रिलायंस ने किया अधिकतम क्षमता पर परिचालन | अमृता पिल्लई और राजेश भयानी / मुंबई May 28, 2020 | | | | |
रिलायंस इंडस्ट्रीज को विशेष तौर से पेट्रोकेमिकल कारोबार में घरेलू बाजार के बजाय निर्यात बाजार पर ध्यान केंद्रित करने से लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई में अपनी रिफाइनरियों को 90 से 100 फीसदी क्षमता पर परिचालन करने में मदद मिली। जबकि अप्रैल में अन्य बड़ी रिफाइनरियों का परिचालन 50 से 70 फीसदी औसत क्षमता पर हुआ।
कंपनी ने ईंधन के मुकाबले रसायन का अधिक उत्पादन किया क्योंकि निर्यात बाजार में पेट्रोकेमिकल, विशेष तौर पर पॉलिमर के लिए मांग अच्छी दिखी थी।
कंपनी का तेल से लेकर रसायन कारोबार (जिसके लिए अलग कंपनी बनाया गया है) में परिचालन मेंं लचीला रुख अपनाया गया है और इसके तहत कंपनी र्ईंधन से पॉलिमर की ओर और देसी बाजार के बजाय निर्यात बाजार की ओर बढ़ी है।
केंद्रीय पेट्रोलियम व गैस मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में रिलायंस की रिफाइनरी की 94.82 क्षमता का इस्तेमाल हुआ जबकि इंडियन ऑयल ने कुल स्थापित क्षमता का 53.17 फीसदी और भारत पेट्रोलियम ने 70.08 फीसदी का इस्तेमाल किया। आईओसी और बीपीसीएल का रिफाइनरी उत्पादन एटीएफ, पेट्रोल और डीजल की कम मांग के चलते प्रभावित हुआ।
सूत्रों ने कहा कि वैश्विक पहुंच और ग्राहकों से जुड़ाव का पूरा फायदा उठाते हुए कंपनी तत्काल निर्यात पर केंद्रित हो गई और पहले के 20 फीसदी निर्यात के मुकाबले 80 फीसदी निर्यात का मॉडल तैयार कर लिया और यह पूरा काम महज 10 दिन में हुआ।
कंपनी ने शुरू में अमेरिका को पारेक्सिलिन (पीएक्स) का निर्यात किया और उसके बाद चीन को। कंपनी की योजना निर्यात संतुलित करने और देसी बिक्री में तेजी लाने की है क्योंकि डाउनस्ट्रीम उद्योग दोबारा खुल रहा है। पिछले सप्ताहांत चीन को 68,000 एमटी पॉलिमर का निर्यात हुआ। सूत्रों ने कहा, यह पहला मौका है जब भारत से चीन को इतने ज्यादा पॉलिमर का निर्यात हुआ।
लॉकडाउन की अवधि में पॉलिमर निर्यात और रिफाइनिंग क्षमता के इस्तेमाल पर रिलायंस इंडस्ट्रीज से जानकारी मांगी गई, लेकिन कंपनी ने कोई जवाब नहींं दिया।
हालांकि सूत्रों ने कहा कि अप्रैल 2019 में कुल 80,000 टन पॉलिमर के निर्यात में रिलायंस की हिस्सेदारी 43 फीसदी यानी 34,500 टन थी। हालांकि अप्रैल 2020 में जब लॉकडाउन के कारण ज्यादातर कारोबार या तो बंद थे या कम क्षमता पर परिचालित हो रहे थे तब रिलायंस ने 2.36 लाख टन पॉलिमर का निर्यात किया, जो भारत से होने वाले कुल निर्यात का 95 फीसदी है। मई के पहले तीन हफ्ते में भी यह रुख जारी रहा।
पिछले साल कच्च्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण निर्यात 10 फीसदी कम था, उस संदर्भ में देखें तो कंपनी के रुख में बदलाव रणनीतिक लगता है। मार्च तिमाही देसी बाजार में पॉलिमर कारोबार के लिहाज से अच्छा रहा। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने निवेशकोंं को बताया था कि कंपनी ने मार्च तिमाही में पीई, पीपी, पीएक्स, पीटीए और एमईजी जैसे उत्पादों के कमजोर मांग वाले माहौल में अच्छी खासी आपूर्ति की।
कंपनी की पेट्रोकेमिकल क्षमता का उपयोगिता स्तर भी 90 से 100 फीसदी रहा जबकि अन्य प्रतिस्पर्धियों के मामले में यह आंड़का 35 से 70 फीसदी के दायरे में रहा।
देसी बाजार में कंपनी ने दूध व खाद्य पैकेजिंग मेटीरियल व पीपीई में ध्यान केंद्रित किया, जिसकी मांग ज्यादा थी। आरआईएल सामान्य तौर से कुछ उत्पाद नहीं बनाती है, लेकिन उसकी मांग थी लिहाजा उसने नए उत्पादों मसलन मास्क, स्वैब आदि के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति की और ऑर्डर पूरा किया।
लॉकडाउन में आखिर कंपनी इतना करने में कैसे सक्षम हुई। एक सूत्र ने कहा, संयंत्र के कर्मचारियों को वहां के गेस्ट हाउस या क्वारंटाइन होटल में पूरे समय रखा गया। वहां आने वाले नए कर्मियों को संयंत्र में ही अलग जगह सात दिन तक क्वारंटाइन रखा गया। रिफाइनरी का परिचालन समुद्री इलाके के नजदीक था, लिहाजा निर्यात ऑर्डर पूरा करने के लिए उसका पूरा दोहन किया गया।
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