एडीएजी के बिजली कारोबार में एनटीपीसी की रुचि | देव चटर्जी और ज्योति मुकुल / नई दिल्ली May 27, 2020 | | | | |
देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड, अनिल अंबानी प्रवर्तित रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर का दिल्ली का बिजली वितरण कारोबार खरीदने की होड़ में शामिल है।
दिल्ली बिजली नियामक आयोग को लिखे एक पत्र में एनटीपीसी ने कहा है कि वह बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (बीआरपीएल) और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (बीवाईपीएल) में 51 फीसदी खरीदने की मंशा रखती है। इन दोनों बिजली वितरण कंपनियों का स्वामित्व रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के पास है। कंपनी ने कहा कि यदि शेयरों की बिक्री पारदर्शी तरीके से हो तो वह कंपनी वितरण कारोबार में उतरना चाहती है।
टाटा समूह, अदाणी समूह और आरपी गोयनका प्रवर्तित सीईएससी भी इन दोनों कंपनियों में हिस्सा खरीदने की इच्छुक हैं। टाटा पावर के पास पहले से उत्तरी दिल्ली में वितरण का एक लाइसेंस है।
पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली के 40 लाख उपभोक्ताओं को बिजली उपलब्ध कराने का लाइसेंस बीएसईएस की दो कंपनियों के पास है। एक जानकार सूत्र के मुताबिक एनटीपीसी अपनी पूर्ण अनुषंगी कंपनी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड (एनवीवीएन) के माध्यम से बिजली के खुदरा कारोबार में उतर सकती है। एनवीवीएन के पास सबसे उच्च श्रेणी के बिजली कारेाबार लाइसेंस हैं जिसकी मदद से वह बिजली खरीद समझौते कर सकती है।
इससे पहले भी एनटीपीसी वितरण कारोबार में उतरने का प्रयास कर चुकी है। कंपनी बीएसईएस की कंपनियों को करीब 1,500 मेगावॉट बिजली बेचती है। दिल्ली सरकार की कारोबार की बिक्री में अहम भूमिका होगी क्योंकि शेष 49 फीसदी हिस्सेदारी उसके पास है। ऐसे में मामले से जुड़े एक व्यक्ति का कहना है कि एनटीपीसी जैसी सरकारी कंपनी को हिस्सेदारी बेचना बेहतर होगा।
एनवीवीएन की स्थापना नवंबर 2002 में बिजली कारोबार के लिए की गई थी। मार्च 2003 में अपने पहले कारोबार में इसने एनटीपीसी के पूर्वी क्षेत्र के स्टेशनों से मेघालय राज्य बिजली बोर्ड और असम राज्य बिजली बोर्ड को अधिशेष बिजली की आपूर्ति की थी। जुलाई 2004 में केंद्रीय बिजली नियामक आयोग ने कंपनी को अंतरराज्यीय कारोबार के लिए ई श्रेणी का लाइसेंस जारी किया। मार्च 2005 में इसे उन्नत करके एफ श्रेणी के लाइसेंस में बदल दिया गया। बाद में इसमें और सुधार किया गया।
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर समूह के कर्ज को कम करने के लिए कारोबार से बाहर जाने में रुचि रखती है। बहरहाल दिल्ली वितरण कारोबार के बहीखातों में उच्च नियामकीय परिसंपत्तियां हैं। टाटा डिसकॉम के साथ समूह की तीन खुदरा बिजली कंपनियों की नियामकीय परिसंपत्ति का मूल्य करीब 9,000 करोड़ रुपये है। यह वह संपत्ति है जो कंपनी को उस शुल्क वृद्धि से मिलती है जो टाल दी गई है।
अगस्त 2018 में रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने मुंबई वितरण कारोबार 18,800 करोड़ रुपये में अदाणी ट्रांसमिशन को बेच दिया था। इसमें कारोबार का मूल्य 12,100 करोड़ रुपये आंका गया था और शेष राशि नियामकीय परिसंपत्ति और शुद्ध कार्यशील पूंजी के रूप में थी।
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