दिवालिया से आईटी की बढ़ी चिंता | साई ईश्वर / मुंबई May 28, 2020 | | | | |
भारतीय आईटी सेवा कंपनियों को उन अमेरिकी और वैश्विक रिटेल शृंखलाओं की वजह से समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जो कोविड-19 महामारी की वजह से स्वैच्छिक तौर पर दिवालियापन के लिए आवेदन कर रही हैं।
बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा (बीएफएसआई) के बाद रिटेल भारतीय आईटी सेवा कंपनियों के लिए दूसरा सबसे बड़ा वर्टिकल है। वित्त वर्ष 2020 में प्रमुख पांच भारतीय आईटी सेवा कंपनियों ने अपने कुल राजस्व का करीब 14 प्रतिशत इसी वर्टिकल से प्राप्त किया।
बीओबीसीएपीएस की रिपोर्ट के अनुसार, 'कोविड-19 महामारी की वजह से रिटेल उद्योग की राह में कई अप्रत्याशित समस्याएं पैदा हो गई हैं जिससे उन्हें अपने आईटी खर्च में बड़ी कटौती के लिए बाध्य होना पड़ेगा।' इसे ध्यान में रखते हुए ब्रोकरेज फर्म ने भविष्यवाणी की है कि मौजूदा वित्त वर्ष में, शीर्ष-5 भारतीय आईटी कंपनियों की राजस्व वृद्घि पर 1-6 प्रतिशत तक का प्रभाव पड़ सकता है।
भारतीय सॉ?टवेयर निर्यातक सामान्य तौर पर इन पारंपरिक रिटेल ब्रांडों के लिए रखरखाव एवं समर्थन का पूरा बैक-ऐंड आईटी परिचालन संचालित करते हैं और लागत कटौती के लिए डिजिटलीकरण कार्यक्रम चलाते हैं। लार्ज-कैप में, विप्रो का रिटेल वर्टिकल के लिए सबसे ज्यादा (वित्त वर्ष 2020 के राजस्व का 16.3 प्रतिशत) योगदान है, जिसके बाद इन्फोसिस (15.4 प्रतिशत) और टीसीएस (15.1 प्रतिशत) योगदान है। मिड-कैप में, माइंडट्री 20.3 प्रतिशत के साथ आगे है।
अमेरिकी और कनाडाई दिवालिया अदालतों में दर्ज मामलों के अनुसार, जेसी पेन्नी (67 लाख डॉलर), नीमन मार्कस (16 लाख डॉलर) और एल्डो गु्रप (4 लाख डॉलर) पर सामूहिक तौर पर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) का 87 लाख डॉलर (या लगभग 65.5 करोड़ रुपये) बकाया है।
टीसीएस अमेरिका में स्वैच्छिक तौर पर दिवालिया आवेदन करने वाले रिटेलरों के लिए असुरक्षित दावों के साथ सबसे बड़ी 50 लेनदारों में से एक थी। टाटा समूह की इस कंपनी ने इस संबंध में ईमेल पर भेजे सवालों का जवाब नहीं दिया है।
टेकलीगिस एडवोकेट्स ऐंडसॉलिसिटर्स में बौद्घिक संपदा (आईपी) और प्रौद्योगिकी, मीडिया एवं दूरसंचार (टीएमटी) के पार्टनर हेड सलमान वारिस ने कहा, 'संक्षेप में, विदेशी कंपनियों के लिए चैप्टर 11 बैंगक्रप्सी में पूरे बकाया की वसूली की संभावना कम है। हालांकि अमेरिका ने 2005 बैंगक्रप्सी एब्यूज ऐंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट के हिस्से के तौर पर बैंगक्रप्सी कोड के चैप्टर 15 को लागू किया है।'
चैप्टर 15 यह तय करता है कि अमेरिकी अदालत को उस स्थिति में विदेशी दिवालिया प्रक्रिया का प्रबंधन कैसे करना चाहिए जब देश में संपूर्ण सुनवाई शुरू नहीं हुई हो। चैप्टर 15 अमेरिकी अदालत और ऋणी की दिवालिया प्रक्रिया को देखने वाली विदेशी अदालत के बीच सहयोग के लिए व्यवस्था मुहैया कराता है।
वारिस का कहना है कि भारत में मौजूदा समय में सीमा-पार दिवालिया मामले देखने के लिए कोई कानून नहीं है। लेकिन कंपनी मामलों के मंत्रालय ने आईपीएस केपी कृष्णन के नेतृत्व में सीमा-पार आधार पर उद्यम-समूह दिवालिया मामले देखने के लिए एक समिति बनाई है। इस समिति को अपने सुझाव सौंपने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।
वर्ष 2020 में अब तक अकेले अमेरिका में 3,800 स्टोरों वाले 13 रिटेलर दिवालियापन के लिए पहले ही आवेदन कर चुके हैं।
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