अटके रिफंड से बढ़ा शुद्ध कर संग्रह | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली May 26, 2020 | | | | |
कोरोनावायरस के कारण अर्थव्यवस्था को नुकसान वजह से चालू वित्त वर्ष में 23 मई तक पिछले साल की समान अवधि की तुलना में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह में 13 प्रतिशत की गिरावट आई है। बहरहाल कर विभाग द्वारा रिफंड देने में तेज गिरावट की वजह से शुद्ध कर संग्रह में इस अवधि के दौरान 39 प्रतिशत बढ़ोतरी नजर आ रही है।
सकल कर संग्रह 1 अप्रैल से 23 मई के बीच घटकर 91,646 करोड़ रुपये रह गया है, जो 2019-20 की समान अवधि मेंं 1.95 लाख करोड़ रुपये था। इस अवधि के दौरान 16,242 करोड़ रुपये रिफंड जारी किए गए हैं, जो पिछले साल इस दौरान जारी 51,655 करोड़ रुपये रिफंड की तुलना में 68 प्रतिशत कम है। इसकी वजह से शुद्ध संग्रह में बढ़ोतरी नजर आ रही है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'प्रत्यक्ष कर से संग्रह कम है, लेकिन रिफंड कम हुआ है, इसकी वजह से इस समय सरकार के शुद्ध राजस्व की स्थिति अच्छी है। बहरहाल चालू वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक भी ऋणात्मक वृद्धि दर रहने की बात कर रहा है, ऐसे में हमें बजट के लक्ष्यों पर निश्चित रूप से एक बार फिर विचार करना चाहिए।' उन्होंने कहा कि राजस्व संग्रह का अनुमान सकल घरेलू उत्पाद के अनुमान के मुताबिक होना चाहिए।
आने वाले महीनों में शुद्ध कर संग्रह पर दबाव रहने की संभावना है क्योंकि आर्थिक गतिविधियां सुस्त बनी हुई हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा था कि 2020-21 में भारत की वृद्धि दर ऋणात्मक रह सकती है, क्योंकि कोरोनावायरस के कारण आर्थिक गतिविधियां बाधित हुई हैं। कर विभाग 2019-20 के लिए प्रत्यक्ष कर संग्रह का संशोधित लक्ष्य भी हासिल नहीं कर पाया और यह 1.42 लाख करोड़ रुपये घटकर 10.27 लाख करोड़ रुपये रहा, जो इसके पहले साल की तुलना में 9 प्रतिशत से ज्यादा कम है। बजट में अनुमानित 13.19 करोड़ रुपये संग्रह का लक्ष्य हासिल करने के लिए कर संग्रह में 28.2 प्रतिशत बढ़ोतरी की जरूरत है, जो पहले 12 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
रिफंड कम से कम 52,491 करोड़ रुपये है, जिसमे करीब 40,000 मामले लंबित पड़े है। यह मामले जांच के लिए या कर आकलन अधिकारी की तरफ से लंबित हैं और अभी मंजूरी का इंतजार है।
इसमें से करीब 36,155 करोड़ रुपये रिफंड इसलिए अटके हैं कि उनकी जांच की जा रही है। जांच के लिए मामले बढऩे के साथ रिफंड अटक गए।
करीब 16,336 करोड़ रुपये रिफंड के 20,500 मामले आकलन अधिकारियों के पास लंबित हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'जांच के लिए या कर आकलन अधिकारी के पास लंबित मामलों के कर रिफंड को लेकर कोई प्रशासनिक निर्देश नहीं आया है। इसकी वजह से बड़े पैमाने पर रिफंड अटका है।'
10 मई तक स्रोत पर कर (टीडीएस) से होने वाले राजस्व संग्रह में 22 प्रतिशत की कमी आई है। इससे अप्रैल में वेतन कटौती और बड़े पैमाने पर छंटनी के संकेत मिलते हैं। इसके अलावा कोरोनावायरस के कारण हुई देशबंदी के कारण किराये की गतिविधियां भी स्थिर हुई हैं।
1 मई से 10 मई के बीच टीडीएस संग्रह करीब 44,110 करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले साल के 56,447 करोड़ रुपये था।
वित्त वर्ष 21 में राजस्व का अनुमान नॉमिनल जीडीपी में 10 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान के आधार पर लगाया गया था। आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 21 में वास्तवित जीडीपी वृद्धि दर मेंं 5 से 6.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया था, जो अब वास्तविकता से दूर है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत की वृद्धि का अनुमान वित्त वर्ष 21 में घटाकर 1.9 प्रतिशत कर दिया है, जबकि जनवरी में आईएमएफ ने 5.8 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह टीडीएस और टीसीएस दरों में कमी की घोषणा की थी। बहरहाल इससे सरकार के प्रत्यक्ष कर संग्रह पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि कर की स्थिति यथावत बनी हुई है, जिसका मतलब यह है कि अग्रिम कर की किस्तों में पूरा कर होगा।
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