महाराष्ट्र में प्रवासी मजदूरों की चल पड़ी राजनीतिक रेल | सुशील मिश्र / May 26, 2020 | | | | |
महाराष्ट्र से पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों की भीड़ भले ही कम नहीं हो रही है लेकिन उनके पलायन को लेकर राजनीति गरमा गई है। मनसे ने कहा कि अगर श्रमिक महाराष्ट्र आकर काम करना चाहेंगे तो उन्हें भी महाराष्ट्र सरकार की अनुमति लेनी होगी। महाराष्ट्र सरकार रेल न मिलने की बात कर रही है तो केंद्र सरकार दावा कर रही है जितनी चाहो उतनी ट्रेन मिलेंगी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राज्य के प्रवासी श्रमिकों को लेकर की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि अगर श्रमिक महाराष्ट्र आकर काम करना चाहेंगे तो उन्हें भी महाराष्ट्र सरकार की अनुमति लेनी होगी। रविवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा था कि अगर दूसरे राज्य चाहते हैं कि यहां के श्रमिक उनके यहां काम करें तो इसके लिए पहले उन्हें प्रदेश की सरकार से अनुमति लेनी होगी। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख ने कहा कि महाराष्टï्र सरकार को इस तरह की बातों को गंभीरता से लेना चाहिए।
योगी ने इस बात पर दुख जताया कि कोरोनावायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान कई राज्यों ने प्रवासी कामगारों का 'उचित तरीके से ध्यान नहीं' रखा। जो भी राज्य चाहता है कि प्रदेश के प्रवासी कामगार उनके यहां वापस आएं, उन्हें राज्य सरकार से इसकी इजाजत लेनी होगी और उन कामगारों के सामाजिक, कानूनी और आर्थिक अधिकार सुनिश्चित करने होंगे। इस पर राज ठाकरे ने कहा कि अगर योगी आदित्यनाथ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के लोगों को काम देने के लिए अनुमति लेनी होगी तो उन्हें भी यहां काम करने के लिए महाराष्ट्र सरकार से अनुमति लेनी होगी। कोई भी जो यहां काम करने के लिए आएंगे उन्हें सरकार के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन के पास भी पंजीकरण कराना चाहिए। इन श्रमिकों को अपने दस्तावेज और तस्वीरें भी यहां जमा करानी होंगी।
मनसे उपाध्यक्ष वागीश सारस्वत ने कहा कि राज्य सरकार श्रमिकों को यहां खाना पीना सब दे रही थी लेकिन ये मजदूर यहां से भाग गए, जो विपत्ति के समय छोड़ कर भाग गए वे हमारे नहीं हो सकते हैं। ऐसे लोगों को राज्य में आने के पहले अनुमति लेनी पड़ेगी। गौरतलब है कि शिवसेना और मनसे का पुराना मुद्दा था कि महाराष्टï्र आने वाले लोगों को पहले सरकार से अनुमति लेनी चाहिए। वे परमिट सिस्टम राज्य में लागू करना चाह रहे थे। राजनीति विश्लेषकों का कहना है कि यह मुद्दा अभी मनसे ने उठाना शुरू किया है लेकिन भूमिपुत्रों की राजनीति करने वाली शिवसेना आने वाले समय में इसको राजनीतिक हथियार बनाकर पेश करेगी। इसीलिए शिवसेना ने हर परेशानी के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराना शुरु कर दिया है।
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के मुद्दे पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और रेल मंत्री पीयूष गोयल में बहस हो गई। उद्धव ने रविवार को आरोप लगाया कि रेलवे पर्याप्त ट्रेनें उपलब्ध नहीं करा रहा। इसके जवाब में रेल मंत्री ने रविवार शाम 7 बजे से रात 12 बजे तक नौ बार ट्वीट कर महाराष्ट्र सरकार से जानकारी मांगी, लेकिन ब्योरा नहीं मिल पाया। रात 2 बजकर 11 मिनट पर गोयल ने 10वां ट्वीट किया और बताया कि 125 ट्रेनों की सूची मांगी थी, लेकिन 46 की ही मिली। गोयल ने पहली बार शाम 7.14 बजे एक साथ तीन ट्वीट किए। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर कटाक्ष भी किया।
गोयल ने कहा कि उम्मीद है कि पहले की तरह ट्रेनें स्टेशन पर आने के बाद, खाली नहीं लौटेंगी। शिवसेना नेता संजय राउत ने भी ट्वीटवार पर कूदते हुए कहा कि उम्मीद की जा रही है कि गोरखपुर जाने वाली ट्रेन उड़ीसा न पहुंच जाए।
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