'जमीन का संकट हो तो खत्म करें परियोजना' | मेघा मनचंदा / नई दिल्ली May 28, 2020 | | | | |
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने अपने परियोजना प्रबंधकों से कहा है कि प्रस्तावित कांट्रैक्ट के उन हिस्सों को रद्द कर दें, जहां भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में कठिनाई आ रही है। प्राधिकरण ने पंचाट में मामलों की संख्या कम करने के मकसद से ऐसा कहा है।
क्षेत्रीय कार्यालयों के प्राधिकारियों और परियोजना प्रबंधकों को लिखे पत्र में एनएचएआई के चेयरमैन सुखबीर सिंह संधू ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण का मसला लंबित नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि इसकी वजह से भविष्य में याचिकाओं के मामले आते हैं।
संधू ने पत्र में लिखा है, 'भविष्य में संबंधित जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा और कांट्रैक्टर को निर्बाध जमीन दी जाएगी। अगर जमीन नहीं सौंपी जाती है तो परियोजना का वह हिस्सा रद्द कर दिया जाएगा।' इस पत्र की प्रति बिजनेस स्टैंडर्ड के पास है।
पंचाट में ज्यादातर विवाद जमीन संबंधी हैं, जिसके लिए कॉन्ट्रैक्ट में प्रावधान किया गया है। इसकी वजह से न सिर्फ परियोजना में देरी होती है, बल्कि इसमें लगाया गया धन फंस जाता है, चाहे वह सरकार का हो या निजी क्षेत्र का।
ऐसा माना जा रहा है कि एनएचएआई न सिर्फ भविष्य की परियोजनाओं के मामले में इस तरह के कदम उठाएगा, बल्कि पहले की परियोजनाओं के खंडों में यही तरीका अपनाया जाएगा। एक अधिकारी ने कहा, 'यह विचार भविष्य में किसी याचिका से बचने के लिए आया है, क्योंकि उस समय यह सवाल उठता है कि एनएचएआई ने पहले जमीन के मसले को पूरी तरह से क्यों नहीं निपटाया।'
संधू ने क्षेत्रीय कार्यालयों से कहा कि जमीन अधिग्रहण संबंधी आंकड़ों का रखरखाव सख्ती से किया जाना चाहिए। एनएचएआई की चिंता पंचाट से जुड़े मसलों और उससे संबंधित दावों को लेकर है। 2020 की शुरुआत में प्राधिकरण ने 70,000 करोड़ रुपये के पंचाट दावों को निपटाने का लक्ष्य रखा था।
यह प्रक्रिया एनएचएआई द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनैंशियल सर्विसेज (आईएलऐंडएफएस) के मामले में 650 करोड़ रुपये पंचाट के गठन के साथ शुरू हुई और बातचीत के माध्यम से 200 करोड़ रुपये में इसे निपटाया गया। एनएचएआई ने 800 करोड़ रुपये की मांग के 70 प्रतिशत से कम पर पंचाट प्रक्रिया से मामले को निपटाया।
सड़क मंत्रालय ने मार्च में रुकी हुई राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के पुनरुद्धार के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे। दिशानिर्देशों के मुताबिक इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण के आधार पर आवंटित परियोजनाओं, जिन्हें अटकी परियोजना की श्रेणी में रखा गया है, पर विवाद खत्म कर समति पर पहुंचा जा सकता है।
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