा जा सकता है, जिससे वितरण कंपनियों को कर्ज दिया जा सके। बिजली क्षेत्र को कर्ज देने वाली पॉवर फाइनैंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी) और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) नई योजना के लिए नोडल एजेंसी हैं। ये वितरण कंपनियों को बिजली उत्पादन कंपनियों (जेनको) का बकाया चुकाने के लिए कर्ज देंगी। केंद्रीय वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था को गति देने के अपने अपने 15 सूत्री एजेंडे की घोषणा पिछले महीने की थी। इसके तहत बिजली वितरण क्षेत्र में विशेष नकदी डालने की योजना पेश की गई थी। कर्ज का आकार 90,000 करोड़ रहने की उम्मीद की जा रही है। वितरण कंपनियों को विशेष कर्ज देने का पैकेज साफ तौर पर बिजली उत्पादन कंपनियों का बकाया चुकाने के लिए दिया जाएगा, जो मार्च 2020 में 92,000 करोड़ रुपये हो गया है। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि पीएफसी और आरईसी पहले राज्यों की ओर से आने वाली शुरुआती मांग के आधार पर बॉन्ड जारी करेंगी। पीएफसी और आरईसी के अधिकारियों को उम्मीद है कि शुरुआती राशि करीब 20,000 करोड़ रुपये होगी। एक अधिकारी ने कहा, 'बिजली मंत्रालय कुछ घरेलू कर्जदाताओं जैसे एलआईसी, ईपीएफओ और सरकारी व निजी बैंकों के संपर्क में है, जिन्होंने इसके पहले डिस्कॉम बॉन्डों को सबस्क्राइब किया था। सरकार को उम्मीद है कि इस बार भी वे बॉन्ड योजना में हिस्सा लेंगे।' इन संस्थानों ने इसके पहले उदय योजना के तहत राज्यों और वितरण कंपनियों की ओर से जारी बॉन्डों को खरीदा था। यह योजना डिस्कॉम के कर्ज के पुनर्गठन के लिए लाई गई थी। उदय योजना के तहत राज्य ससरकारों ने अपनी वितरण कंपनियों के कर्ज का बोझ अपने ऊपर लिया था और इसके एवज में बॉन्ड जारी किए गए थे। सरकार के अनुमान के मुताबिक कुल जारी बॉन्डों में 80 प्रतिशत इन संस्थानों ने लिए थे। बहरहाल एक अधिकारी ने कहा कि किसी राज्य द्वारा कर्ज योजना के लिए अब तक कोई आधिकारिक अनुरोध नहीं आया है। उन्होंने कहा, 'कर्ज योजना के लिए निजी क्षेत्र की एक डिस्कॉम ने हमसे संपर्क किया है। हम उम्मीद करते हैं कि कुछ बड़े राज्य इसमें रुचि दिखाएंगे। बहरहाल कर्ज लेने की शर्तें सख्त हैं, ऐसे में संबंधित राज्यों को उन्हें पूरा करने में कुछ वक्त लगेगा।' सूत्रों ने कहा कि टाटा पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) ने ने इस योजना के तहत दो कर्जदाताओं से संपर्क साधा है। जब सरकारी डिस्कॉम के लिए 2015 में उदय योजना पेश की गई थी तो टीपीडीडीएल और दिल्ली में रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की बिजली वितरण कंपनी दिल्ली बीएसईएस लिमिटेड ने कहा था कि उन्हें भी उदय का हिस्सा बनने दिया जाए। डिस्कॉम ने अनुरोध किया था कि सिसे उन्हें नियामकीय देनदारी साफ करने में मदद मिलेगी। बहरहाल उनकी मांग नहीं मानी गई। उदय के विपरीत मौजूदा योजना में किसी राज्य सरकार द्वारा कर्ज अपने ऊपर लेने का प्रावधान नहीं किया गया है। ऐसे में निजी डिस्कॉम के लिए आसान है कि वे अपने बिजली उत्पादकों के बकाया चुकाने के धन के लिए इसमें हिस्सा लें और संभवत: यह बहुत ज्यादा नहीं होगा। इस मसले पर टीपीडीडीएल ने खबर लिखे जाने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। बहरहाल वितरण कंपनियों को कर्ज लेने के लिए राज्य की गारंटी की जरूरत नहीं होगी। राज्य सरकार को अपने सभी विभागों का बिजली का बकाया चुकाना होगा। डिस्कॉम को दी जाने वाली राशि राज्य सरकार के बकाये के बराबर होगी। कर्ज की अवधि 10 साल होगी, जबकि राज्य सरकार को 3 साल में बकाया भुगतान की जरूरत होगी। पीएफसी और आरईसी उम्मीद कर रही हैं कि ब्याज दर 9.5 से 10 प्रतिशत तक जा सकती है। एक अधिकारी ने कहा, 'इस समय सामान्य दरों पर अधारी लेना कठिन होगा। जिस दर पर हम डिस्कॉम को कर्ज देंगे, वह 7.5 प्रतिशत से कम नहीं होगी।' पीएफसी और आरईसी के विलय की योजना जिस रेटिंग के तहत बनी थी, अधिकारियों को उम्मीद है कि वे अपने निवेशकों को 4 से 5 प्रतिशत का बेहतरीन रिटर्न दे सकेंगे।
