प्रमुख क्षेत्र के उत्पादन में आई रिकॉर्ड गिरावट | शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली May 30, 2020 | | | | |
भारत के आठ प्रमुख क्षेत्रों के उत्पादन में अप्रैल महीने में रिकॉर्ड 38.1 फीसदी का संकुचन आया जबकि मार्च महीने में इसमें 9 फीसदी की कमी आई थी। ऐसा कोरोनावायरस के रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण देश भर में फैक्टरियों के बंद रहने से हुआ है। इस दौरान उत्पादन में एक आभासी ठहराव आ गया था।
शुक्रवार को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी ताजे आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 में प्रमुख क्षेत्र का उत्पादन घटकर 0.4 फीसदी के मामूली स्तर पर पहुंच गया था। ऐसा इसलिए हुआ कि आर्थिक सुस्ती और उसके बाद लगाए गए लॉकडाउन के कारण अधिकांश क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर उत्पादन में गिरावट आई। उससे पिछले वर्ष वृद्धि 4.4 फीसदी रही थी। चालू शृंखला में प्रमुख क्षेत्र में अप्रैल में संकुचन सबसे खराब स्तर पर रहा, लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं ऐसी गिरावट की आशंका पहले से ही थी और आगामी महीनों में धीरे धीरे इस गिरावट की दर में कमी आएगी। हालांकि, उनको इस बात का भय है कि मध्यावधि में उत्पादन को लगने वाला झटका पहले के अनुमानित स्तर से अधिक बड़ा होगा। प्रमुख क्षेत्र की वृद्धि मार्च में धराशायी होने से पहले फरवरी में 19 महीने के उच्च स्तर पर थी।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, 'जैसी आशंका थी, प्रमुख क्षेत्र के आंकड़ों में हमारे अनुमान के मुताबिक ही गिरावट आई है। एक ओर जहां लॉकडाउन के कारण सभी आठ प्रमुख क्षेत्रों में विस्तृत पैमाने पर संकुचन हुआ, वहीं विभिन्न क्षेत्रों में जिस हद तक गतिविधि पर रोक लगाई गई थी उसी के अनुरूप अलग अलग असर रहा।'
बुनियादी ढांचा क्षेत्र के खंड के उत्पादन को सबसे बड़ा झटका लगा है। इस्पात उत्पादन में मार्च में 24 फीसदी की गिरावट के बाद अप्रैल में 83.9 फीसदी की भारी कमी आई है। दूसरी तरफ सीमेंट उत्पादन में भी लगभग उतनी ही बड़ी गिरावट 86 फीसदी की कमी आई है। लॉकडाउन से पहले भी दोनों ही क्षेत्र उतार चढ़ाव से गुजर रहे थे लेकिन सामाजिक दूरी के कठोर नियम से पूरे देश में निर्माण गतिविधि पर रोक लग गई।
मार्च में वृद्धि दर्ज करने वाला एक मात्र क्षेत्र कोयला उत्पादन में अप्रैल में 15.5 फीसदी की कमी आई। मार्च में इसमें 4 फीसदी की उछाल दर्ज की गई थी। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि अप्रैल में कोयला क्षेत्र में गिरावट की बड़ी वजह यह रही कि श्रमिक ट्रांजिट कैंपों में थे जिससे खनन गतिविधि पर इसका असर हुआ।
अप्रैल में बिजली उत्पादन में 22.8 फीसदी की कमी आई। मार्च में पहले ही बिजली उत्पादन में 8.2 फीसदी का संकुचन आ चुका था। पांच महीनों तक भारी गिरावट के बाद साल के आरंभ में बिजली उत्पादन में वृद्धि नजर आई थी।
कच्चे तेल के उत्पादन में लगातार 19वें महीने गिरावट जारी रही। हालांकि अप्रैल में इसके उत्पादन में अपेक्षाकृत थोड़ी गिरावट आई। अप्रैल में इसमें 6.4 फीसदी की कमी आई। अंत में, उर्वरक उत्पादन में अप्रैल महीने में 4.5 फीसदी की कमी आई और मार्च में इसमें 11.9 फीसदी की कमी आई थी। यही एक मात्र उदाहरण है जिसमें मार्च के मुकाबले कम गिरावट हुई, क्योंकि किसान बुआई शुरू कर चुके थे।
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