उधारी का नया खाका बना रहे राज्य | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली May 26, 2020 | | | | |
बाजार उधारी की सीमा बढ़ाने की केंद्र सरकार के निर्णय के बाद राज्य सरकारें कोरोनावायरस महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के बीच उत्पन्न आर्थिक दबाव से बाहर निकलने के लिए अपनी बाजार उधारी कैलेंडर को फिर से तैयार करने में व्यस्त हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने बाजार उधारी की सीमा बढ़ाने के साथ ही कुछ शर्तें भी जोड़ दी है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने याद दिलाया था कि राज्य अपनी अधिकृत सीमा का 75 फीसदी (अपनी जीएसडीपी का तीन फीसदी) उधारी लेने के लिए अधिकृत थे लेकिन उन्होंने 14 मई तक इस सीमा का महज 14 फीसदी ही उधारी ली थी।
केरल जैसे राज्यों ने वेतन सहित अपनी प्रतिबद्ध देयताओं को पूरा करने के लिए उधारी का बड़ा हिस्सा जुटा लिया है और इस साल दो फीसदी अतिरिक्त उधारी जुटाने के लिए चारों शर्तों को पूरा करने की तरफ बढ़ रहे हैं।
दूसरी तरफ असम सहित कुछ राज्य बाजार में जाने से पहले अपने वेज ऐंड मीन्स ऐडवांस और विशेष आहरण अधिकारों को शून्य कर लेने पर विचार कर रहे हैं। राज्यों द्वारा ऐसा विचार करने की वजह ब्याज दरों में बड़ी असमानता है।
इस बीच बिहार जैसे राज्यों को अब तक बाजार से उधारी जुटाने की जरूरत महसूस नहीं हुई है लेकिन एक या दो महीने में वे ऐसा कर सकती हैं।
केंद्र सरकार राज्यों को अपना राजकोषीय घाटा अपनी जीडीपी (जीएसडीपी) के पांच फीसदी तक उधारी लेने की अनुमति दी है। हालांकि, उनके लिए बिना किसी शर्त के बाजार से उधारी जुटाने की सीमा उनकी जीडीपी के 3.5 फीसदी तक ही है।
इससे अधिक उधारी जुटाने के लिए के लिए उन्हें चार मानदंडों को पूरा करना होगा। ये मानदंड हैं एक देश एक राशन कार्ड, कारोबारी सुगमता, बिजली क्षेत्र में सुधार और शहरी स्थानीय निकायों में सुधार। प्रत्येक सुधार पर उन्हें 0.25 फीसदी अतिरिक्त उधारी जुटाने की अनुमति होगी और यदि वे चार में तीन मानदंड पूरा कर लेते हैं तो उन्हें अपने जीएसडीपी के 0.5 फीसदी अतिरिक्त राजकोषीय घाटा तक बाजार से उधारी जुटाने की अनुमति होगी।
केरल अब तक 9,000 करोड़ रुपये जुटा चुका है जो पूरे वित्त वर्ष के लिए 13,000 करोड़ रुपये की उसकी उधारी योग्यता का 70 फीसदी है। 2 फीसदी की अतिरिक्त उधारी को लेकर केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजक ने कहा कि राज्य सरकार इससे जुड़ी शर्तों को पूरा कर लेगी, जिससे उसे 8,000 करोड़ रुपये से अधिक की उधारी प्राप्त होगी।
उन्होंने कहा, 'एक ओर जहां राज्य सरकारें उधारी को लेकर बहुत सावधान हैं, वहीं केरल सरकार पहले ही 9,000 करोड़ रुपये उधार ले चुकी है और हमने उधारी के 6,000 करोड़ रुपये के लिए 9 फीसदी के उच्च ब्याज दर का भुगतान किया है। हमारे लिए यह महत्त्वपूर्ण हो गया था कि हम अधिकतम राशि अभी जुटाएं क्योंकि हमें वेतन का भुगतान करने के अलावा लॉकडाउन से प्रभावितों का स्थानांतरण करना है।'
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