एफएमसीजी माल के उत्पादन में आई जबरदस्त उछाल | |
विवेट सुजन पिंटो और अर्णव दत्ता / मुंबई/नई दिल्ली 05 27, 2020 | | | | |
देश के बहुत से हिस्सों में लॉकडाउन में ढील दिए जाने से रोजमर्रा का सामान (एफएमसीजी) बनाने वाली प्रमुख कंपनियों के ज्यादातर संयंत्रों में विनिर्माण गतिविधियां मई में सुधरी हैं। कंपनियों, विश्लेषकों और उद्योग के सूत्रों से बातचीत में यह सामने आया कि ज्यादातर कंपनियों का क्षमता उपयोग अब करीब 70 से 75 फीसदी पर पहुंच गया है, जो अप्रैल में करीब 20 से 40 फीसदी था। हालांकि देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) अपनी क्षमता का 80 फीसदी इस्तेमाल कर रही है।
एचयूएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (एमडी) संजीव मेहता ने पहले ही यह संकेत दिया था कि कंपनी उत्पादन, विशेष रूप से आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन का स्तर बढ़ाना चाहती है। अन्य ज्यादातर कंपनियों ने भी कहा है कि इस समय उनका जोर आवश्यक उत्पादों पर अधिक है क्योंकि उनकी मांग अधिक है। एचयूएल के प्रवक्ता ने कहा, 'हर मौजूदा चुनौतीपूर्ण दौर में यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं कि हैंड वॉश, हैंड सैनिटाइजर, फ्लोर क्लीनर्स जैसे आवश्यक उत्पादों की उपभोक्ता मांग पूरी की जाए। उदाहरण के लिए हमने लाइफबॉय हैंड सैनिटाइजर का उत्पादन कोरोना से पहले के स्तर के मुकाबले काफी बढ़ा दिया है।'
एचयूएल पर नजर रखने वाले विश्लेषकों ने कहा कि कंपनी ने हैंड सैनिटाइजर का उत्पादन कोविड-19 से पहले के मुकाबले करीब 60 गुना बढ़ा दिया है, जबकि प्रवासी कामगारों की किल्लत का कंपनी और पूरे उद्योग पर असर पड़ा है।
मैगी और अन्य पैकेटबंद खाद्य बनाने वाली नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और एमडी सुरेश नारायणन ने कहा कि कच्चे माल और तैयार माल की आवाजाही के लिए परिवहन की व्यवस्था करने में पहले जो दिक्कतें आ रही थीं, वे अब कम हो गई हैं। हालांकि अंतर-राज्यीय परिवहन के लिए परमिट एवं ई-पास हासिल करने की चुनौतियां बरकरार हैं।
उन्होंने कहा, 'अब हमारा विनिर्माण 70 फीसदी क्षमता पर पहुंच गया है और हमारे सभी आठ संयंत्र चल रहे हैं। हालांकि अब भी परिचालन सामान्य होने के बीच खाई मौजूद है। हम सक्षम अधिकारियों से क्षमता कम से कम 75 फीसदी करने का आग्रह कर रहे हैं।'
मैरिको के एमडी और सीईओ सौगत गुप्ता ने पिछले सप्ताह एक इन्वेस्टर कॉल में कहा कि कंपनी का क्षमता उपयोग मई में सुधरकर करीब 75 फीसदी पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि कंपनी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सीधे वितरण के बारे में विचार कर रही है। इसका मकसद कंपनी को भविष्य के लिए तैयार करना है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के बाद की दुनिया में जो कंपनियां सीधे खुदरा दुकानों तक पहुंचने की क्षमता रखेंगी, वे वितरकों एवं थोक विक्रेताओं पर निर्भर कंपनियों की तुलना में बेहतर स्थिति में होंगी।
गुप्ता ने कहा, 'मेरा मानना है कि दो चीजें होंगी। जिन कंपनियों का ग्रामीण बाजार में सीधा वितरण नेटवर्क होगा, उन्हें फायदा मिलने के आसार हैं। इसकी वजह यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों मेें थोक बिक्री चैनलों के लिए चुनौती बनी रहेगी क्योंकि जिलों के भीतर आवाजाही पर प्रतिबंध हैं और थोक बिक्री चैनल से जुड़े लोगों में माल उठाने के लिए पास के शहर में जाने को लेकर डर है। दूसरा किराना की वापसी होगी। कोरोना के बाद लोग सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए पास की दुकान से खरीदारी को तरजीह देंगे। इसलिए शहरी इलाकों में भी सीधे वितरण वाली कंपनियों को फायदा मिलेगा।'
विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता छोटे पैकेट खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं। पार्ले प्रॉडक्ट्स के वरिष्ठ श्रेणी के प्रमुख मयंक शाह ने कहा, 'हमने पाया है कि इस समय ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे पैकेटों की खपत अधिक है।'
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