लॉकडाउन से पहले शुरू हो गई थी श्रम लागत में कटौती | |
कृष्णकांत / मुंबई 05 27, 2020 | | | | |
जनवरी से मार्च 2020 तिमाही के लिए कंपनियों के वित्तीय नतीजों पर गौर करने से पता चलता है कि विनिर्माण क्षेत्र की कई कंपनियों ने इस तिमाही के दौरान अपनी श्रम लागत को युक्तिसंगत बनाने की पहल शुरू कर दी थी। जबकि तिमाही के दौरान कोविड-19 वैश्विक महामारी की रोकथाम के लिए किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण उनका कामकाज केवल सात दिनों के लिए बाधित हुआ था।
विनिर्माताओं के कुल वेतन बिल में वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही के दौरान पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई जो कम से कम पिछले 10 वर्षों का सबसे खराब प्रदर्शन रहा। जबकि वित्त वर्ष 2019 की चौथी तिमाही के दौरान इन कंपनियों के वेतन बिल में सालाना आधार पर 7.7 फीसदी की वृद्धि हुई थी। इसी प्रकार अक्टूबर से दिसंबर 2019 तिमाही के दौरान इन कंपनियों के वेतन बिल में 2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी।
वास्तव में हिंदुस्तान यूनिलीवर, मैरिको, हैवेल्स, गोदरेज कंज्यूमर और मैरिको जैसी कई बड़ी विनिर्माताओं ने चौथी तिमाही में अपने वेतन बिल में दो अंकों में गिरावट दर्ज की है। कोविड-19 लॉकडाउन के कारण उनकी बिक्री और राजस्व को झटका लगा। यह सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) द्वारा इसी महीने जारी बेरोजगारी की स्थिति के बिल्कुल अनुरूप है।
सीएमआईई के सर्वेक्षण के अनुसार, लॉकडाउन की घोषणा किए जाने से पहले ही बेरोजगारी बढऩे लगी थी और मार्च में यह पिछले महीने के मुकाबले करीब 100 आधार अंक ऊपर थी। फरवरी में बेरोजगारी दर 7.76 फीसदी थी जबकि मार्च के अंत में वह बढ़कर 8.75 फीसदी हो गई।
बिजनेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल इन 25 कंपनियों की एकीकृत शुद्ध बिक्री चौथी तिमाही के दौरान एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 11.4 फीसदी घट गई। यह पिछले करीब चार वर्षों का सबसे खराब प्रदर्शन था। इसके मुकाबले इन कंपनियों की एकीकृत शुद्ध बिक्री में वित्त वर्ष 2019 की चौथी तिमाही में सालाना आधार पर 10.3 फीसदी की वृद्धि हुई थी जबकि वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही के दौरान इसमें 1 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी।
विश्लेषकों ने इसे कोविड वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुए आर्थिक व्यवधान से निपटने के लिए कंपनियों द्वारा किए गए लागत में कटौती के उपाय के तौर पर देखा। सिस्टेमैटिक्स ग्रुप के निदेशक (अनुसंधान) धनंजय सिन्हा ने कहा, 'कई कंपनियों ने वेतन में कटौती और वार्षिक बोनस को रोकने की घोषणा की है क्योंकि लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों और उनके राजस्व को जबरदस्त झटका लगा है। कुछ अन्य कंपनियों ने लॉकडाउन के बाद उत्पादन स्तर में गिरावट के साथ ही अपने अस्थायी एवं ठेका मजदूरों को निकाल दिया। तिमाही नतीजों में हमें यही तस्वीर दिखती है।' उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021 की पहली और दूसरी तिमाही में कंपनियों के वेतन बिल में कहीं अधिक गिरावट आएगी क्योंकि जिन कंपनियों ने वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही के दौरान लागत में कटौती नहीं की थी वे भी अब लॉकडाउन में विस्तार के मद्देनजर ऐसा कर सकती हैं।
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