व्यापारिक टकराव के मुकाबले महामारी ज्यादा चिंताजनक | पुनीत वाधवा / May 31, 2020 | | | | |
बीएस बातचीत
अमेरिका-चीन के बीच पुन: टकराव को वैश्विक वित्तीय बाजारों के लिए एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि बाजार पहले से ही कोविड-19 महामारी के प्रभाव से जूझ रहे हैं। क्रेडिट सुइस के एशिया-प्रशांत के लिए इक्विटी रणनीति सह-प्रमुख डैन फिनमेन ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में कहा कि वह भारत पर नकारात्मक हैं। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
क्या बाजार अपने मार्च के निचले स्तर से वापसी कर चुका है?
6-12 महीने के नजरिये से, नरम लॉकडाउन और आक्रामक नीतिगत प्रतिक्रिया की वजह से बाजार मौजूदा स्तरों से ऊपर जा सकते हैं। चीन-अमेरिका तनाव से धारणा प्रभावित हो सकती है। कोरोना महामारी वैश्विक बाजारों के लिए प्रमुख समस्या बनी रह सकती है। हमें अल्पावधि सुधार की उम् मीद है, लेकिन यह काफी हद तक आय अनुमानों के पुनर्मूल्यांकन पर निर्भर करेगी। मूल्यांकन को लेकर उभरता एशिया हमारा पसंदीदा है।
क्या महामारी से अमेरिका-चीन संबंध निचले स्तर पर पहुंच जाएगा?
अमेरिका-चीन संबंध तब तक तनावपूर्ण बना रहेगा जब तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव नहीं हो जाते। दीर्घावधि परिप्रेक्ष्य से, यह स्पष्ट रूप से सकारात्मक नहीं है, लेकिन 2020 में एशियाई अर्थव्यवस्था पर प्रभाव 2019 के मुकाबले कम रहना चाहिए। कोरोना महामारी अब बाजारों और अर्थव्यवस्थाओं के लिए व्यापार युद्घ की तुलना में ज्यादा गंभीर बन गई है। नए उत्पादों पर दरें नहीं बढ़ाई जा सकती हैं, लेकिन आप निर्यात पर ऊंची दरों की आशंका से इनकार नहीं कर सकते।
क्या बाजारों में अमेरिका-चीन टकराव का असर दिख रहा है?
अमेरिका और चीन वित्तीय प्रभाव से बचने की लगातार कोशिश करेंगे, लेकिन निवेशकों पर इसका ज्यादा असर दिखने की संभावना नहीं है। वैकल्पिक अंतर्राष्ट्रीय रिजर्व और व्यापार मुद्रा के तौर पर द्वारा द्वारा रेनमिन्वी को प्रोत्साहित किए जाने में वर्षों लग सकते हैं। चीन की कंपनियों को अमेरिकी एक्सचेंजों से सूचीबद्घता समापत करने के लिए बाध्य करने के कदमों का प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन हमें निवेशकों पर ज्यादा प्रभाव पडऩे की आशंका नहीं दिख रही है। इसकी संभावना ज्यादा है कि हॉन्गकॉन्ग के एक्सचेंज पुन: सूचीबद्घता को आसान बनाने के तरीके तलाशेंगे।
फेडरल रिजर्व द्वारा फिर से वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाने की संभावना है। क्या अन्य केंद्रीय बैंक भी इस तरह के कदम उठाएंगे?
वैश्विक मुद्रा और राजकोषीय स्थिति को आसान बनाने के प्रयास बरकरार रहेंगे। सार्वजनिक ऋण में भारी वृद्घि पर ध्यान देने की जरूरत होगी, और इसकी आशंका ज्यादा दिख रही है कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति में तेजी और दरों में कटौती को बढ़ावा देंगे।
अपने एशियाई प्रतिस्पर्धियों की तुलना में भारत किस तरह से उपयुक्त निवेश स्थान लग रहा है?
हम सभी एशियाई प्रतिस्पर्धियों की तुलना में ज्यादा कमजोर आर्थिक हालात के साथ मौजूदा महामारी से जूझ रहे भारत पर नकारात्मक हैं, लेकिन अब वह इस क्षेत्र में दूसरों की तुलना में कोरोना महामारी से ज्यादा प्रभावित हो रहा है। राजकोषीय नीति पर अवरोधों ने सरकार को अर्थव्यवस्था और बाजारों की सहायता करने के लिए अन्य देशों की तुलना में कम क्षमता वाला बना दिया है।
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