मॉरेटोरियम महंगा पड़ेगा मगर क्रेडिट स्कोर बचेगा | बिंदिशा सारंग / June 01, 2020 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक ने कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) पर रोक तीन महीने के लिए और बढ़ा दी है। नकदी की कमी झेल रहे कई लोगों को 31 अगस्त, 2020 तक रोक बढऩे से खासी राहत मिली होगी। केंद्रीय बैंक ने इससे पहले सभी सावधि कर्जों की ईएमआई पर 1 मार्च, 2020 से तीन महीने के लिए रोक लगाई थी। बैंकबाजार के मुख्य कार्य अधिकारी आदिल शेट्टी कहते हैं, 'अगर आपके पास नकदी की कोई समस्या नहीं है तो ईएमआई चुकाना ही समझदारी होगी ताकि आपके कर्ज की बाकी रकम में कमी आ जाए।'
लैडर 7 फाइनैंशियल एडवाइजरीज के संस्थापक सुरेश सदगोपन समझाते हैं, 'सही तो यही है कि मॉरेटोरियम यानी किस्तों पर रोक से बचा जाए लेकिन ऐसी विकट परिस्थिति में यदि आपके पास रकम ही नहीं है तो ईएमआई बाउंस कराने से बेहतर है मॉरेटोरियम का फायदा उठाना क्योंकि ईएमआई बाउंस होने पर आपका क्रेडिट स्कोर खराब होता है और क्रेडिट रिपोर्ट पर भी असर पड़ता है।'
सदगोपन कहते हैं कि मॉरेटोरियम लेने पर आप इस दिक्कत से बच जाएंगे। यह बात तो तय है कि मॉरेटोरियम से आपका कर्ज महंगा हो जाएगा लेकिन हालात सामान्य होने पर आप अतिरिक्त रकम देकर कर्ज पहले जैसा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए कुछ महीने बाद आपको बोनस मिले तो उसे कर्ज चुकाने में इस्तेमाल करें। जैसे ही मौका मिले, कर्ज का समयपूर्व भुगतान करें।
कितना होगा असर
मान लीजिए आपने 8.5 फीसदी ब्याज दर पर 20 साल के लिए 50 लाख रुपये का कर्ज लिया है। आपकी ईएमआई 43,391 रुपये होगी। अगर आप 12 ईएमआई पहले ही दे चुके हैं और अप्रैल से अगस्त तक की ईएमआई आप टाल रहे हैं तो ब्याज की कुल 1,72,939 रुपये की रकम 18वें महीने पर आपके बचे मूलधन जुड़ जाएगी। अगर आप सितंबर में यह रकम नहीं चुका पाए तो समूचा ब्याज आपके कर्ज की बची अवधि में चक्रवृद्घि ब्याज की तरह जुड़ जाएगा और आपका कर्ज लंबा चलेगा तथा ईएमआई की रकम भी बढ़ जाएगी।
शेट्टी समझाते हैं, 'कर्ज की ईएमआई पर रोक का मतलब यह नहीं है कि आपको भुगतान से छूट मिल गई है। मूलधन पर ब्याज जुड़ता रहेगा। अगर आप मॉरेटोरियम के दौरान ईएमआई नहीं चुकाते हैं तो आपका मूलधन बढ़ जाएगा। अगर आप ईएमआई चुकाते हैं तो आपका बचा मूलधन कम हो जाएगा।' ऐसी सूरत में आपके पास दो विकल्प हैं।
पहला विकल्प
बचे हुए ब्याज को मूलधन में जोड़ दें (1,72,939+44,06,359 = 45,79,298 रुपये) और पहले से चल रही ईएमआई चुकाते रहें। अब बची हुई कुल राशि से ही आपकी देनदारी तय होगी। यदि आप पांच ईएमआई नहीं चुकाते हैं तो आपके कर्ज की मियाद 240 के बजाय 267 महीने हो जाएगी यानी 22 ईएमआई और जुड़ जाएंगी। इसका मतलब है कि शुरुआत में आपको 54.14 लाख रुपये बतौर पर ब्याज चुकाने थे, लेकिन अब 63.67 लाख चुकाने होंगे यानी केवल पांच ईएमआई रोकने पर आपको 9.63 लाख रुपये अलग से चुकाने होंगे। शेट्टी की सलाह है, 'सबसे ज्यादा असर उन पर पड़ेगा, जिनका कर्ज अभी शुरू ही हुआ होगा क्योंकि बकाया ब्याज सीधे ईएमआई में जुड़ जाएगा।'
दूसरा विकल्प
बकाया ब्याज को मूलधन में जोड़ दें (1,72,939+44,06,359 = 45,79,298 रुपये) और बैंक से ईएमआई की रकम बढ़ाने को कहें ताकि कर्ज की अवधि पहले जितनी ही रहे। उस सूरत में बकाया ब्याज कर्ज की बची अवधि में बंट जाएगा। सदगोपन कहते हैं, 'चूंकि पिछले दो महीनों में रीपो दर में अच्छी खासी कटौती (115 आधार अंक) की गई है, इसलिए जब बैंक कर्ज की ब्याज दर बदलेंगे तो ईएमआई भी कम होगी और कुछ राहत मिल जाएगी।'
जो ग्राहक रीपो दर से जुड़े हैं, उनकी ब्याज दर में अगले कुछ हफ्तों में 40 आधाार अंक की कटौती हो सकती है। लेकिन एमसीएलआर से जुड़े ग्राहकों को इसके लिए अभी इंतजार करना पड़ सकता है।
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