जोजीला परियोजना में बदलाव संभव | |
मेघा मनचंदा / नई दिल्ली 05 27, 2020 | | | | |
जोजीला सुरंग परियोजना में बहुत ज्यादा देरी होने की वजह से सरकार परियोजना के ढांचे में बदलाव पर विचार कर रही है। इस बदलाव को जल्द ही अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है और इस साल के अंत तक एक बार फिर परियोजना की बोली हो सकती है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'परियोजना के लिए नए सिरे से अवधारणा विकास दृष्टिकोण पर विचार हो रहा है।' सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम (एनएचआईडीसीएल) और अन्य हिस्सेदार विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा कि एक विकल्प यह है कि परियोजना को यूनीडाइरेक्शन टनल के रूप में शुरू किया जाए और बाद में धीरे धीरे इसे बाईडाइरेक्शनल परियोजना की ओर ले जाया जाए या इसे पूरे जोर शोर से पूरा करने का विकल्प चुना जाए, जैसा करने की योजना पहले बनाई गई थी।
बहरहाल विशेषज्ञों ने कहा कि इसे वन-वे बनाने से लागत घटाने में मदद नहीं मिलेगी और इससे काम शुरू करने का मकसद हासिल करने में मदद मिलने की संभावना कम है।
एक अधिकारी ने कहा, 'जोजीला परियोजना रणनीतिक है और जब इसे बोली के लिए फिर से पेश किया जाएगा तो लागत में बढ़ोतरी चिंता का प्रमुख विषय होगा। हम रक्षा मंत्रालय से तालमेल बिठाने का विकल्प चुन सकते हैं और रणनीति परियोजना के रूप इसके लिए आंशिक वित्तपोषण प्राप्त कर सकते हैं। इससे लोगों व सामान की आवाजाही सुनिश्चित हो सकेगी।'
फरवरी में केंद्रीय सड़क मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि इस सुरंग में डिजाइन संबंधी कुछ बदलाव किया जा सकता है, जिससे लागत में बढ़ोतरी से बचा जा सके। सरकार ने इसे 6,800 करोड़ रुपये अनुमानित लागत से इसे पूरा करने की योजना बनाई थी।
इस परियोजना की अवधारणा सबसे पहले 2013 में तैयार की गई थी, जो रणनीतिक महत्त्व की है। इसकी वजह है कि यह पाकिस्तान व चीन दोनों के नजदीक है। जोजीला दर्रा श्रीनगर-करगिल-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर 11,578 फुट की ऊंचाई पर स्थित है और परियोजना पूरी होने पर यह देश की सबसे बड़ी सड़क सुरंग होगी। इस सुरंग का मकसद लेह और श्रीनगर के बीच रह मौसम में संपर्क स्थापित करना है, अनन्था बर्फबारी की वजह से 6 महीने रास्ता बंद रहता है।
2013 से इसके लिए 5 नीलामियां हुईं। आखिरी बार मई 2017 में बोली का आयोजन हुआ, जिसमें निजी क्षेत्र की 4 कंपनियों एलऐंडटी, आईएलऐंडएफएस, जेपी इन्फ्राटेक और रिलायंस इन्फ्रा ने हिस्सा लिया। जुलाई 2017 में इसका ठेका आईएलऐंडएफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क को 4,800 करोड़ रुपये में मिला और सुरंग 7 साल में तैयार होने की उम्मीद की घई। जनवरी 2018 में आईएलऐंडएफएस को एनएचआईडीसीएल से परियोजना के निर्माण की स्वीकार्यता का पत्र मिला। बहरहाल परियोजना मार्च 2019 में रुक गई, क्योंकि आईएलऐंडएफएस दीवालिया हो गई और अब इसकी फिर से बोली होनी है। परियोजना की सिविल कंस्ट्रक् शन लागत 4,899 करोड़ रुपये और कुल पूंजीकगत लागत 6808 करोड़ रुपये है।
जोजीला परियोजना का अब तक का लेखा जोखा
► केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3 जनवरी 2018 को जम्मू कश्मीर में जोजीला सुरंग के निर्माण, परिचालन व रखरखाव को मंजूरी दी
► 24 जनवरी को बुनियादी ढांचा फर्म आईएलऐंडएफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क को परिोयजना मिली और इसके लिए एमओयू हुआ
► यह दो लेन की बाई डाइरेक् शनल सुरंग होगी, जिसकी कुल लंबाई 14.14 किलोमीटर
► सरकार के दावे के मुताबिक यह देश की सबसे लंबी सड़क सुरंग
► परियोजना पर कुल पूंजी लागत 6808 करोड़ रुपये अनुमानित
► परियोजना के निर्माण की अवधि 7 साल निर्धारित की गई है
► परियोजना के तहत 14.2 किलोमीटर दो लेन की बाई डाइरेक् शनल सिंगल ट्यूब टनल बनाई जानी है और इसके समानांतर 14.2 किलोमीटर लंबी एग्जिट टन होगी
► यह अत्याधुनिक सुरंग कट ऐंड क्रॉस वेंटिलेशन मैकेनिज्म के मुताबिक, पूरी तरह वेंटिलेशन व्यवस्था, बाधारहित बिजली आपूर्ति, सीसीटीवी निगरानी, टेलीफोन आदि सुविधाओं वाली होगी
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