वैश्विक महामारी कोविड-10 को देखते हुए भारत दवा और मेडिकल उपकरण उद्योग पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। सरकारी अधिकारियों और उद्योग के जानकारों का कहना है इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए जापान सहित कई देशों से सक्रियता से बात करने की कवायद हो रही है, जिससे इस क्षेत्र में संयुक्त उद्यम बनाया जा सके। भारत में अगले 5 साल में सिर्फ मेडिकल उपकरण उद्योग में 70,000 करोड़ रुपये निवेश आने संभावना नजर आ रही है। सरकार ने जापानी कंपनियों और भारतीय निवेशकों के बीच 1,200 तकनीकी तालमेल का लक्ष्य रखा है, जिसके माध्यम से 42,000 करोड़ रुपये निवेश होगा इसमें विदेशी निवेशकों के साथ 200 संयुक्त उद्यम और विदेशी निवेशकों से 14,000 करोड़ रुपये निवेश व करीब 50 बहुराष्ट्रीय कंपनियों से 14,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त निवेश आने का लक्ष्य रखा गया है। टोक्यो स्थित भारतीय दूतावास और औषधि विभाग व दोनों देशों के 150 से ज्यादा हिस्सेदारों के साथ आयोजित वेबिनॉर में इस पर चर्चा हुई। वेबिनॉर में मौजूद रहे औषधि विभाग के सचिव पीडी वाघेला ने कहा कि जापानी कंपनियां एपीआई (एक्टिव फॉर्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट) में निवेश को इच्छुक हैं और मेडिकल उपकरण क्षेत्र में संयुक्त उद्यम बनाने की संभावना तलाश रही हैं। इंडियन फार्मास्यूटिकल्स अलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत करते हुए कहा कि आईसाई फार्मास्यूटिकल्स (जिसका संयंत्र विशाखापत्तनम में है) जैैसी कंपनियां भारत में 2000 से ही काम कर रही हैं और उनका अनुभव अच्छा रहा है। जैन ने कहा, 'भारत, जापान के लिए कम लागत वाला विनिर्माण केंद्र बन सकता है। हमारे पास कुशल मानव संसाधन है और लागत कम है। भारत, अमेरिका को जेनेरिक दवाएं आपूर्ति करने वाला सबसे बड़ा देश है। ऐसा जापान के लिए भी किया जा सकता है।' उन्होंने कहा कि साझेदारी या निवेश अलग तरह की परियोजनाओं में हो सकता है। पहला, जिसमें जापान की कंपनियां विनिर्माण केंद्र बनाएंगी और उसकी आपूर्ति अन्य देशों को करेंगी या वे अपने खपत के लिए दवाएं जापान भेज सकती हैं। दूसरा, वे दवा बनाने के लिए भारतीय कंपनियों में निवेश कर सकती हैं। जैन ने कहा, 'भारत सरकार अब उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन की पेशकश बड़ी एपीआई उत्पादन इकाइयों के लिए कर रही है और यह साझेदारी का एक क्षेत्र हो सकता है।' डीओपी सचिव ने जापानी उद्योगों से फार्मा ब्यूरो के संपर्क में रहने को कहा है।
