2019-20 के लिए आयकर रिटर्न फॉर्म जारी | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली June 01, 2020 | | | | |
सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए नए आयकर रिटर्न फॉर्म अधिसूचित कर दिए हैं। इससे करदाताओं को कोविड-19 के कारण बढ़ी हुई समयसीमा का लाभ मिल सकेगा। इसके साथ ही ज्यादा खर्च करने वालों के लिए रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य कर दिया गया है।
ज्यादा खर्च करने वाले लोग अब कर भुगतान से नहीं बच सकेंगे क्योंकि ससरकार ने कुछ मामलों में रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य कर दिया है, भले ही करदाता की आय कर योग्य सीमा से कम हो। इसके साथ ही जो लोग विदेश यात्रा पर 2 लाख रुपये से ज्यादा खर्च करते हैं, 1 लाख रुपये से ज्यादा बिजली का बिल जमा करते हैं या 1 करोड़ रुपये से ज्यादा चालू खाते में जमा करते हैं, उनके लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य कर दिया गया है।
इसके पहले सिर्फ उन लोगों को आयकर रिटर्न दाखिल करने की जरूरत होती थी, जिनकी कुल आमदनी कर योग्य सीमा में आती है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आकलन वर्ष 2020-21 के लिए सहज (आईटीआर-1) फॉर्म, आईटीआर-2 फॉर्म, आईटीआर-3 फॉर्म, सुगम (आईटीआर-4) फार्म, आईटीआर-5 फॉर्म, आईटीआर-6 फॉर्म, आईटीआर-7 फॉर्म और आईटीआर-वी फॉर्म जारी किए हैं।
आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 नवंबर कर दी गई है। नए आईटीआर फॉर्म में करदाताओं को जून 2020 तक कर बचत के लिए किए गए निवेश या दान के बारे में 2019-20 के लिए अलग से सूचना देनी होगी।
कोविड-19 की कठिनाइयों को देखते हुए सरकार ने आयकर अधिनियम-1961 के तहत रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा में कई रियायतें दी हैं। इसके लिए सरकार कराधान एवं अन्य अधिनियम (कुछ प्रावधानों से राहत) अध्यादेश- 2020 लेकर आयी है। इसके हिसाब से आयकर की धारा 80सी (जीवन बीमा, लोक भविष्य निधि, राष्ट्रीय बचत पत्र इत्यादि), 80डी (स्वास्थ्य बीमा) और 80जी (दान) इत्यादि के तहत ली जाने वाली छूट के लिए अंतिम निवेश तिथि बढ़ाकर 30 जून 2020 कर दी गयी है। इसके साथ ही निवेश, निर्माण या खरीद से संबंधित पूंजीगत लाभ के दावों की तिथि भी बढ़ाकर 30 जून कर दी गई है।
पुनरीक्षित आयकर रिटर्न फार्म में करदाताओं को 1 अप्रैल से 30 जून 2020 तक किए गए लेनदेन पर लाभ लेने की अनुमति दी गई है। सामान्यतया आयकर विभाग संबंधित आकलन वर्ष के लिए आईटीआर फॉर्म अप्रैल के पहले सप्ताह में जारी करता है। लेकिन इस बाद दो आसान फार्म आईटीआर-1 (सहज) और आईटीआर-4 (सुगम) 2020-21 आकलन वर्ष के लिए जनवरी के पहले सप्ताह में ही जारी कर दिए गए थे, जिसमें अब बदलाव किया गया है। आईटीआर-1 सहज में सामान्य व्यक्तिगत निवासी रिटर्न दाखिल कर सकते हैं, जिनकी सालाना आमदनी 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है। वहीं आईटीआर-4 सुगम में व्यक्गित करदाता, एचयूएफ और फर्में (एलएलपी के अलावा) रिटर्न फाइल कर सकती हैं, जिनकी आमदनी 50 लाख रुपये तक है और प्रोफेशन व बिजनेस से उनकी आमदनी होती है।
सरकार ने एक मकान की संपत्ति वाले करदाताओं को आसान फार्मों आईटीआर-1 और 4 का इस्तेमाल कर आयकर रिटर्न दाखिल करने को अनुमति दी है। इसके अलावा ज्यादा पैसे खर्च करने वालों को आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य किया गया है, वे भी आसान फॉर्मों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
आईटीआर-2 उन लोगों को दाखिल करना होगा, जिनकी आवासीय संपत्ति से आमदनी होती है। आईटीआर 3 और 6 कारोबारियों को भरना है, जबकि आईटीआर-5 एलएलपी और एसोसिएशन आफ पर्सन (एओपी) को दाखिल करना है। आईटीआर-7 उन लोगों को भरना होगा, जो ट्रस्ट के अधीन आने वाली संपत्ति से मुनाफा पाते हैं या धर्मार्थ या धार्मिक मकसद से संबंधित कानूनी बाध्यता है या वे इस मकसद का हिस्सा हैं।
एकेएम ग्लोबल के पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा कि आवासीय संपत्तियों के साझा मालिकाना वालों और ज्यादा खर्च करने वालों को राहत दी गई है क्योंकि वे सहज और सुगम फॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिन्हें भरना आसान है। माहेश्वरी ने कहा, 'बहरहाल विदेश यात्रा, बिजली खपत पर ज्यादा खर्च करने वालों और चालू खाते में ज्यादा जमा पर अतिरिक्त सूचनाएं देनी होंगी।'
टैक्समैन के डीजीएम नवीन वाधवा ने कहा, 'नए आईटीआर फॉर्म में नई अनुसूची डीआई जोड़ी गई है, जिसमें जून 2020 तक निवेश, जमा और भुगतान का ब्योरा मांगा गया है।'
नांगिया एंडरसन कंसल्टिंग के निदेशक शैलेश कुमार ने कहा कि आसान फॉर्मों आईटीआर-1, आईटीआर-2 और आईटीआर-4 का लाभ उन व्यक्तिगत करदाताओं को नहीं मिलेगा, जो किसी कंपनी के निदेशक हैं या उन्होंने गैर सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों में निवेश किया है।
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