71 ट्रेनों के मार्ग में बदलाव हुआ: रेलवे | |
शाइन जैकब / 05 29, 2020 | | | | |
ट्रेन में ही प्रवासी मजदूरों की मौत और श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के मार्ग में बदलाव को लेकर सर्वोच्च न्यायालय और जनता की आलोचना का सामना करने के बाद भारतीय रेलवे ने शुक्रवार को कहा कि उसने अब तक संचालित की गई कुल 3,840 ट्रेनों में से केवल 1.8 प्रतिशत ट्रेनों के मार्ग में ही बदलाव किया है।
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ट्रेनों और स्टेशन परिसरों में कुछ लोगों की मौत की सूचना मिली थी और सरकार इसके कारणों की जांच कर रही है। पिछले कुछ दिनों में अलग-अलग श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई जिसकी वजह कथित तौर पर भोजन और पानी की आपूर्ति में आई कमी थी। हालांकि भारतीय रेलवे ने कहा है कि इनमें से कुछ यात्रियों की तबीयत पहले से ही खराब थी।
मीडिया को संबोधित करते हुए रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने कहा, 'हम इन मौतों की वजहों की जांच कर रहे हैं क्योंकि कुछ लोगों की मौत ट्रेन में हुई जबकि कुछ की मौत स्टेशन परिसर के भीतर हुई।'
ट्रेन में हुई मौत की घटना के बाद रेलवे ने शुक्रवार को कहा कि पहले से ही बीमारी से ग्रस्त लोग (उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय की बीमारी, प्रतिरोधक क्षमता में कमी), गर्भवती महिलाएं, 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे और 65 साल से अधिक आयु के व्यक्तियों को रेल यात्रा से इस वक्त बचना चाहिए, अगर बहुत जरूरी न हो।
श्रमिक ट्रेनों का संचालन 1 मई से शुरू हुआ और 28 मई तक लगभग 3,840 ट्रेनें चलाई गईं जिनमें करीब 52 लाख लोगों ने यात्रा की। एक सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, गुरुवार तक 91 लाख प्रवासी कामगारों ने इन ट्रेनों और सड़क परिवहन के जरिये यात्रा की। पिछले एक सप्ताह में, रेलवे ने अकेले ही 20 लाख लोगों को 1,524 ट्रेनों के जरिये उनके गंतव्य तक पहुंचाया।
ट्रेनों में होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या के बारे में यादव ने कहा, 'इस तरह की मौतें निराशाजनक हैं। हालांकि ऐसा भोजन या पानी की कमी की वजह से नहीं हुआ है क्योंकि हमने इन ट्रेनों में भोजन-पानी का पर्याप्त इंतजाम किया है।'
अदालत ने गुरुवार को कहा कि जिन राज्यों में प्रवासी कामगार जा रहे हैं वे भी इन कामगारों के यात्रा खर्च का हिस्सा दें और अदालत ने निर्देश दिया कि रेलवे इन प्रवासी कामगारों को पीने का पानी और भोजन उपलब्ध कराए।
ट्रेनों के मार्ग में बदलाव पर यादव ने कहा कि कुल 3,840 ट्रेनों में से केवल 71 के मार्ग में ही बदलाव किया गया था और ऐसा 20 मई से 24 मई के बीच किया गया। उन्होंने कहा, 'उस दौरान उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से ट्रेनों की मांग ज्यादा थी। 20-24 मई के बीच हम एक दिन में 270 से अधिक ट्रेनें चला रहे थे और इनमें से 90 प्रतिशत ट्रेनें दोनों राज्यों में ही जानी थी इसकी वजह से मार्ग में काफी भीड़ की स्थिति बन गई थी।'
रेलवे के एक आंकड़े के मुताबिक 28 दिन में सिर्फ चार ट्रेनों को ही अपने गंतव्य तक पहुंचने में चार दिन से ज्यादा का समय लगा। यादव के मुताबिक करीब 90 फीसदी ट्रेनें मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की रफ्तार से चल रही थीं। शेष 10 प्रतिशत ट्रेनों में भी केवल दो से चार घंटे की देरी देखी गई। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल ने लगभग सभी राज्यों के प्रवासी मजदूरों को भेजने के आग्रह को पूरा करने की कोशिश की। 20 मई को सबसे ज्यादा 279 ट्रेनें चलाई गईं थीं जबकि 24 मई को राज्यों से मांग 923 ट्रेनों की थी। रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक 28 मई तक इनकी संख्या घटकर 450 रह गई।
टीटीई के लिए दिशानिर्देश जारी
भारतीय रेल के 167 के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब ट्रेनों में टिकट की जांच करने वाले कर्मचारी अपने पारंपरिक काले कोट एवं टाई नहीं पहनेंगे। एक जून से शुरू होने वाले 100 जोड़ी ट्रेनों में सवार टिकट जांच करने वाले कर्मचारियों के लिए कोरोनावायरस संक्रमण के मद्देनजर रेलवे ने दिशा निर्देश जारी किए हैं जिसके अनुसार उन्हें मास्क, दस्ताने और साबुन के अलावा आतिशी शीशा दिया जाएगा। रेलवे की ओर से जारी दिशा निर्देशो के अनुसार, कोरोना संक्रमण को रोकने अथवा उसके खतरे को कम करने के मद्देनजर टिकट जांच करने वाले कर्मचारियों के लिए कोट एवं टाई की अनिवार्यता समाप्त की जा सकती है। हालांकि, वह इस दौरान अपने नाम ओर पद अंकित बैज पहने रहेंगे। इसमें कहा गया है कि सभी टीटीई को पर्याप्त संख्या में मास्क, फेस शील्ड, दस्ताने, सिर ढंकने का कवर, सैनेटाइजर आदि मुहैया कराई जाएंगी। भाषा
|