बुनियादी ढांचा निर्माण करने वाली कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए सरकार ने निजी क्षेत्र के उन सभी राजमार्ग डेवपलरों को तीन और छह महीने का विस्तार दिया है जिनका ठेका फरवरी 2020 में या उसके बाद समाप्त हो गया था। सभी निजी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के लिए सरकार को किए जाने वाले किसी तरह के रियायत शुल्?क या प्रीमियम के भुगतान को उतने दिनों के लिए टाल दिया गया है जितने दिनों तक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण उन्हें टोल संग्रह का नुकसान हुआ है। मौजूदा ठेकों के लिए टोल संग्रह की अवधि को 21 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है। बहरहाल, लॉकडाउन के दौरान टोल शुल्क के नुकसान के अनुपात में ठेका की अवधि तभी बढ़ाई जाएगी जब वह दैनिक औसत संग्रह के 90 फीसदी से कम रहा हो। यदि नुकसान रोजाना के संग्रह का 25 फीसदी है तो ठेका अवधि में एक दिन का विस्तार किया जाएगा। इसका मतलब है कि यदि नुकसान 25 फीसदी से कम है तो रोजाना के नुकसान को एक साथ जोड़ा जाएगा और 25 फीसदी हो जाने पर एक दिन का विस्तार दिया जाएगा या मान लीजिए कि एक दिन का नुकसान 50 फीसदी का है तो ठेका अवधि में दो दिन का विस्तार दिया जाएगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने उद्योग के प्रतिनिधियों और सरकार के साथ ठेका अवधि में विस्तार दिए जाने को लेकर बैठक के बाद मंगलवार को अपने सभी कार्यालयों को पत्र लिखकर राष्ट्रीय राजमार्ग ठेकों में निजी डेवलपरों के साथ फोर्स मेजर का सिद्धांत लगाने का आदेश दिया। हालांकि, बुनियादी ढांचा क्षेत्र के एक विशेषज्ञ ने कहा विस्तार के प्रावधान से ठेकेदारों को राहत नहीं मिल पाएगी क्योंकि यदि वे लिए गए ऋण पर मूलधन के भुगतान के लिए मोहलत की सुविधा लेते हैं तो उन्हें ब्याज का भुगतान करना होगा। उन्होंने कहा, 'ऐसा इसलिए है क्योंकि कंपनियों के नकद प्रवाह में तुरंत सुधार नहीं होगा और वेतन, ब्याज और रखरखाव जैसी लागत जारी रहेगी। हाइब्रिड एन्युटी मॉडल पर निर्मित परियोजनाओं के मामलों में फोर्स मेजर सिद्धात लागू नहीं होंगे, लेकिन इन पर लॉकडाउन का बड़ा असर नहीं होगा।' हालांकि कंपनी के लिए राहत की बात तभी होगी जब दोनों पक्ष यानी कि एनएचएआई और परिचालकों ने 19 फरवरी, 2020 को बाध्यताओं में चूक में नहीं किया हो। एनएचएआई के पत्र में दैनिक औसत टोल संग्रह शुल्क को 2018-19 के संग्रह को दिनों की संख्या से भाग कर निकाला गया है। इसमें पांच फीसदी की वृद्धि भी जोड़ दी गई है। ऐसी परियोजनाओं के मामले में जिनके आरंभ होने की तिथि वित्त वर्ष 2019 में ही थी और इस तरह से उनका एक वर्ष अभी पूरा नहीं हुआ है उनके लिए वाणिज्यिक परिचालन की तिथि से 29 फरवरी तक की अवधि को औसत संग्रह निकालने के लिए उपयोग किया जाएगा।
